विशाल हरयाणा पार्टी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

विशाल हरियाणा पार्टी- विशाल हरियाणा पार्टी एक राजनीतिक पार्टी थी, जिसका निर्माण व नेतृत्व राव बीरेंद्र सिंह ने किया था। हरियाणा गठन के बाद वर्ष 1967 में हुए पहले आम चुनावों में राव बिरेंद्र ने पटौदी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री भगवत दयाल के प्रस्तावित विधानसभा अध्यक्ष प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव और दयाकिशन को हरा दिया। भारत के राजनीतिक इतिहास में यह अपने तरह की पहली घटना थी, कि सदन में मुख्यमंत्री का प्रस्ताव गिर गय़ा। राव बिरेन्द्र को प्रदेश का प्रथम निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष बनने का गौरव मिला। मु्ख्यमंत्री का प्रस्ताव सदन में गिरने से संवैधानिक संकट पैदा हो गया। इसी बीच कई मंत्रियों ने इस्तीफे दे देिए और मुख्यमंत्री भगवत दय़ाल शर्मा के नेतृत्व वाली पहली निर्वाचित सरकार गिर गई। 24 मार्च 1967 को राव संयुक्त विधायक दल के बल पर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने। 1968 में विशाल पार्टी की स्थापना राव बिरेन्द्र सिंह ने की। 1968 के आम चुनाव में विशाल हरियाणा पार्टी ने 39 असेम्बली सीटों पर चुनाव लडा और 12 पर जीत दर्ज की। पार्टी को कुल पोल वोट का 14.86% मिला, लेकिन पार्टी के 16 प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए। राव बिरेन्द्र सिंह दो जगह से चुनाव जीत गए। 1971 में राव ने विशाल हरियाणा पार्टी से महेंद्रगढ़ लोकसभा का चुनाव जीता। पार्टी ने 1972 का आम चुनाव 15 सीटों ,लडा 3 जीता, 1 पर जमानत जब्त रही, पार्टी को कुल पोल वोट का 6.94% मिला।   वे वर्ष 1977 में भी इसी पार्टी से अटेली से विधायक बने।

आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी के आग्रह पर राव ने अपनी पार्टी का 23 सितंबर 1978 को कांग्रेस (आई) में विलय कर लिया। वर्ष 1980 में केंद्र में कांग्रेस सरकार बनने पर इंदिरा गांधी ने राव को कृषि, ¨सचाई, ग्रामीण विकास, खाद्य एवं आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा सौंपा। 1996 के बाद से उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी। राव बिरेन्द्र राव तुलाराम के वंशज राजा बलबीर सिंह के दत्तक पुत्र थे। आजादी से पहले राजा राव बलबीर सिंह भी हिन्दु महासभा से पंजाब कांऊंसिल के सदस्य रहे।

इससे पहले 1952 में जब स्वतंत्र भारत में पहले चुनाव हुए, तो बीरेन्द्र सिंह रेवाड़ी से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरे थे, हालांकि, उस चुनाव में उनकी पराजय हुई। इसके बाद उसी वर्ष उन्होंने किसान मजदूर पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई। 1954 में वह अम्बाला मण्डल से पंजाब विधान परिषद में निर्दलीय सदस्य चुने गए। सरदार प्रताप सिंह कैंरों मंत्रिमंडल में उन्हें परिवहन व राजस्व मंत्री का जिम्मा दिया गया।