शर्मिष्ठा

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चित्र:Sharmista was questined by Devavayani.jpg
शर्मिष्ठा, ययति और देवयानी

यह राजा वृषपर्वा की पुत्री थी। वृषपर्वा के गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी उसकी सखी थी। एक बार क्रोध से उसने देवयानी को पीटा और कूएँ में डाल दिया। देवयानी को ययाति ने कूएँ से बाहर निकाला। ययाति के चले जाने पर देवयानी उसी स्थान पर खड़ी रही। पुत्री को खोजते हुए शुक्राचार्य वहाँ आए। किंतु देवयानी शर्मिष्ठा द्वारा किए गए अपमान के कारण जाने को राज़ी न हुई। दुःखी शुक्राचार्य भी नगर छोड़ने को तैयार हो गए। जब वृषपर्वा को यह ज्ञात हुआ तो उसने बहुत अनुनय-विनय किया। अंत में शुक्राचार्य इस बात पर रुके कि शर्मिष्ठा देवयानी के विवाह में दासी रूप में भेंट की जाएगी। वृषपर्वा सहमत हो गए और शर्मिष्ठा ययाति के यहाँ दासी बनकर गई। शर्मिष्ठा से ययाति को तीन पुत्र हुए।