सोनिया गांधी
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सोनिया गांधी | |
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष
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पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 10 अगस्त 2019 | |
पूर्वा धिकारी | राहुल गांधी |
पद बहाल 14 मार्च 1998 – 16 दिसम्बर 2017 | |
पूर्वा धिकारी | सीताराम केसरी |
उत्तरा धिकारी | राहुल गांधी |
यूपीए की कुर्सी में
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पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 6 मई 2004 | |
पूर्वा धिकारी | कार्यालय की स्थापना |
Chair of the National Advisory Council
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पद बहाल 29 मार्च 2010 – 25 May 2014 | |
प्रधानमंत्री | मनमोहन सिंह |
पूर्वा धिकारी | कार्यालय की स्थापना |
उत्तरा धिकारी | स्थान समाप्त |
पद बहाल 4 जून 2004 – 23 मार्च 2006 | |
प्रधानमंत्री | मनमोहन सिंह |
पूर्वा धिकारी | कार्यालय की स्थापना |
उत्तरा धिकारी | कार्यकाल समाप्त |
पद बहाल 19 मार्च 1998 – 22 मई 2004 | |
पूर्वा धिकारी | शरद पवार |
उत्तरा धिकारी | एल॰ के॰ आडवाणी |
संसद सदस्य, लोकसभा
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पदस्थ | |
कार्यालय ग्रहण 2004 | |
पूर्वा धिकारी | सतीश शर्मा |
चुनाव-क्षेत्र | राय बरेली |
पद बहाल 10 अक्टूबर 1999 – 17 मई 2004 | |
पूर्वा धिकारी | संजय सिंह |
उत्तरा धिकारी | राहुल गांधी |
चुनाव-क्षेत्र | अमेठी |
जन्म | साँचा:br separated entries |
जन्म का नाम | सोनिया माइनो |
नागरिकता | इटली साँचा:small भारत साँचा:small |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | साँचा:marriage |
संबंध | देखें: नेहरू-गांधी परिवार |
बच्चे | साँचा:hlist |
निवास | 10 जनपथ, नई दिल्ली |
शैक्षिक सम्बद्धता | बेल एजुकेशन ट्रस्ट |
हस्ताक्षर | सोनिया गांधी's signature |
साँचा:center |
सोनिया गांधी (पहले: माइनो; जन्म: ९ दिसम्बर १९४६) भारतीय राजनेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष हैं।[१] वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल पार्टी के इतिहास में सबसे लंबा है, जिसमें उन्होंने २००४ और २००९ में केंद्र में सरकार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई। वह फोर्ब्स की सबसे शक्तिशाली महिलाओ की सूची में अनेकों बार जगह बनाई है।
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष थीं । सम्प्रति वे रायबरेली, उत्तरप्रदेश से सांसद हैं और इसके साथ ही वे १५वीं लोक सभा में न सिर्फ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बल्कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की भी प्रमुख हैं। वे १४वीं लोक सभा में भी यूपीए की अध्यक्ष थीं। श्रीमती गांधी कांग्रेस के १३२ वर्षो के इतिहास में सर्वाधिक लंबे समय तक रहने वाली अध्यक्ष हैं (१९९८ से २०१७)।
व्यक्तिगत जीवन
इनका जन्म वैनेतो, इटली के क्षेत्र में विसेन्ज़ा से २० कि॰मी॰ दूर स्थित एक छोटे से गाँव लूसियाना में हुआ था। उनके पिता स्टेफ़िनो मायनो एक फासीवादी सिपाही थे, जिनका निधन १९८३ में हुआ। उनकी माता पाओलो मायनों हैं। उनकी दो बहनें हैं। उनका बचपन टूरिन, इटली से ८ कि॰मी॰ दूर स्थित ओर्बसानो में व्यतीत हुआ। १९६४ में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में बेल शैक्षणिक निधि के भाषा विद्यालय में अंग्रेज़ी भाषा का अध्ययन करने गयीं जहाँ उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई जो उस समय ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज में पढ़ते थे। १९६८ में दोनों का विवाह हुआ जिसके बाद वे भारत में रहने लगीं। राजीव गाँधी के साथ विवाह होने के 17 साल बाद उन्होंने १९८३ में भारतीय नागरिकता स्वीकार की। उनकी दो संतान हैं - एक पुत्र राहुल गाँधी और एक पुत्री प्रियंका वाड्रा[२]
राजनीतिक जीवन
पति की हत्या होने के पश्चात कांग्रेस के वरिष्ट नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा कर दी परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और राजनीति और राजनीतिज्ञों के प्रति अपनी घृणा और अविश्वास को इन शब्दों में व्यक्त किया कि, "मैं अपने बच्चों को भीख मांगते देख लूँगी, परंतु मैं राजनीति में कदम नहीं रखूँगी।" काफ़ी समय तक राजनीति में कदम न रख कर उन्होंने अपने बेटे और बेटी का पालन-पोषण करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उधर पी वी नरसिंहाराव के प्रधानमंत्रित्व काल के पश्चात् कांग्रेस १९९६ का आम चुनाव भी हार गई, जिससे कांग्रेस के नेताओं ने फिर से नेहरु-गांधी परिवार के किसी सदस्य की आवश्यकता अनुभव की।साँचा:cn उनके दबाव में सोनिया गांधी ने १९९७ में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और उसके ६२ दिनों के अंदर १९९८ में वो कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उन्होंने सरकार बनाने की असफल कोशिश भी की। राजनीति में कदम रखने के बाद उनका विदेश में जन्म हुए होने का मुद्दा उठाया गया। उनकी कमज़ोर हिन्दी को भी मुद्दा बनाया गया। उन पर परिवारवाद का भी आरोप लगा लेकिन कांग्रेसियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा और इन मुद्दों को नकारते रहे।
सोनिया गांधी अक्टूबर १९९९ में बेल्लारी, कर्नाटक से और साथ ही अपने दिवंगत पति के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी, उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ीं और करीब तीन लाख वोटों की विशाल बढ़त से विजयी हुईं। १९९९ में १३वीं लोक सभा में वे विपक्ष की नेता चुनी गईं।
२००४ के चुनाव से पूर्व आम राय ये बनाई गई थी कि अटल बिहारी वाजपेयी ही प्रधान मंत्री बनेंगे पर सोनिया ने देश भर में घूमकर खूब प्रचार किया और सब को चौंका देने वाले नतीजों में यूपीए को अनपेक्षित २०० से ज़्यादा सीटें मिली। सोनिया गांधी स्वयं रायबरेली, उत्तर प्रदेश से सांसद चुनी गईं। वामपंथी दलों ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिये कांग्रेस और सहयोगी दलों की सरकार का समर्थन करने का फ़ैसला किया जिससे कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों का स्पष्ट बहुमत पूरा हुआ। १६ मई २००४ को सोनिया गांधी १६-दलीय गंठबंधन की नेता चुनी गईं जो वामपंथी दलों के सहयोग से सरकार बनाता जिसकी प्रधानमंत्री सोनिया गांधी बनती। सबको अपेक्षा थी की सोनिया गांधी ही प्रधानमंत्री बनेंगी और सबने उनका समर्थन किया। परंतु एन डी ए के नेताओं ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर आक्षेप लगाए। सुषमा स्वराज और उमा भारती ने घोषणा की कि यदि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो वे अपना सिर मुँडवा लेंगीं और भूमि पर ही सोयेंगीं। १८ मई को उन्होने मनमोहन सिंह को अपना उम्मीदवार बताया और पार्टी को उनका समर्थन करने का अनुरोध किया और प्रचारित किया कि सोनिया गांधी ने स्वेच्छा से प्रधानमंत्री नहीं बनने की घोषणा की है। कांग्रेसियों ने इसका खूब विरोध किया और उनसे इस फ़ैसले को बदलने का अनुरोध किया पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनना उनका लक्ष्य कभी नहीं था। सब नेताओं ने मनमोहन सिंह का समर्थन किया और वे प्रधानमंत्री बने पर सोनिया को दल का तथा गठबंधन का अध्यक्ष चुना गया।
राष्ट्रीय सुझाव समिति का अध्यक्ष होने के कारण सोनिया गांधी पर लाभ के पद पर होने के साथ लोकसभा का सदस्य होने का आक्षेप लगा जिसके फलस्वरूप २३ मार्च २००६ को उन्होंने राष्ट्रीय सुझाव समिति के अध्यक्ष के पद और लोकसभा का सदस्यता दोनों से त्यागपत्र दे दिया। मई २००६ में वे रायबरेली, उत्तरप्रदेश से पुन: सांसद चुनी गईं और उन्होंने अपने समीपस्थ प्रतिद्वंदी को चार लाख से अधिक वोटों से हराया। २००९ के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर यूपीए के लिए देश की जनता से वोट मांगा। एक बार फिर यूपीए ने जीत हासिल की और सोनिया यूपीए की अध्यक्ष चुनी गईं।
महात्मा गांधी की वर्षगांठ के दिन २ अक्टूबर २००७ को सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित किया। १० अगस्त २०१९ को उनको पुनः कांग्रेस पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
बाहरी कड़ियाँ
- लेख जिनका अप्रैल 2020 से लहजा ठीक नहीं है
- लेख जिनमें अप्रैल 2020 से दृष्टिकोण संबंधी विवाद हैं
- सभी दृष्टिकोण संबंधी विवाद
- Articles with multiple maintenance issues
- जीवित लोग
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ
- नेहरू-गाँधी परिवार
- १५वीं लोकसभा के सदस्य
- १६वीं लोक सभा के सदस्य
- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष
- भारत के प्रधानमंत्री की जीवनसंगी
- १७वीं लोक सभा के सदस्य