विकास प्रशासन
विकास प्रशासन (Development Administration) का अर्थ विकास से सम्बन्धित प्रशासन से लिया जाता है। यह सरकार द्वारा योजनाबद्ध तरीके से राष्ट्र के अर्थव्यवस्था मे परिमाणात्मक एवं गुणात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक प्रयास है। यह सरकार की उस हर एक गतिविधि का नाम है, जिसमें जन-कल्याण या राष्ट्रीय-विकास निहित है। अतः यह न केवल सामान्य/ नियामकीय प्रशासन (Regulatory Administration) से जुड़ा है अपितु मानवीय जीवन के सभी पहलू- सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक इत्यादि भी इससे जुड़े हैं।
परिचय
विकास प्रशासन की अवधारणा विकासशील देशों में लोकप्रशासन के तुलनात्मक अध्ययन की सह-उपज है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1955 में यू0 एल0 गोस्वामी ने किया था परन्तु इसे औपचारिक मान्यता उस समय प्राप्त हुई जब अमेरिकन लोक प्रशासन समिति के तुलनात्मक प्रशासन समूह एवं सामाजिक विज्ञान शोध परिषद की तुलनात्मक राजनीति समिति ने इसको बौद्धिक आधार प्रदान किया। इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाने में फ्रेड डब्ल्यू0 रिग्स, एडवर्ड डब्ल्यू0 वीडनर, जोसेफ लॉ0 पोलोमबार, अल्बर्ट वाटरसन आदि के नाम प्रमुख हैं।
विकास प्रशासन की अवधारण एशिया, अफ्रीका, एवं लेटिन अमेरिका के दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् हुए स्वतंत्र देशों के लिए अर्थपूर्ण है। अपने औपनिवेशिक शासकों से स्वतन्त्रता प्राप्त करने के उपरांत इन देशों में अविकसित अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था की ओर जाने के प्रयास आरम्भ किये गए। विकास के क्रम से गुजरते हुए इन देशों को विकासशील देश कहा गया जिनके सम्मुख विकास सम्बन्धी अनेक समस्याएँ थी। उनका प्रमुख कार्य नियोजित परिवर्तन द्वारा सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाना था। परम्परागत लोक प्रशासन, प्रशासन प्रणाली के सुधार से संबंधित था अतएव लोक प्रशासन के एक नये स्वरूप को विकसित करने की आवश्यकता अनुभव की गई जो विकासशील देशों की सामाजिक-आर्थिक एवं प्रशासनीय समस्याओं के अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित करेगा। इस प्रकार, विकास प्रशासन के विचार को संकल्पना की गई।
उदय के कारण
(१) सन् 1950 और 1960 के दशकों के दौरान लोक प्रशासन के विद्वानों ने लोक प्रशासन के पारंपरिक दृष्टिकोणों जिनमें पाश्चात्य मूल्य उन्मुख था, प्रकृति के प्रति काफी अंसतोष व्यक्त किया। विद्वानों को सूचना के एक मात्रा आधार के रूप में अमरीकी अनुभव पर लोक प्रशासन संबंधी अध्ययनों की अत्यधिक निर्भरता से भी असंतोष था। अतः मिल-जुलकर इसका यह अर्थ था कि सारी बात को अमरीकी मूल्य तंत्र से आँका जाता है जिस तंत्र में तीसरे विश्व और साम्यवादी देशों के बारे में मूल्यभारित (पूर्वाग्रहयुक्त) विचार रहता है।
(२) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अनेक अफ्रीकी और एशियाई देश स्वतंत्र हो गए और वे सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक विकास के विभिन्न चरणों में थे। चूंकि इन देशों का प्रशासन अनिवार्यतः विकास उन्मुख था। अतः विद्वानों में इन देशों के प्रशासन का अध्ययन करने की उत्सुकता पनपी। उनका अध्ययन वस्तुतः विकास प्रशासन का अध्ययन बन गया।
(३) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के युग में संयुक्त राष्ट्र संघ की कई एजेंसियाँ एवं संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ की सरकारें इन नए उभरते राष्ट्र राज्यों को भरपूर तकनीकी सहायता देने मे जुट गई। अमरीका और सोवियत संघ द्वारा इन देशों को ऐसी सहायता देने का प्रयोजन संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी-अपनी ओर उनका समर्थन प्राप्त करना था। इन प्रोद्यौगिक कार्यक्रमों में जुटे विशेषज्ञों ने शीघ्र ही महसूस कर लिया कि पश्चिमी देशों की प्रशासनिक संरचनाएँ एवं सिद्धांत इन देशों के लिए भी उपयुक्त हों, कोई आवश्यक नहीं है। इन देशों को दी जानेवाली सहायता का उचित उपयोग करने में उन्हें समर्थ बनाने की विधियों की खोज करने के उद्देश्य से उनके प्रशासन तंत्रों का अध्ययन करने की आवश्यकता थी।
(३) विकास प्रशासन की उत्पत्ति अमरीकी व्यवहारपूरक विज्ञानों से हुई है। राजनीति शास्त्र में व्यवहारपरक क्रांति से प्रोत्साहित होकर लोक प्रशासन ने भी तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र में व्यवहारपरक अध्ययनों पर बल दिया जिसका अर्थ विकास प्रशासन में प्रशासन की भूमिका का अध्ययन भी था। यद्यपि उनका उद्देश्य परिस्थिति पर बल देते हुए केवल लोक प्रशासन का अध्ययन करना था किंतु इसके कारण स्वाभाविक तौर पर विकास प्रशासन के भी अध्ययन हुए।
(५) तीसरे विश्व के देशों मे समय और प्राकृतिक संसाधनों की काफी कमी थी जबकि उनकी आवश्यकता तुरंत और तीव्र सामाजिक आर्थिक विकास की थी। ये लक्ष्य निष्क्रिय प्रशासन की सहायता से नहीं प्राप्त किए जा सकते थे जो बंद और यथास्थितिवादी था। अतः एक ऐसे प्रशासन तंत्र की आवश्यकता महसूस की गई जो विकसित देशों के प्रशासनिक ढाँचे से भिन्न हो और इस प्रकार विकास प्रशासन की संकल्पना का आविर्भाव हुआ।
परिभाषाएँ
विकास प्रशासन की विद्वानों द्वारा दी गयी कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
प्रो॰ वीडनर के अनुसार, “विकास प्रशासन राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए संगठन का मार्गदर्शन करता है। यह मुख्य रूप से एक कार्योन्मुख एंव लक्ष्योन्मुख प्रशासनिक प्रणाली पर जोर देता हैं।
प्रो॰ रिग्स ने इसके सम्बन्ध में कहा है कि “विकास प्रशासन का सम्बन्ध कार्यक्रमों के प्रशासन, बड़े संगठनों विशेषकर सरकार की प्रणालियों, विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए नीतियों ओर योजनाओं को क्रियान्वित करने से हैं।[१]
डोनाल्ड सी0 स्टोन का कहना है कि “विकास प्रशासन निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संयुक्त प्रयास के रूप में सभी तत्त्वों और साधनों (मानवीय और भौतिक) का सम्मिश्रण है। इसका लक्ष्य निर्धारित समयक्रम के अन्तर्गत विकास के पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति है।
उपरोक्त परिभाषाओं में भिन्नता के बावजूद भी यह देखते को मिलता है कि विकास प्रशासन लक्ष्योन्मुखी और कार्योन्मुखी है। परिभाषाओं के विश्लेषण के बाद विकास प्रशासन के सम्बन्ध में निम्नलिखित तत्त्व सामने आते हैं-
- विकास प्रशासन निरन्तर आगे बढ़ने की एक गतिशील प्रक्रिया है।
- निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए यह एक संयुक्त प्रयास है।
- यह तीसरी दुनिया की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने का महत्त्वपूर्ण साधन है।
- यह पिछड़े समाज के परिवर्तन, आधुनिकीकरण और विकास के लिए शासन-तन्त्र है।
तदपि परम्परागत प्रशासन एवं विकास प्रशासन के मध्य मुख्य विभेदक निम्नलिखित हैं-
परम्परगत प्रशासन | विकास प्रशासन |
---|---|
नियामक एवं प्रशासकीय | अंगीकरणीय एवं गतिशील |
दक्षता/मितव्ययिता अभिमुखी | वृद्धि अभिमुखी |
कार्य अभिमुखी | संबंध अभिमुखी |
पदसोपानात्मक संरचना | नमनीय एवं परिवर्तनशील |
केन्द्रीयकृत निर्णय निर्माण | सहभागीय निर्णय निर्माण |
प्रस्थिति अभिमुखी | भविष्य अभिमुखी |
विकास प्रशासन एवं प्रशासनिक विकास
दोनों अवधारणाऐं एक-दूसरे से पूरी तरह सम्बन्धित किन्तु भिन्न हैं। विकास प्रशासन का अर्थ विकास कार्यक्रमों की व्यवस्था है जबकि प्रशासनिक विकास का अर्थ है कि प्रशासकीय तन्त्र को कुशल, सक्षम तथा प्रभावी बनाना। समाज कल्याण या साक्षरता के लिये जो तन्त्र कार्य कर रहा है वह विकास प्रशासन है और समाज कल्याण प्रशासन को सुगठित करना व उद्देश्य के अनुकूल बनाना प्रशासनिक विकास है। प्रशासनिक विकास केवल विकास प्रशासन तक सीमित नहीं है। सामान्य प्रशासन के विकास को भी प्रशासकीय विकास कहेंगे। उदाहरण के तौर पर ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत पुलिस की जो कार्य पद्धति थी वह लोकतन्त्र के अनुकूल नहींं है। उसे अनुकूल बनाना प्रशासकीय विकास होगा।
प्रो॰ रिग्स के अनुसार विकास प्रशासन का विकसित किया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि इसके बिना विकास का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। क्षमताहीन प्रशासन विकास कार्य नहीं कर सकता। साथ ही प्रशासकीय विकास के लिए आवश्यक है कि पर्यावरण (सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक) का भी विकास किया जाये क्योंकि प्रशासनिक विकास को पर्यावरण ही सर्वाधिक प्रभावित करता है। विकास प्रशासन तथा प्रशासनिक विकास के बीच परस्पर निर्भरता का सम्बन्ध है।
विकास प्रशासन का महत्त्व
विकास प्रशासन में प्रशासन के पारंपरिक उपागमों की तुलना में कई लाभदायक गुण हैं जैसे-
(१) विकास प्रशासन विकास की समस्याओं एवं इनके निदान के आवश्यक उपायों का व्यापक विश्लेषण करने के एक साधन की तरह कार्य करता है। इसके पूर्व विकास एवं कल्याण सरकारी कार्य-क्षेत्र में नहीं आते थे।
(२) विकास प्रशासन लोक प्रशासन के विकास में एक बहुत महत्त्वपूर्ण तथ्य है। इसने लोक प्रशासन के क्षेत्र में लोकनीति, इसका कार्यान्वयन एवं मूल्योन्मुख लाकर लोक प्रशासन की सीमाओं को विस्तृत किया है।
(३) कार्यरत प्रशासकों और शिक्षाविदों के लिए इसका प्रत्यक्ष महत्त्व है। क्योंकि वे ही लोक विकास की समस्याओं एवं विकास प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न समस्याओं में प्रत्यक्ष रूप से उलझे हैं।
(४) विकास प्रशासन ने पश्चिमी मॉडल की अपर्याप्तताओं की ओर विद्वानों का ध्यान सफलतापूर्वक आकृष्ट किया है और विकास कार्यों के संदर्भ में उनकी अपर्याप्तता साबित की है। अतः इसने तुलनात्मक लोक प्रशासन के तुलनात्मक अध्ययनों के साथ-साथ लोक प्रशासन के सिद्धांत और व्यवहार की सार्विकता पर विचार खंडित किया है।
(५) विकास प्रशासन प्रशासनिक तंत्र पर संस्कृति के प्रभाव को भी मानता हैं और इसलिए विकास के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक पक्षों के तुल्यकालन एवं संक्रमण पर बल देता है।
(६) पश्चिमी मॉडलों की अपर्याप्तता को उजागर करते हुए व्यवहारों प्रशासन उनकी प्रशासनिक विधियों एवं व्यवहारों की अपर्यान्तताओं को भी उजागर करता है। चूंकि पश्चिमी मॉडल पूरब में प्रयोज्य नहीं रहे, अतः विकास प्रशासन देशज प्रशासनिक विधियों के विकास का समर्थन करता हैं। उदाहरण के लिए भारत ने विकास का पंचायती राज माँडल अपनाया है तो उसकी अपनी विधि है।
(७) विकास प्रशासन, प्रशासन के मानव कारकों पर ध्यान केंन्द्रित करता है। जिनकी पहले उपेक्षा की जा रही थी। यह इस अर्थ मे अधिक लोकतांत्रिक है कि यह निचले स्तर से विचारों का प्रवाह एंव विकास प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी भी प्रोत्साहित करता है जो कि विकास प्रशासन की सफलता के लिए अनिवार्य है।
विशेषताएँ
विकास प्रशासन सरकार का कार्यात्मक पहलू है जो लक्ष्योन्मुखी होता हैं विकास प्रशासन केवल जनता के लिए प्रशासन नहीं है बल्कि यह जनता के साथ कार्य करने वाला प्रशासन है। संक्षेप, मे विकास प्रशासन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(१) परिवर्तनशील : विकास प्रशासन का केन्द्रबिन्दु परिवर्तनशीलता है। यह परिवर्तन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक है। विकासशील देशों में प्रशासन को निरन्तर परिवर्तनों के दौर से गुजरना पड़ता है। इस प्रकार परिवर्तनशीलता विकास प्रशासन की बहुमूल्य पूँजी है जिसके सहारे वह सक्रिय बना रहता है।
(२) विकासात्मक प्रकृति: फेनसोड ने ठीक ही कहा है कि विकास प्रशासन नवीन सुधारों तथा अभिनवकरणों पर निर्भर करता है। इसकी प्रकृति विकासात्मक कार्यक्रमों को लेकर चलने की होती हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से पिछडे़ समाज का विकास करना है।
(३) प्रजातान्त्रिक मूल्यों से सम्बन्धित विकास प्रशासन जन-आकांक्षाओं की पूर्ति के प्रति प्रयन्तशील रहता है। साथ ही विकास प्रशासन प्रजातान्त्रिक मूल्यों से सम्बद्ध रहता है, क्योंकि इसमें मानव अधिकारों और मूल्यों के प्रति सम्मान, जनहित का उद्देश्य तथा उत्तरदायित्व की भावना निहित रहती है। चूँकि विकास प्रशासन का सम्बन्ध सरकारी प्रशासन द्वारा किये जाने वाले प्रयासों से है और सरकारी प्रयास जनकल्याण और प्रजातान्त्रिक मूल्यों से जुड़े रहते हैं, अतः विकास प्रशासन द्वारा किये जाने वाले प्रयासों से है और सरकारी प्रयास जनकल्याण और प्रजातान्त्रिक मूल्यों से जुड़े रहते हैं, अतः विकास प्रशासन को प्रजातान्त्रिक मूल्यों से पृथक नहीं किया जा सकता।
(४) आधुनिकीकरण: विकासशील देशों के विकास के लिए आधुनिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हो गया है। साथ ही आज के आधुनिक उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु विकास प्रशासन को अपने आपको योग्य बनाना पड़ता है। इसके लिए प्रशासनिक आधुनिकीकरण को बढ़ावा देना पड़ता है। प्रशासनिक आधुनिकीकरण के लिए विकास प्रशासन विकसित देशों से मापदण्ड और तकनीक प्राप्त करता हैं।
(५) प्रशासनिक कुशलता: कुशलता प्रशासन की सफलता की कुंजी है। विकास प्रशासन में प्रशासनिक कुशलता को इसलिए महत्त्व दिया जाता है कि इसके अभाव में विकास के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करना सम्भव नहीं है। विकास प्रशासन इस बात के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहता है कि प्रशासनिक विकास के माध्यम से प्रशासन की कार्यकुशलता में वृद्धि की जाये।
(६) आर्थिक विकास : आर्थिक विकास और विकास प्रशासन का परस्पर महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। प्रशासनिक विकास के लिए आर्थिक विकास भी आवश्यक हैं। विकासशील देशों की विभिन्न आर्थिक योजनाएं एवं विकास सम्बन्धी कार्यक्रम विकास प्रशासन के सहयोग से ही लागू किये जाते हैं। विकास प्रशासन ऐसे प्रशासनिक संगठन की रचना करता है जो देश की आर्थिक प्रगति को सम्भव बनाता है तथा आर्थिक विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। राष्ट्र के विकास के लिए आर्थिक योजनाएँ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती हैं और उन्हें लागू करने मे विकास प्रशासन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं
(७) परिणामोन्मुखी: विकास प्रशासन का परिणामोन्मुखी होना इसकी एक अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषता है। विकास प्रशासन से यह अपेक्षा की जाती है कि वह निर्धारित सीमा के अन्तर्गत कार्यों को सम्पन्न करें और परिणाम अच्छे हों। इसमें परिणाम को अधिक महत्त्व दिया जाता हैं
कार्यक्षेत्र
विकास प्रशासन लोक प्रशासन की एक नवीन विस्तृत शाखा हैं। इसका जन्म विकासशील देशों की नयी-नयी प्रशासनिक योजनाओं तथा कार्यक्रमों को लागू करने के सन्दर्भ में हुआ हैं इसके क्षेत्र में लोक प्रशासन के वे सभी कार्य आ जाते हैं जो नीतियों, योजना, कार्यक्रमों के निर्माण से सम्बन्धित हैं। संक्षेप में, इसके क्षेत्र में वे समस्त, गतिविधियाँ आती हैं जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, ओद्योगिक तथा प्रशासनिक विकास से सम्बन्धित हों और जो सरकार द्वारा संचालित की जाती हों। जिस प्रकार विकास के क्षेत्र को निर्धारित करना सम्भव नहीं है, उसी प्रकार विकास प्रशासन के क्षेत्र को निर्धारित करना सम्भव नहीं है। इसके क्षेत्र का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है-
(१) पोस्डकॉर्ब सिद्धान्त : चूँकि विकास प्रशासन लोक प्रशासन का ही विस्तृत अंग है इसलिए लूथर गुलिक द्वारा प्रतिपादित पोस्डकॉर्ब सिद्धान्त (POSDCORB) विकास प्रशासन के क्षेत्र के लिए प्रासंगिक है। यह शब्द निम्नलिखित शब्दों से बना हैः
- Planning (नियोजन), Organisation (संगठन), Staffing (कर्मचारी), Direction (निर्देशन),
- Coordination (समन्वय), Reporting (प्रतिवेदन), तथा Budgeting (बजट)।
इन सभी सिद्धान्तों की विकास प्रशासन में आवश्यकता पड़ती है।
(२) प्रशासनिक सुधार एवं प्रबन्धकीय विकास : इन दोनों का विकास प्रशासन में अत्यन्त महत्त्व होता है इसलिए प्रशासनिक सुधार एवं प्रबन्धकीय विकास पर अधिक ध्यान दिया जाता है। प्रशासन के संगठनों मे हमेशा सुधार की आवश्यकता पड़ती है। प्रशासकीय सुधार का मुख्य उद्देश्य है जटिल कार्यो और प्रक्रियाओं को सरल बनाना तथा उन नियमों का निर्माण करना जिनसे न्यूनतम श्रम एंव व्यय करके अधिकतम उत्पादक परिणाम प्राप्त किये जा सकें। इसके लिए समय-समय पर विभिन्न आयोग एवं समितियाँ गठित की जाती हैं तथा प्रशासनिक सुधार के सम्बन्ध में इनके प्रतिवेदन माँगे जाते हैं।
(३) लोक सेवकों के लिए प्रशिक्षण : विकास प्रशासन को नवीन योजनाओं, विशेषीकरण तथा जटिल प्रशासनिक कार्यक्रमों को लागू करना पड़ता है। ऐसे कार्यों को सम्पन्न करने के लिए विकास प्रशासन को अनुकूल लोक सेवकों की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए लोक सेवकों को प्रशिक्षण हेतु विभिन्न प्रकार के विशेषीकृत प्रशिक्षण संस्थानों में भेजा जाता है, जहाँ उन्हें प्रशासकीय समस्याओं और संगठनात्मक प्रबन्ध आदि के विषय में बताया जाता हैं इस प्रकार समय के साथ बदली हुई आधुनिक परिस्थितियों के अनुकूल अपने लोक सेवकों को प्रशिक्षित करना विकास प्रशासन कर महत्त्वपूर्ण कार्य है।
(४) आधुनिक प्रबन्धकीय तकनीक का प्रयोग : विकास प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण कार्य उन नवीन प्रबन्धकीय तकनीकों की खोज करना है जिनसे विकास कार्यक्रमों में कार्यकुशलता बढ़ायी जा सके। इस सम्बन्ध में विकसित देशों में अपनाये जाने वाले नवीन प्रबन्धकीय तरीकों को लागू करना चाहिए।
(५) विकास के कार्यक्रम : जैसा कि विदित है, विकास प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण कार्य ग्रामीण एवं शहरी विकास के कार्यक्रमों को लागू करना है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अनेक योजनाएँ एवं कार्यक्रम लागू किये जाते है। इन्हें आधुनिक तकनीकी के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना विकास प्रशासन का महत्त्वपूर्ण कार्य है।
(६) जन सम्पर्क का सहयोग : प्रशासन का उद्देश्य जनहित होता है अतः विकास सम्बन्धी कार्यक्रमों को लागू करने के लिए जन सहयोग एवं जन सम्पर्क अत्यन्त आवश्यक है। इससे स्पष्ट होता है कि विकास प्रशासन मे जन सम्पर्क और जन सहयोग का विशेष महत्त्व है। वास्तव में जन सम्पर्क के द्वारा यह जाना जा सकता है कि जो जनकल्याण सम्बन्धी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं उनका लाभ आम जनता तक पहुँचता है या नहीं तथा जनता की उनके प्रति क्या प्रतिक्रिया होती है। विकास प्रशासन के लिए जन सहयोग न केवल आवश्यक है बल्कि इसके अभाव में सफलता सम्भव नहीं है।
(७) आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक ढाँचे का विकास : वस्तुतः आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक विकास सम्बन्धी कार्य विकास प्रशासन की रीढ़ होते हैं। इस दिशा में कार्य करना चुनौतीपूर्ण होती है। परम्परागत संरचनाओं की कमियों और प्रक्रियाओं को सुधार कर उनकी जगह नवीन प्रकार के आर्थिक व सामाजिक ढाँचे का निर्माण करना विकास प्रशासन के सामने एक बहुत जटिल कार्य बन गया है। इन संरचनाओं का विकास व सुधार करना आवश्यक हो जाता है। इस प्रकार विकास प्रशासन के क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक ढाँचे का विकास करना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है।
उपरोक्त बातों के अतिरिक्त विकास प्रशासन के क्षेत्र में क्षेत्रीय विकास परिषदें, सामुदायिक सेवाएँ, प्रबन्ध कार्यक्रम, अन्तराष्ट्रीय सहयोग आदि बातों का भी अध्ययन किया जाता है। जैसे-जैसे सरकार के विकास सम्बन्धी कार्यक्रम बढ़ते जाते हैं, विकास प्रशासन का क्षेत्र भी विस्तृत होता जाता है।
सन्दर्भ
- ↑ ऐडमिनिस्ट्रेशन इन डेवलपिंग कंट्रीज, Houghton Mifflin Harcourt, बोस्टन, १९६४