सद्दाम हुसैन

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मार्शल
सद्दाम हुसैन
Saddam Hussein

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Saddam Hussain 1980 (cropped).jpg
1980 में सद्दाम हुसैन का आधिकारिक चित्र

पद बहाल
16 जुलाई 1979 – 9 अप्रैल 2003
प्रधानमंत्री
पूर्वा धिकारी अहमद हसन अल वकर
उत्तरा धिकारी जे गार्नर (इराक के पुनर्निर्माण और मानवीय सहायता के लिए कार्यालय के निदेशक)

इराक के क्रांतिकारी कमान परिषद के अध्यक्ष
पद बहाल
16 जुलाई 1979 – 9 अप्रैल 2003
पूर्वा धिकारी अहमद हसन अल वकर
उत्तरा धिकारी स्थिति को समाप्त कर दिया

पद बहाल
29 मई 1994 – 9 अप्रैल 2003
राष्ट्रपति स्वयं
पूर्वा धिकारी अहमद हुसैन खुदायिर अस-समरराई
उत्तरा धिकारी मोहम्मद बह्र अल-उल्म (इराक के गवर्निंग काउंसिल के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में)
पद बहाल
16 जुलाई 1979 – 23 मार्च 1991
राष्ट्रपति स्वयं
पूर्वा धिकारी अहमद हसन अल-बक्र
उत्तरा धिकारी सादुन हम्मदी

अरब समाजवादी बाथ पार्टी के राष्ट्रीय कमान के महासचिव
पद बहाल
जनवरी 1992 – 30 दिसंबर 2006
पूर्वा धिकारी मिशेल अफलाक
उत्तरा धिकारी पद खाली

इराकी क्षेत्रीय शाखा के क्षेत्रीय कमांड के क्षेत्रीय सचिव
पद बहाल
16 जुलाई 1979 – 30 दिसंबर 2006
राष्ट्रीय सचिव मिशेल अफ्लाक (1989 से)
स्वयं(1989 तक)
पूर्वा धिकारी अहमद हसन अल-बक्र
उत्तरा धिकारी ज्जत इब्राहिम ऑड-डौरी
पद बहाल
फरवरी 1964 – अक्टूबर 1966
पूर्वा धिकारी अहमद हसन अल-बक्र
उत्तरा धिकारी अहमद हसन अल-बक्र

इराकी क्षेत्रीय शाखा के क्षेत्रीय कमान के सदस्य
पद बहाल
फरवरी 1964 – 9 अप्रैल 2003

इराक के उपराष्ट्रपति
पद बहाल
17 जुलाई 1968 – 16 जुलाई 1979
राष्ट्रपति अहमद हसन अल-बक्र

जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
जन्म का नाम सद्दाम हुसैन अब्द अल-माजिद अल-टिकरी
राष्ट्रीयता इराक
राजनीतिक दल अरब समाजवादी बाथ पार्टी (1957–1966)
बगदाद स्थित बाथ पार्टी
(1966–2006)
अन्य राजनीतिक
संबद्धताऐं
नेशनल प्रोग्रेसिव फ्रंट (इराक)
(1974–2003)[१][२]
जीवन संगी साजिदा तलफ
समीरा शाहबंदहार
बच्चे उदय हुसैन (मृतक)
कुसई हुसैन (मृतक)
रागद हुसैन
रना हुसैन
हला हुसैन
धर्म सुन्नी इस्लाम
हस्ताक्षर
सैन्य सेवा
निष्ठा साँचा:flagcountry
सेवा/शाखा इराकी सशस्त्र बल
पद मार्शल
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सद्दाम हुसैन अब्द अल-माजिद अल-तिक्रिती (अरबी: صدام حسين عبد المجيد التكريتي) दो दशक तक (16 जुलाई, 1979 से 9 अप्रैल, 2003 तक) इराक़ के राष्ट्रपति रह चुके है। उन्हें 30 दिसम्बर 2006 को उत्तरी बगदाद में स्थानीय समय के अनुसार सुबह ६ बजे फाँसी दी गई थी[३][४]

३१ वर्ष की आयु में सद्दाम हुसैन ने जनरल अहमद अल बक्र के साथ मिल कर इराक की सत्ता हासिल की। 1979 में वह खुद इराक के राष्ट्रपति बन गए। सन् 1982 में इराक में हए दुजैल जनसंहार मामले में फाँसी की सजा मिली।

जीवनी

२००४ में सद्दाम हुसैन

सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 को बग़दाद के उत्तर में स्थित तिकरित के पास अल-ओजा गांव में हुआ था। उनके मजदूर पिता उनके जन्म के पहले ही दिवंगत हो चुके थे। उनकी मां ने अपने देवर से शादी कर ली थी लेकिन बच्चे की परवरिश की खातिर उसे जल्द ही तीसरे व्यक्ति से शादी करनी पड़ी। उस दौर का तिकरित अपनी वीभत्सताओं के लिए कुख्यात था। इन परिस्थितियों ने सद्दाम को बचपन में ही भयानक रूप से शक्की और निर्दयी बना दिया। बच्चों के हाथों पिटने के भय से बाल सद्दाम हमेशा अपने पास एक लोहे की छड़ी रखते थे। और जब-तब इससे जानवरों की पिटाई किया करता थे।

किशोरावस्था में कदम रखते-रखते वह विद्रोही हो गए और ब्रिटिश नियंत्रित राजतंत्र को उखाड़ फेंकने के लिए चल रहे राष्ट्रवादी आंदोलन में कूद पड़े। हालांकि पश्चिम के अखबार इस आंदोलन को गुंडे-बदमाशों की टोली ही कहता हैं। 1956 में वह बाथ सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। बाथ पार्टी अरब जगत में साम्यवादी विचारों की वाहक फौज थी। सद्दाम उसमें वैचारिक प्रतिबद्धता के कारण नहीं, अपनी दीर्घकालिक रणनीति के तहत शामिल हुए।

वर्ष 1958 में इराक में ब्रिटिश समर्थित सरकार के खिलाफ विद्रोह भड़का और ब्रिगेडियर अब्दुल करीम कासिम ने राजशाही को हटाकर सत्ता अपने हाथों में कर ली। सद्दाम तब बगदाद में पढ़ाई करते थे । तभी उन्होंने 1959 में अपने समूह की मदद से कासिम की हत्या करने की कोशिश की। वह देश से भाग कर मिस्त्र पहुंच गए। चार साल बाद यानी 1963 में कासिम के खिलाफ बाथ पार्टी में फिर बगावत हुई। बाथ पार्टी के कर्नल अब्दल सलाम मोहम्मद आरिफ गद्दी पर बैठे और सद्दाम घर लौट आए। इसी बीच सद्दाम ने साजिदा से शादी की जिससे उनके दो पुत्र और तीन पुत्रियां हुईं।

सद्दाम ज्यादा दिन चैन से नहीं रह पाए। एक बार फिर बाथ पार्टी में बगावत हुई और सद्दाम को नई हुकूमत ने जेल में डाल दिया। वह तब तक जेल मैं रहे जब तक कि 1968 में बाथ पार्टी के मेजर जनरल अहमद हसन अल वकर ने तख्ता पलट कर सत्ता अपने हाथो मैं लेली। अल वकर उनके चचेरे भाई भी लगते थे। वह अल बकर की रिवॉल्यूशनरी कमांड काउंसिल के प्रमुख सदस्य बन गए। सच बात तो यह भी है कि वही बकर की सत्ता के असली कर्त्ता-धर्त्ता थे। शुरुआत में वह बड़े उदार थे लेकिन धीरे-धीरे अपने असली रूप में आ गए। बकर बीमार थे और सत्ता की चाबुक का वही इस्तेमाल करते थे। उन्होंने सुन्नी जगत में अपनी अलग छवि बनाई और परदे के पीछे अपना एक अलग समूह तैयार करते रहे। 16 जुलाई 1979 को अल बकर को सत्ता से हटा कर वह स्वयं इराकी गद्दी पर बैठ गए। वह चाहते तो इस सत्ता परिवर्तन को स्वाभाविक हिंसारहित तख्तापलट का रूप दे सकते थे लेकिन उन्हें तो यह संदेश देना था कि अब सत्ता में सद्दाम आ गया है, इसलिए बगावती तेवर वाले सावधान हो जाएं। उन्होंने एक के बाद एक 66 देशद्रोहियों को मौत के घाट उतार दिया। अपने शासन के आरंभिक वर्षों में सद्दाम हुसैन अमेरिका के लाड़ले थे। उन्होंने ईरान से युद्ध मोल लिया और अमेरिका से मदद ली। रोनाल्ड रेगन ने उनकी मदद की। कैसा विद्रूप है कि हाल में जब रेगन की मृत्यु हुई तो वह उसी अमेरिकी सत्ता की जेल में मौत का इंतजार कर रहें थे

1982 में एक बार दुजैल गांव में उनके ऊपर हमला हुआ था। जिसके जवाब में उन्होंने वहां 148 शियाओं की हत्या करवा दी। वही फैसला आज उनकी फांसी का कारण बना। इसी तरह कुर्दों के ऊपर भी उनके जुल्मों की कथाएं कम दर्दनाक नहीं हैं। हालांकि दस वर्ष तक वह लगातार ईरान से लड़ते रहे, जिससे उनकी छवि एक जुझारू लड़ाके की बनी लेकिन उनकी उलटी गिनती तब शुरू हुई जब उन्होंने 1990 में कुवैत पर कब्जा कर लिया। इससे वह अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठानों की नजरों में आ गए और जल्दी ही खाड़ी युद्ध शुरू हो गया। 42 दिन के युद्ध के बाद इराक अमेरिकी गठबंधन सेनाओं से पराजित तो हुआ पर सद्दाम हुसैन नहीं झुके। इसी वजह से बार-बार अमेरिका को लगता रहा कि वह फिर चुनौती बन सकते हैं। लिहाजा उनके खिलाफ 2003 में फिर युद्ध हुआ और उसके बाद की कहानी हमारे सामने है। वह एक तानाशाह तो थे लेकिन जिस तरह से उन्होंने खुद को अंतरराष्ट्रीय फलक पर पेश किया और अमेरिका के आगे नहीं झुके, उसने उहें वाकई अरब जगत का नायक बना दिया।

सन्दर्भ

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इन्हे भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite book
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