वास्तविक और नामिक मूल्य (अर्थशास्त्र)

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अर्थशास्त्र में नामिक मूल्य (nominal value) किसी चीज़ का वह मूल्य होता है जो वर्तमान में चलित मुद्रा में मापा जाता है, जबकि वास्तविक मूल्य (real value) माल और सेवाओं में मापा जाता है। वास्तविक मूल्यों में चीज़ों की कीमतों की तुलना ऐसी करी जा सकती है जैसे मुद्रास्फीति हुई ही न हो। अक्सर वास्तविक मूल्यों को किसी एक समय पर मुद्रा के मूल्य को आधार लेकर अनुमानित करा जाता है।[१]

उदहारण के लिए यदी सन् 2020 में किसी देश की औसत आय ₹50,000 हो और सन् 2010 में ₹40,000 रही हो, तो यह कैसे बताया जाएगा कि आर्थिक दशा 2020 में अधिक अच्छी थी या 2010 में? इसके लिए किसी एक वर्ष को आधार माना जा सकता है, मसलन सन् 1970। अब अर्थशास्त्री अलग-अलग वर्षों में विभिन्न माल और सेवाओं की कीमतें देखकर यह कह सकते हैं कि, क्रय शक्ति (चीज़े खरीदने की क्षमता) के आधार पर, 2020 में ₹50,000 का वास्तविक मूल्य सन् 1970 के ₹2000 के बराबर था और 2020 में ₹40,000 का वास्तविक मूल्य सन् 1970 के ₹2200 के बराबर था। अर्थात् सन् 2010 में ₹40,000 का वास्तविक मूल्य सन् 2020 में ₹50,000 से अधिक था, इसलिए औसत व्यक्ति की अर्थिक स्थिति 2010 में 2020 से बेहतर थी, हालांकि नामिक मूल्य के अनुसार 2010 में 2020 से कम आय थी।[२]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. साँचा:cite book (Adam Smith's early distinction vindicated)