साँचा:आज का आलेख १६ सितंबर २००९

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उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्ध में रेडियोकार्बन स्तर
कार्बन काल-निर्धारण विधि का प्रयोग पुरातत्व-जीव विज्ञान में जंतुओं एवं पौधों के प्राप्त अवशेषों के आधार पर जीवन काल, समय चक्र का निर्धारण करने में किया जाता है। इसमें कार्बन-१२ एवं कार्बन-१४ के मध्य अनुपात निकाला जाता है। कार्बन के दो स्थिर अरेडियोधर्मी समस्थानिक: कार्बन-१२ (12C), और कार्बन-१३ (१३C) होते हैं। इनके अलावा एक अस्थिर रेडियोधर्मी समस्थानिक (१३C) के अंश भी पृथ्वी पर मिलते हैं। अर्थात कार्बन-१४ का एक निर्धारित मात्रा का नमूना ५७३० वर्षों के बाद आधी मात्रा का हो जाता है। ऐसा रेडियोधर्मिता क्षय के कारण होता है। कार्बन के दूसरे समस्थाकनिकों का वायुमंडल से संपर्क विच्छेद और कार्बन-द्वि-ओषिद न बनने के कारण उनके आपस के अनुपात में अंतर हो जाता है। पृथ्वी में दबे कार्बन में उसके समस्थानिकों का अनुपात जानकर उसके दबने की आयु का पता लगभग शताब्दी में कर सकते हैं।  विस्तार में...