सुखोई/एचएएल एफजीएफए
एफजीएफए FGFA / PMF | |
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एक रूसी टी-50 (एसयू-57 प्रोटोटाइप), जिस पर एफजीएफए आधारित है। | |
प्रकार | स्टैल्थ मल्टीरोल/एयर श्रेष्ठता लड़ाकू विमान |
साँचा:nowrap | साँचा:flag/core / साँचा:flag/core |
उत्पादक | हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड |
स्थिति | विकासाधीन[१] |
प्राथमिक उपयोक्ता | भारतीय वायु सेना |
साँचा:nowrap | अमेरिकी डॉलर 30 अरब (अनुमानित)[२] |
साँचा:nowrap | अमेरिकी $10 करोड़ (अनुमानित)[३][४] |
साँचा:nowrap | सुखोई एसयू-57 |
सुखोई/एचएएल पाँचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) या पर्सपेक्टिव मल्टी-रोल फाइटर ( Sukhoi/HAL Fifth Generation Fighter Aircraft (FGFA) or Perspective Multi-role Fighter) भारत और रूस द्वारा विकसित पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। यह रूसी सुखोई एसयू-57 की एक व्युत्पन्न परियोजना है जिसे रूसी वायु सेना के लिए विकसित किया जा रहा है। एफजीएफए भारतीय संस्करण के लिए कहा जाता है जबकि संयुक्त परियोजना को अब पर्सपेक्टिव मल्टी-रोल फाइटर (पीएमएफ) कहा जाता है।
पूर्ण एफजीएफए में सुखोई एसयू-57 के कुल 43 सुधार शामिल होंगे, जिसमें स्टैल्थ, सुपरक्रूज़, उन्नत सेंसर, नेटवर्किंग और लड़ाकू एविऑनिक्स शामिल हैं। एफजीएफए के दो अलग-अलग प्रोटोटाइप विकसित किए जाएंगे, एक रूस द्वारा और भारत द्वारा। भारतीय संस्करण मे पायलट और सह-पायलट/हथियार सिस्टम ऑपरेटर (डब्ल्यूएसओ) के लिए दो सीट होगी।
विकास
ब्रह्मोस परियोजना की सफलता के बाद, रूस और भारत ने 2007 की शुरुआत में एक पांचवें जनरेशन लड़ाकू विमान (एफजीएफए) प्रोग्राम का अध्ययन और विकास करने के लिए सहमति व्यक्त की।[५][६] 27 अक्टूबर 2007 को एशिया टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में सुखोई के निदेशक मिखाइल पॉोगोसयन ने कहा: "हम 50-50 अनुपात में फंडिंग, इंजीनियरिंग और बौद्धिक संपदा को साझा करेंगे।"[७]
11 सितंबर 2010 को, यह बताया गया था कि भारत और रूस प्रारंभिक डिजाइन अनुबंध पर सहमत हुए थे। और इसे कैबिनेट की मंजूरी को भेजा जाएगा। संयुक्त विकास सौदे में प्रत्येक देश 6 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा और एफजीएफए लड़ाकू विमान का विकास करने में 8-10 साल लगेंगे।[८] दिसंबर 2010 में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रूसी कंपनियों रोसोबोरोन एक्सपोर्ट और सुखोई के बीच भारत-रूस लड़ाकू विमान के प्रारंभिक डिजाइन के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ था।
कार्यक्रम को जारी रखने के लिए भारत की अनिच्छा
2 सितंबर, 2017 को, भारतीय वायु सेना ने रखरखाव कार्यक्रमों की मांग और परियोजना के साथ आगे बढ़ने के लिए अनिच्छा जताई। जिसमे मुख्य कारणों के रूप में उच्च रखरखाव की लागत का उल्लेख किया। भारतीय वायु सेना ने बताया कि एफजीएफए लड़ाकू विमान के रखरखाव मे बहुत ज्यादा लागत आने वाली है।[९] भारत का रूसी लड़ाकू विमानों के साथ एक लंबा अनुभव है क्यूकी भारत लगभग 200 सुखोई एसयू-30 संचालित करता हैं।.[१०] पांच भारतीय सुखोई एसयू-30 पिछले पांच वर्षों में दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं, जिस पर भारत ने बीयरिंग विफलताओं को कारण बताया। भारत चीन के चेंगदू जे-20 स्टैल्थ लड़ाकू विमान के बराबर वाली क्षमता के लिए अपना पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू का उत्पादन करना पसंद कर रहा है।[११]
निर्दिष्टीकरण (अनुमानित)
इनमें से अधिकांश आंकड़े सुखोई टी-50 प्रोटोटाइप के लिए होते हैं। एचएएल एफजीएफए के बारे मे अभी ज्यादा जानकारी नहीं है।
इन्हें भी देखें
- एचएएल तेजस
- एचएएल उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान
- सुखोई एसयू-57
- सुखोई एसयू-30
- चेंगदू जे-20 (चीनी लड़ाकू विमान)
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ Luthra, Gulshan. "IAF decides on 144 Fifth Generation Fighters." स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। India Strategic, October 2012.
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ "India, Russia to Ink gen-5 fighter pact." स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Business standard. Retrieved: 19 November 2012.
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