हार्डी-वेनबर्ग नियम

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हार्डी-वेनबर्ग नियम (साँचा:lang-en) जनसंख्या आनुवंशिकी का एक सिद्धांत है जिसे हार्डी तथा वेनबर्ग दोनो ने स्वतंत्र रूप से पेश किया है। इस नियम के अनुसार एक आदर्श जनसंख्या में विभिन्न अलील (युग्मविकल्पी) और जीनोटाइप की आवृत्तियाँ पीढी दर पीढी अपरिवर्तित रहतीं हैं। यह नियम उन्हीं जनसंख्याओं पर पूर्णतः लागू होगा जो इन आदर्शों का पालन करतीं हैं [१] :
१. जनन केवल लैंगिक हो
२. एक समय पर केवल एक ही पीढी जीवित रहे
३. प्रजनन क्रमहीन रहे
४. दोनो लिंगों की प्रजनन की संभावना बराबर रहे
५. जनसंख्या अति विशाल रहे
६. दोनो लिंगों में बराबर अलील आवृत्तियाँ हों
७. जनता प्रवास, परिवर्तन, या प्राकृतिक चयन से मुक्त हो।
8. उत्परिवर्तन नहीं हो। कल्पना कीजिये एक द्विगुणित जनसंख्या जिसमें अलील A तथा a का मिश्रण हो और इनकी आवृत्तियाँ हों <math>f(A) = p</math> तथा <math>f(a) = q</math> जो की इस प्रकार निर्धारित की गईं हों कि <math>p+q=1</math> (सभी आवृत्तियाँ यहाँ संभावनाओं के रूप में लिखीं जाएँगी)। इनके बल पर जीनोटाइप की आवृत्तियाँ निकालने पर हम पाते हैं कि <math>f(AA) = p^2 </math>, <math>f(Aa) = 2pq </math>, और <math>f(aa) = q^2 </math>। हम यह भी पाते हैं कि <math>f(AA)+f(Aa)+f(aa) = (p+q)^2 = 1</math>, जिससे हमें आनुवंशिक संतुलन की प्राप्ति होती है। [२]

प्रमाण

इस नियम के उद्भव को समझने हेतु कल्पना कीजिये एक द्विगुणित जीव जनसंख्या जिसमें किसी एक प्रकार के स्वरूप को स्थापित करने वाली जीन के डी.एन.ए. में स्थान, जिसे विस्थल (लोकस) कहते हैं, पर A और a दो प्रकार के अलील (उस स्वरूप के युग्मविकल्पी) स्थापित किए जा सकते हों। एक उदाहरण होगा मटर के रंग की जीन जिसके दो अलील लीजिये, एक हरा रंग देने वाला G तथा दूसरा पीला रंग देने वाला g। अब क्यूँकि मटर एक द्विगुणित जीव है, हर स्वरूप को ये अलील जोड़ियों में निर्धारित करते हैं, जैसे GG, Gg, या फ़िर gg; ऐसा एक जोड़ा जीनोटाइप कहलाता है। एक जोड़ीदार पिता से प्राप्त होता है और दूसरा माता से। इनमें से एक जोड़ीदार प्रभावी हो सकता है और दूसरा अप्रभावी, जैसे यहाँ G प्रभावी है तथा g अप्रभावी। इसका अर्थ यह है कि यदि मटर में GG या Gg में से कोई भी जोड़ी हुई, तो उसका रंग हरा होगा; और यदि जोड़ी gg हुई तो केवल तभी रंग पीला होगा।[३]

अब कल्पना कीजिये कि A और a की आवृत्तियाँ एक प्रथम पीढी में हों <math>f_0(A) = p</math>, <math>f_0(a) = q</math>, इस प्रकार निर्धारित कि <math>p+q=1</math>। इस पीढी की संतति से युक्त द्वितीय पीढी में क्रमशः AA, Aa, तथा aa जीनोटाइप की आवृत्तियाँ लीजिये <math>f_1(AA)</math>, <math>f_1(Aa)</math>, तथा <math>f_1(aa)</math>, इस प्रकार निर्धारित कि <math>f_1(AA) + f_1(Aa) + f_1(aa) = 1</math>। ये आवृत्तियाँ <math>p</math> तथा <math>q</math> में संभावनाओं के रूप में लिखी जा सकती हैं:

Table 1: हार्डी-वेनबर्ग नियम का पनेट स्क्वैर
मादा
A (p) a (q)
नर A (p) AA (p2) Aa (pq)
a (q) Aa (qp) aa (q2)

<math>f_1(AA) = p^2</math>
<math>f_1(Aa) = pq + qp = 2pq</math>
<math>f_1(aa) = q^2</math>

अब द्वितीय पीढी के हर प्राणी में एक जीनोटाइप का कोई भी अलील या तो माता से आ सकता है या पिता से। जैसे अगर संतान में A है, तो उसके माता-पिता या तो दोनो से एक एक A प्राप्त हुआ होगा, अथवा आधी संभावना के साथ केवल किसी एक में से A प्राप्त हुआ होगा (इसी समान a के लिए)। अतः इस द्वितीय पीढी में A की आवृत्ति होगी

<math>f_1(A) = f_1(AA) + \frac{1}{2}f_1(Aa) = p^2 + \frac{1}{2}(2pq) = p(p+q) = p = f_0(A)</math>
<math>f_1(a) = f_1(aa) + \frac{1}{2}f_1(Aa) = q^2 + \frac{1}{2}(2pq) = q(p+q) = q = f_0(a)</math>

जिससे यह सिद्ध होता है कि दोनो अलील की आवृत्तियाँ पीढी दर पीढी अपरिवर्तनीय रहेंगी। हमने यहाँ <math>p+q=1</math> का ऊपर प्रयोग किया है।

प्राकृतिक चयन का प्रभाव

ऊपर दिये गए आदर्शों का संपूर्णतः कोई भी जनसंख्या पालन नहीं कर पाएगी क्योंकि प्रवास, परिवर्तन, या प्राकृतिक चयन किसी भी जनसंख्या में लगातार चलते रहते हैं। इनके ही कारण कई बार कुछ दृश्य स्वरूप नष्ट होने लगते हैं तो इन्हीं के कारण नए स्वरूप भी प्रकट होते और प्रफुल्लित होते रहते हैं। इसी बात को स्पष्ट करने हेतु हम प्राकृतिक चयन का उदाहरण ले सकते हैं। [४]

फ़िरसे एक आदर्श जनसंख्या की कल्पना कीजिये और किसी स्वरूप के दो युग्मविकल्पियों A तथा a की प्रारंभिक आवृत्तियाँ, सारी पीढी के उद्भव के तुरंत उपरांत, लीजिये <math>f_0(A) = p</math> एवं <math>f_0(a) = q</math>। अब मान लीजिये कि क्रमशः किसी भी AA, Aa, या aa प्रकार के प्राणि के प्रजनन करने तक जीवित रहने की संभावना <math>\omega_{AA}</math>, <math>\omega_{Aa}</math>, अथवा <math>\omega_{aa}</math> है। अगर ये तीनो बराबर होते, तो इन प्रकारों के प्राणियों का अनुपात होताः
<math>f_0(AA):f_0(Aa):f_0(aa) = p^2:2pq:q^2 </math> (हार्डी-वेनबर्ग नियम)
तथा यही अनुपात अगली पीढी के प्राणियों में भी जाता।

किंतु चयन के कारण अब यही अनुपात बदलकर हो जाएगा:
<math>f_0(AA):f_0(Aa):f_0(aa) = f_1(AA):f_1(Aa):f_1(aa) = p^2\omega_{AA}:2pq\omega_{Aa}:q^2\omega_{aa}</math>
जिससे हम पाएँगे कि अगली पीढी के बच्चों में
<math>f_1(A) = f_1(AA) + \frac{1}{2}f_1(Aa) = \frac{p^2\omega_{AA}+pq\omega_{Aa}}{p^2\omega_{AA}+2pq\omega_{Aa}+q^2\omega_{aa}} = p\frac{\omega_A}{\bar{\omega}}</math>
<math>f_1(a) = f_1(aa) + \frac{1}{2}f_1(Aa) = \frac{q^2\omega_{aa}+pq\omega_{Aa}}{p^2\omega_{AA}+2pq\omega_{Aa}+q^2\omega_{aa}} = q\frac{\omega_a}{\bar{\omega}}</math>
जो कि सामान्य तौर पर <math>p</math> और <math>q</math> से भिन्न होंगे। यहाँ <math>\omega_A = p\omega_{AA}+q\omega_{Aa}</math>, <math>\omega_a = q\omega_{aa} + p\omega_{Aa}</math>, तथा <math>\bar{\omega} = p^2\omega_{AA}+2pq\omega_{Aa}+q^2\omega_{aa}</math>। यदि <math>\omega_{A} > \bar{\omega}</math>, तो जनसंख्या में A की संख्या पीढी दर पीढी बढती जाएगी और चयन A के अनुकूल होगा; परंतु यदि <math>\omega_{A} < \bar{\omega}</math>, तो A की आवृत्ति घटती चली जाएगी, अर्थात्‌ चयन A के द्वारा निश्चित दृश्य (या अदृश्य) स्वरूप के प्रतिकूल स्थिति के द्वारा होता होगा।

सन्दर्भ

साँचा:reflist

  1. Falconer, Douglas; Mackay, Trudy. 1995. "Introduction to Quantitative Genetics". Longman (4 Ed.). ISBN 978-0582243026
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. Strickberger, Monroe. 1985. "Genetics". Prentice Hall College Div; 3 Sub edition (January 1985). ISBN 978-0024181206
  4. Hastings, Alan. 1997. "Population Biology: Concepts and Models". Springer New York. ISBN 978-0-387-94853-9