साहिब सिंह वर्मा
साहिब सिंह वर्मा | |
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चित्र:Sahib-Singh-Verma.jpg साहिब सिंह वर्मा (सौजन्य से: एशिया ऑब्जर्वर) | |
जन्म |
15 मार्च 1943 ग्राम मुण्डका, दिल्ली, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु |
30 जून 2007 (64 वर्ष) दिल्ली-जयपुर हाईवे पर राजस्थान, भारत |
मृत्यु का कारण | कार-दुर्घटना |
प्रसिद्धि कारण | दिल्ली के मुख्य मंत्री |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू |
जीवनसाथी | साहिब कौर |
बच्चे | 2 पुत्र व 3 पुत्रियाँ |
साहिब सिंह वर्मा (अंग्रेजी: Sahib Singh Verma, जन्म:15 मार्च 1943 - मृत्यु: 30 जून 2007) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व तेरहवीं लोक सभा के सांसद (1999–2004) थे।[१] 2002 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सरकार में श्रम मन्त्री नियुक्त किया। इससे पूर्व साहब सिंह 1996 से 1998 तक दिल्ली प्रदेश के मुख्यमन्त्री भी रहे।
30 जून्, 2007 को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर एक कार-दुर्घटना में अचानक उनका देहान्त हो गया। उस समय वे सीकर जिला से नीम का थाना में एक विद्यालय की आधारशिला रखकर वापस अपने घर दिल्ली आ रहे थे।[२]
संक्षिप्त जीवनी
साहिब सिंह का जन्म 15 मार्च 1943 को वर्तमान बाहरी दिल्ली के मुण्डका गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी माँ का नाम भरपाई देवी व पिता का नाम मीर सिंह था। उन्होंने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामान्य स्वयंसेवक के रूप में की। बाद में उन्होंने अपनी निष्ठा और कर्मठता के बल पर राजनीति के महत्वपूर्ण पदों को भी हासिल किया। .
साहिब सिंह ने एम०ए० करने के पश्चात अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ से पुस्तकालय विज्ञान में पी०एचडी० की डिग्री ली और शहीद भगतसिंह कॉलेज दिल्ली में लाइब्रेरियन के रूप में नौकरी कर ली। मुख्यमन्त्री बनने से पूर्व तक वे लाइब्रेरियन रहे।[३]
साहिब सिंह का विवाह 1954 में मात्र ग्यारह वर्ष की आयु में उन्हीं की नामाराशी एक कन्या साहिब कौर से कर दिया गया, जिनसे उनके पाँच सन्तान हुईं; दो बेटे व तीन बेटियाँ। उनका पूरा परिवार मुण्डका गाँव में अभी भी रहता है।[४] [५]
राजनीतिक कैरियर
सन 1977 में वे पहली बार दिल्ली नगर निगम के पार्षद चुने गये। पार्षद के पद की शपथ उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी गुरु राधा किशन के नाम पर ली थी। प्रारम्भ में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था लेकिन जनता पार्टी के टूटने के बाद वे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की हैसियत से चुनाव जीते। मदन लाल खुराना की सरकार में उन्हें सन 1993 में शिक्षा और विकास मन्त्रालय का महत्वपूर्ण मन्त्रीपद सौंपा गया जिस पर रहते हुए उन्होंने कई अच्छे कार्य किये। इसका यह परिणाम हुआ कि1996 में जब भ्रष्टाचार के आरोप में मदनलाल खुराना ने त्याग पत्र दिया तो दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान साहिब सिंह को ही दी गयी।[६] न्यायालय द्वारा खुराना को भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त कर दिये जाने के बावजूद साहिब सिंह लगभग ढाई वर्ष तक मुख्यमन्त्री बने रहे। इससे खुराना के मन में उनके प्रति प्रतिशोध की भावना जागृत हुई। आगे चलकर जब दिल्ली में प्याज के दामों में बेतहाशा बृद्धि हुई और उस पर नियन्त्रण नहीं हुआ तो साहिब सिंह को मुख्यमन्त्री पद से हटाकर सुषमा स्वराज को उस कुर्सी पर बिठाया। साहिब सिंह ने सरकारी आवास तत्काल खाली कर दिया और डी०टी०सी० की बस में बैठकर पूरे परिवार सहित अपने गाँव मुण्डका चले गये।
उनके इस कार्य से जनता में उनकी लोकप्रियता का ग्राफ काफी तेजी से बढा और 1999 का लोकसभा चुनाव उन्होंने बाहरी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से दो लाख से अधिक मतों के अन्तर से जीता।[७] 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने एन०डी०ए० सरकार में उन्हें श्रम और नियोजन मन्त्रालय का दायित्व सौंपा। उन्होंने ब्यूरोक्रेसी के पेंच कसते हुए कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज की दरों को कम करने से रोका। उनके इस कार्य को मीडिया ने ए बुल इन चाइना शॉप कहकर सराहना की। इसके वाबजूद वे 2004 का लोक सभा चुनाव हार गये।
दिल्ली के शिक्षक समुदाय में साहिब सिंह काफी लोकप्रिय थे। हरीभूमि के नाम से प्रकाशित होने वाला एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्र उन्हीं के स्वामित्व में निकलता था।
कार दुर्घटना में मृत्यु
असाधारण रूप से ऊपर जाते हुए उनकी लोकप्रियता के ग्राफ को अचानक उस दिन ब्रेक लगा जब 30 जून 2007 को सीकर जिला स्थित नीम का थाना में एक विद्यालय की आधारशिला रखकर वे टाटा सफारी कार से दिल्ली वापस लौट रहे थे। विपरीत दिशा में तेजी से आ रहे एक ट्रक ने किसी सायकिल सवार को बचाने के चक्कर में अपना सन्तुलन खो दिया और वह रोड डिवाइडर को लाँघता हुआ उनकी कार से टकरा गया। आमने-सामने की यह टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि साहिब सिंह के साथ उनकी कार का चालक देवेश, उनका सहायक नरेश अग्रवाल व सुरक्षा कर्मी जसवीर सिंह सभी उस दुर्घटना में मारे गये। उनकी कार भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी। काफी मशक्कत के बाद गम्भीर रूप से घायल सभी चार लोगों को कार में से बाहर निकाल कर उपचार हेतु पास के ही शाहजहाँपुर सिविल अस्पताल ले जाया गया जहाँ काफी प्रयास के बावजूद उनमें से किसी को भी बचाया न जा सका।[८]
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ द हिन्दूसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।