श्रावक
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साँचा:sidebar with collapsible lists जैन धर्म में श्रावक शब्द का प्रयोग गृहस्थ के लिए किया गया हैं। श्रावक अहिंसा आदि व्रतों को संपूर्ण रूप से स्वीकार करने में असमर्थ होता हैं किंतु त्यागवृत्तियुक्त, गृहस्थ मर्यादा में ही रहकर अपनी त्यागवृत्ति के अनुसार इन व्रतों को अल्पांश में स्वीकार करता है।[१] श्रावक शब्द का मूल 'श्रवण' शब्द में हैं, अर्थात, वह जो (संतों के प्रवचन) सुनता हैं। [१]
उपासक, अणुव्रती, देशविरत, सागार आदि श्रावक के पर्यायी शब्द हैं। जैन ग्रंथ, तत्वार्थ सूत्र के अनुसार :साँचा:quote
आवयशक
श्रावक के छ: आवयशक बताये गए है
- देव पूजा
- गुरूपास्ति
- स्वाध्याय
- संयम
- तप
- दान