सतत ट्रैक
सतत ट्रैक (Continuous track) गाड़ियों को आगे चलाने की एक विधि है जिसमें सतत सोपान-पादों (treads) का उपयोग किया जाता है जो दो या अधिक पहियों द्वारा चलाये जाते हैं। इसे 'टैंक ट्रेड' के नाम से जाना जाता है क्योंकि टैकों में प्रायः इसका प्रयोग होता है। इसे 'इल्ली ट्रैक' (caterpillar track) भी कहते हैं क्योंकि इसके चलने का तरीका इल्ली के चलने जैसा है।
सेना की गाड़ियों के सतत सोपान-पाद छोटे-छोटे स्टील के प्लेटों के बने होते हैं जबकि कृषि के काम आने वाली और निर्माण कार्य में प्रयुक्त गाड़ियों के सोपान-पाद इस्पात के तारों द्वारा प्रबलित रबर के बने होते हैं। गाड़ी को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक बल इन्ही ट्रैक-पट्टों (band of treads) से मिलता है। इस विधि में जमीन से सम्पर्क का क्षेत्रफल (रबर या स्टील के टायर की तुलना में) अधिक होता है जिससे भूमि पर औसत दाब कम पड़ता है (11,8-118 kN / m ²) जो कि आदमी के पाँव के नीचे की जमीन पर पड़ने वाले दाब से भी कम है। इस कारण ये गाड़ियाँ जमीन में धंसे बिना आसानी से नरम एवं बलुई भूमि पर चलकर निकल जाती हैं। किन्तु इनके कठोर पट्टे पक्की सड़कों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए यदि इन्हें पक्की सड़कों पर चलाना हो तो रबर के बने विशेष पट्टे लगाकर चलाया जा सकता है।
इंजीनियरी संरचना तथा कार्य-विधि
कुछ उदाहरण
- टैंकों के डिजाइन का आधार सतत ट्रैक ही रहा है।
- बुलडोजर में इसी का प्रयोग किया जाता है। तोड़ने के लिए इसके सामने एक ब्लेड लगी होती है।
- कृषि कार्य के लिए प्रयुक्त गाड़ियों में भी कर्षण (traction) के लिए सतत ट्रैक का प्रयोग किया गया है।
- अन्तरिक्ष यान को 'लांच पैड' तक लाने के लिए सतत ट्रैक का प्रयोग किया जाता है।
- रोटोपाला जर्मन बैगर २८८ (rotopala German Bagger 288) विश्व के सबसे बड़े सतत ट्रैक से युक्त गाड़ी है।