वैदिक संस्कृती
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वैदिक-संस्कृति सत्य, सनातन है और वेद को अनादि अथवा ईश्वरीय माना गया है । | क्योंकि मनुष्य और उसकी सभ्यता के बारे में सबसे प्राचीन इतिहास भी इसी संस्कृति की देन है | जिसमें ऋषियों द्धारा मानव समाज को ब्यवस्थित तरीके से चलाने के लिये मर्यादित आचरण की ब्यवस्था दी गयी, जबकि आज के युग में मर्यादा का सर्वथा अभाव है | यही कारण है कि कालान्तर से आज तक वैदिक-संस्कृति ने अपने अस्तित्व को बनाये रखा है | जो आश्चर्यजनक परन्तु अटल सत्य भी है |
भारतवर्ष मैं रहने वाली सर्वप्रथम जाति आर्य थी और आर्यों की अपनी संस्कृति वैदिक संस्कृति ही थी | चूँकि ये संस्कृति आज भी उतनी ही सशक्त , सुब्यवस्थित , सुसंगठित और अनुशासित है, जितनी कि सृष्टि के उदय के समय | यही प्रमुख कारण रहा है कि, वैदिक-संस्कृति को विश्व पटल पर आज भी सम्मानित दृष्टि से देखा जाता है | वैदिक-संस्कृति में पांच यम हैं और पांच नियम हैं |
यम :- 1. सत्य , 2. अहिंसा , 3. अस्तेय , 4. ब्रह्मचर्य , 5. अपरिग्रह
नियम :- 1. शौच , 2. संतोष , 3. स्वाध्याय , 4. ईश्वर-प्राणिधान , 5. तप |
वैदिक-संस्कृति के अनुसार इन यम-नियमों की जो मनुष्य अवहेलना करता है , उसका कल्याण असम्भव है , ठीक उसी तरह ; जिस तरह इन यम-नियमों की अवहेलना करने से कोई भी धार्मिक कार्य सिद्ध नहीं होता | अर्थात यम-नियम ही आध्यात्मिक जगत में वैदिक-संस्कृति का पहला पाठ व भवन की नींव के पत्थर के समान है | इसी के परिणामस्वरूप ही तो भारतवर्ष को सम्पूर्ण विश्व , “ धर्मगुरु “ कहता आया है | क्योंकि इतिहास इस बात का गवाह है कि ब्रह्माण्ड के अस्तित्व में आने से लेकर आज तक सभी संस्कृतियों या सभ्यताओं में सबसे सर्वश्रेष्ठ वैदिक-संस्कृति को ही माना जाता है | क्योंकि इसकी स्वीकारोक्ति , सभी धर्मो में व आज तक के वैज्ञानिक आविष्कारों एवं परिकल्पनाओं में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है