सूचना क्रांति

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सूचना क्रांति (information revolution) वर्तमान समय के आर्थिक, सामाजिक एवं तकनीकी प्रगति को इंगित करता है जो औद्योगिक क्रांति के अतिरिक्त है।

सूचना क्रांति के सिद्धान्त

  • आर्थिक गतिविधियों के उद्देश्य को पदार्थ, उर्जा तथा सूचना के मौलिक भेद के अनुसार समझा जा सकता है।
  • सूचना, उत्पादन का एक घटक (factor of production) भी है और एक बाजार में बेचा जाने वाला उत्पाद (product) भी है।
  • सभी उत्पादों का 'उपयोग मूल्य', 'विनिमय मूल्य' एवं 'सूचना मूल्य' होते हैं। सूचना मूल्य को उस उत्पाद में निहित 'सूचना' (नवाचार, डिजाइन आदि के रूप में) द्वारा मापा जा सकता है।
  • सभी उद्योग सूचना-उत्पादक कार्य करते हैं जिसे 'अनुसंधान तथा विकास' (Research and Development (R&D)) कहते हैं।
  • कम्पनियाँ (और सम्पूर्ण समाज) सूचना-नियंत्रण एवं सूचना-प्रक्रमण (information control and processing) करते हैं जो उनके 'प्रबन्धन ढांचों' के रूप में होता है। इनको 'सफेद कॉलर कर्मिक', 'ब्यूरोक्रैसी', प्रबंधन-कार्य' आदि कहते हैं।
  • श्रम को उसके उद्देश्य के अनुसार दो भागों में बांट सकते हैं - सूचना श्रमिक एवं गैर-सूचना श्रमिक।
  • सूचना से संबन्धित गतिविधियाँ अब एक नया और बड़ा आर्थिक सेक्टर हैं। पारम्परिक 'प्राथमिक सेक्तर', 'द्वितियक सेक्टर' एवं 'तृतीयक सेक्टर' के अलावा अब सूचना सेक्टर का भी अस्तित्व है।

सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों की जानकारी

सूचना क्रांति की मुख्य विशेषता सूचना की बढ़ती आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी भूमिका है।[१] सूचना-संबंधी गतिविधियाँ सूचना क्रांति के साथ नहीं आईं। वे सभी मानव समाजों में, किसी न किसी रूप में मौजूद थे, और अंततः प्लैटोनिक अकादमी, अरिस्टोटल पेरिपेटेटिक स्कूल लिसेयुम में संस्थानों के रूप में विकसित हुए। , संग्रहालय और अलेक्जेंड्रिया का पुस्तकालय, या बीलोनियन खगोल विज्ञान के स्कूल। ब्रिटिश कृषि क्रांति|कृषि क्रांति और औद्योगिक क्रांति तब सामने आए जब व्यक्तिगत नवप्रवर्तनकर्ताओं, या वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा नए सूचनात्मक इनपुट तैयार किए गए। सूचना क्रांति के दौरान इन सभी गतिविधियों में निरंतर वृद्धि हो रही है, जबकि अन्य सूचना-उन्मुख गतिविधियाँ उभर रही हैं। सूचना कई नए विज्ञानों का केंद्रीय विषय है, जो 1940 के दशक में उभरा, जिसमें शैनन's (1949) सूचना सिद्धांत शामिल हैं। और वीनर's (1948) साइबरनेटिक्स। वीनर ने कहा: "सूचना सूचना है न कि पदार्थ या ऊर्जा"। यह सूत्र बताता है कि जानकारी को पदार्थ और ऊर्जा के साथ ब्रह्मांड के तीसरे घटक भाग के रूप में माना जाना चाहिए; जानकारी पदार्थ या ऊर्जा द्वारा ले जाया जाता है। 1990 के दशक तक कुछ लेखकों का मानना था कि सूचना क्रांति द्वारा निहित परिवर्तन न केवल सरकार के लिए एक वित्तीय संकट का कारण बनेगा, बल्कि सभी "बड़े ढांचे" का विघटन भी होगा।".[२]

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. Krishnapuram, Raghu (September 2013). "सूचना प्रौद्योगिकी में वैश्विक रुझान और उनके निहितार्थ". 2013 1st International Conference on Emerging Trends and Applications in Computer Science. IEEE: v. doi:10.1109/icetacs.2013.6691382. ISBN 978-1-4673-5250-5.
  2. साँचा:cite book

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