संगमील

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राजस्थान के जोधपुर ज़िले में भीकमकोर के पास लगा एक संगमील

संगमील या मील का पत्थर ऐसे पत्थर या चिह्न को कहा जाता है जो किसी मार्ग या सीमा पर हर मील, किलोमीटर, कोस या अन्य दूरी पर लगा हो। उसपर अक्सर कोई संख्या लिखी होती है जिस से वहाँ पर स्थित किसी वाहन या व्यक्ति को ज्ञात हो सकता है के वह उस मार्ग या सीमा पर कहाँ है और अपनी मंज़िल से कितना दूर है। किसी दुर्घटना की स्थिति में पुलीस या सहायता पहुँचाने के लिए भी इन संगमीलों का होना अति आवश्यक है।

अन्य भाषाओँ में

संगमील को अंग्रेज़ी में "माइलस्टोन" (milestone) कहते हैं। संगेमील स्वयं एक संयुक्त शब्द है - संग का अर्थ फ़ारसी में "पत्थर" होता है और मील अंग्रेज़ी का शब्द है, अर्थात संगेमील का अर्थ है "मील वाला पत्थर"। इसकी तुलना संगमरमर शब्द से की जा सकती है, जिसका अर्थ है "मर्मर (मुलायम) वाला पत्थर"। ध्यान रहे के फ़ारसी का "संग" शब्द अवस्ताई भाषा के मूल "असन" शब्द से आया है।[१] क्योंकि संस्कृत ओर फ़ारसी दोनों हिन्द-ईरानी भाषा परिवार की बहने हैं इसलिए ठीक यही सजातीय शब्द संस्कृत में भी "अश्न" रूप में मिलता है ओर ऋग्वेद में प्रयोगित है। इसका अर्थ भी "पत्थर" है।[२]

साहित्य और लोक-संस्कृति में

किसी कार्य या ध्येय की प्राप्ति में "संगमील" शब्द ऐसी सफलताओं के लिए प्रयोग होता है जो व्यक्ति को उस ध्येय की ओर बढ़ाती हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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