वनोन्मूलन
वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है। पेडों को इस प्रकार से काटने और उन्हें पुनः न लगाने के परिणाम स्वरुप आवास (habitat) को क्षति पहुंची है, जैव विविधता (biodiversity) को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गयी है। साथ ही अक्सर जिन क्षेत्रों से पेडों को हटा दिया जाता है वे बंजर भूमि में बदल जाते हैं।
आंतरिक मूल्यों के लिए जागरूकता का अभाव या उनकी उपेक्षा, उत्तरदायी मूल्यों की कमी, ढीला वन प्रबन्धन और पर्यावरण के कानून, इतने बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की अनुमति देते हैं। कई देशों में वनोन्मूलन निरंतर की जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलोपन (extinction), जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण (desertification) और स्वदेशी लोगों के विस्थापन जैसी प्रक्रियाएं देखने में आती हैं।
मानव के द्वारा की जाने वाली वनोन्मूलन के कारण
साधारण शब्दों में, वनोन्मूलन इसलिए होती है क्यों कि वन भूमि आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। खेती के लिए भूमि की मात्रा को बढ़ने के साथ साथ काष्ठ का उपयोग पूरे विश्व में २० करोड़ से अधिक लोगों के द्वारा किया जाता है।
एक आनुवंशिक संसाधन के रूप में वनों की अनुमानित मूल्य की पुष्टि किसी भी आर्थिक अध्ययन के द्वारा नहीं की गयी है।[१] इसके परिणाम स्वरुप वन भूमि के मालिक वनों की सफाई नहीं करने से नुकसान उठाते हैं और यह पूरे समाज के कल्याण को प्रभावित करता है।[२] विकासशील दुनिया के परिप्रेक्ष्य से, जैव विविध स्रोतों और कार्बन सिंक के रूप में वनों के लाभ प्राथमिक रूप से विकसित और अमीर राष्ट्रों को पहुँचते हैं और इस सेवाओ के लिए पर्याप्त क्षतिपूर्ति नहीं की जाती है। जिसके परिणाम स्वरुप कुछ देशों के पास बहुत अधिक वन हैं, विकासशील देश महसूस करते हैं कि विकसित दुनिया में कुछ देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, ने अपने जंगलों को सदियों पहले काटा और इससे बहुत अधिक लाभ उठाया और विकास शील देशों के लिए समान अवसरों का खंडन करना गलत होगा। यानि गरीब लोग अपने संरक्षण की लागत का भी वहन नहीं कर सकते हैं, जबकि अमीरों ने इस समस्या को पैदा किया।[२]
एक सामान्य समझौते के आलावा कि वनोन्मूलन भूमि के आर्थिक मूल्य को बढाती है, इस बात पर कोई समझौता नहीं है कि वनोन्मूलन के क्या कारण हैं। कुछ क्षेत्रों में लकड़ी के लिए वनोन्मूलन इसका सीधा स्रोत हो सकता है और कुछ क्षेत्रों में यह अप्रत्यक्ष स्रोत हो सकता है जैसे जो किसान जंगलों की सफाई के लिए जाना चाहते हैं, उनके लिए सड़क हेतू वनोन्मूलन: विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं कि लकड़ी के लिए पेडों का काटा जाना विश्वस्तरीय वनोन्मूलन में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।[३] और कुछ का मानना है कि लकड़ी को काटना वनोन्मूलन को कम करने में मुख्य योगदान देता है क्योंकि विकास शील देशों में लकड़ी के भंडार प्राकृतिक स्रोतों की तुलना में कहीं ज्यादा होते हैं।[४] इसी प्रकार वहाँ पर इस बात पर सहमती नहीं है कि गरीबी वनोन्मूलन में महत्वपूर्ण है। कुछ लोगों का तर्क है कि गरीब लोग लकड़ी काटने को प्राथमिकता देते हैं क्यों कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। अन्य लोगों का मानना है कि गरीब लोगों के पास जंगलों की सफाई के लिए आवश्यक पदार्थ और श्रम के लिए कीमत चुकाने की क्षमता नहीं होती है।[३] जनसँख्या वृद्धि वनोन्मूलन को बढ़ावा देती है, इस प्रकार के दावे कमजोर हैं और त्रुटि युक्त आंकडों पर आधारित हैं,[३] जनसँख्या वृद्धि के साथ वनोन्मूलन का प्राथमिक रूप से बढ़ना केवल ८ प्रतिशत मामलों में ही पाया जाता है।[५] एफएओ के अनुसार विश्व स्तरीय वनोन्मूलन की दर मानव जनसँख्या की वृद्धि दर के आंकडों से सम्बन्धित नहीं है, बल्कि यह प्रौद्योगिकीय प्रगति और अक्षम शासन की कमी का परिणाम है[६].वनोन्मूलन के मूल में कई कारण हैं, जैसे की भ्रष्टाचार (corruption) और संपत्ति और क्षमता का असमान (inequitable) वितरण,[७][८][९] जनसंख्या वृद्धि (population growth)[१०] और अत्यधिक आबादी (overpopulation),[११][१२] और शहरीकरण (urbanization).[१३]वैश्वीकरण (Globalization) को अक्सर वनोन्मूलन को बढ़ावा देने वाले एक कारक के रूप में देखा जाता है।[१४][१५][१६]
ब्रिटेन के पर्यावरण विज्ञानी नोर्मन मायर्स (Norman Myers) के अनुसार ५ प्रतिशत वनोन्मूलन का कारण है पशुओं के द्वारा चराई (cattle ranching), १९ प्रतिशत वनोन्मूलन लकडी के लिए काटे (logging) जाने के कारण होती है, २२ प्रतिशत का कारण है बढ़ते हुए ताड़ के तेल (palm oil) के लिए वृक्षारोपण और ५४ प्रतिशत का कारण है स्लेश एंड बर्न (slash-and-burn) प्रकार की खेती.[१७]
वनोन्मूलन की दरें
वनोन्मूलन की दर के आंकड़े प्राप्त करना, अगर नामुमकिन नहीं तो बहुत मुश्किल है[१८][१९].एफएओ (FAO) आंकडे बड़े पैमाने पर अलग अलग देशों के वन निभागों की रिपोर्टों पर आधारित होते हैं। विश्व बैंक का अनुमान है कि बोलोविया में वनोन्मूलन के ८० प्रतिशत मामले और कोलंबिया में ४२ प्रतिशत मामले अवैध (illegal) होते हैं,[२०] जबकि पेरू में अवैध कटाई (illegal logging) सभी क्रियाओं के ८० प्रतिशत के बराबर है।[२१] उष्णकटिबन्धीय देशों के लिए, वनोन्मूलन का अनुमान बहुत अनिश्चित है: उपग्रह चित्रों के अनुसार कटिबन्धों में वनोन्मूलन की दर सबसे अधिक उद्धृत दर से २३ प्रतिशत कम है।[२२] और कटिबन्धों के लिए वनोन्मूलन की सम्पूर्ण दरें + / - ५० % तक गलत हो सकती हैं।[२३] इसके विपरीत उपग्रह चित्रों के एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि अमेजन बेसिन (Amazon basin) में वनोन्मूलन की दर वैज्ञानिकों के पूर्व अनुमान से दो गुनी है।[२४]
यू एन एफ ऐ ओ (UNFAO) के पास उपलब्ध वनोन्मूलन के सर्वोत्तम लम्बे समय के आंकडे हैं और इन्हीं आंकडों के आधार पर बीसवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वैश्विक जंगल कवर लगभग स्थिर रहें हैं।[२५]) और सबसे लम्बे उपलब्ध आंकडों के आधार पर वैश्विक जंगल कवर १९५४ से बढ़ गया है।[२६] वनोन्मूलन की दर में भी कमी आ रही है। हर सदी में वनों की सफाई की दर में कमी आती जा रही है। विश्व स्तर पर वनोन्मूलन की दर १९८० के दशक के दौरान कम हुई,[२७] १९९० में इसमें और तेजी से कमी आई. और २००० से २००५ तक और भी अधिक कमी आई.[२८] इन प्रवृत्तियों के आधार पर ऐसी उम्मीद की जाती है कि वैश्विक वनोन्मूलन के विरोधी प्रयास अगली आधी सदी में वनोन्मूलन को कम करेंगे साथ ही वैष्विक जंगल कवर २०५० तक १० प्रतिशत बढ़ जायेगा-जो भारत के क्षेत्रफल के आकार के बराबर है। विकासशील उष्णकटिबन्धीय राष्ट्रों में वनोन्मूलन कि दरें उच्चतम हैं, यद्यपि .१९९० में लगभग ८.६ मिलियन हेक्टेयर वार्षिक उष्ण कटिबन्धीय वनोन्मूलन की दर के साथ विश्व स्तर पर उष्णकटिबन्धीय वनों की क्षति की दर भी कम हो रही है, जबकि पिछली सदी में ९.२ मिलियन हेक्टेयर की क्षति भी हुई है।[२९]
एफएओ के आंकड़ों की उपयोगिता पर कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा विवाद है। ये सवाल प्राथमिक रूप से उठाये जाते हैं, क्यों की आंकडे वनों के प्रकार के बीच विभेदन नहीं करते हैं। डर यह है कि उच्च विविध निवास, जैसे उष्णकटिबन्धीय वर्षा वन (tropical rainforest) में वनोन्मूलन में वृद्धि होगी, जो कम जैव विविध शुष्क, खुले वनों के प्रकार में बड़ी कमी का सामना कर रहे हैं। इस कमी के कारण यह संभव है कि वनोन्मूलन के कई नकारात्मक प्रभाव जैसे आवास में कमी, वनोन्मूलन में कमी के बावजूद बढ़ रहे हैं। कुछ पर्यावरण विज्ञानियों का अनुमान है कि यदि पुराने वनों की सुरक्षा के लिए विश्व स्तर पर साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">vague]महत्त्व पूर्ण कदम[३०] नहीं उठाये जायेंगे, तो २०३० तक इसका केवल १० प्रतिशत ही शेष रह जायेगा.[३१][३२] और बचा हुआ १० प्रतिशत भी ख़त्म होने की कगार पर होगा। [३१] ८० प्रतिशत ख़त्म हो चुका होगा। और उसके साथ ही सैंकडों हजारों प्रजातियाँ भी विलुप्त हो जाएँगी, जिनकी क्षतिपूर्ति असंभव होगी। [३१]
पिछले ३० सालों के दौरान वनोन्मूलन में कमी आने के बावजूद वनं की कटाई एक गंभीर विश्वस्तरीय पर्यावरणी समस्या बनी हुई है और कई क्षेत्रों में यह एक सामाजिक और आर्थिक समस्या बनी हुई है। १३मिलियन हेक्टेयर का हर साल नुकसान होता है, जिसमें से ६ मिलियन हेक्टेयर ऐसे वन हैं जिन्हें मानव के द्वारा बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं पहुँचाया गया है।[३३] इसके परिणाम स्वरुप वन्य जीवन के लिए आवास में कमी आती है और साथ ही इन वनों के द्वारा उपलब्ध करायी गयी पारिस्थितिक तंत्र सेवाओ (ecosystem services) में भी कमी आती है।
वनोन्मूलन की दर में आई गिरावट, पहले से ही वनोन्मूलन से हो चुके नुकसान की भरपाई नहीं करती है। विश्व स्तर पर वनोन्मूलन १८०० के मध्य में तेजी से बढ़ी,[३१] और १९४७ तक परिपक्व उष्णकटिबन्धीय वन (tropical forest) का मूल १५ मिलियन से १६ मिलियन वर्ग किलोमीटर (५.८ मिलियन से ६.२ मिलियन वर्ग मी) का लगभग आधा यानि ७.५ से ८ मिलियन वर्ग किलोमीटर (२.९ मिलियन से ३ मिलियन वर्ग मी)[३०]साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">कब?]क्षेत्र साफ़ किया जा चुका था।[३२]
वनोन्मूलन की दर क्षेत्र के अनुसार व्यापक रूप से बहुत अधिक भिन्नता रखती है। कुछ क्षेत्रों में वैश्विक कमी के बावजूद, विशेष रूप से विकास शील उष्ण कटिबन्धीय राष्ट्रों में, वनोन्मूलन की दर बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, नाइजीरिया ने अपने पुराने ८१% वनों को[३४] केवल १५ सालों (१९९० - २००५) में खो दिया। पूरा अफ्रीका विश्व से दोगुनी दर पर वनोन्मूलन से पीड़ित है।[३५] वनोन्मूलन के प्रभाव उष्णकटिबन्धीय वर्षावन (tropical rainforests)[३६] में सबसे अधिक स्पष्ट हैं। ब्राजील अपने माता अत्लान्तिका (Mata Atlântica) वनों का ९०-९५ प्रतिशत खो चुका है।[३७] मध्य अमेरिका (Central America) में तराई उष्णकटिबन्धीय वनों के दो तिहाई भाग १९५० के बाद से चरागाहों में बदल चुके हैं।[३८]रोंडोनिया के ब्राजीली (Rondonia) राज्य का आधा २४३,००० किमी ² हाल ही के वर्षों में[३९] वनोन्मूलन से प्रभावित हुआ है। और मैक्सिको, भारत, फिलीपींस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, म्यांमार (Myanmar), मलेशिया, बांग्लादेश, चीन,श्रीलंका, लाओस, नाइजीरिया, कांगो (Congo), लाइबेरिया, गिनी, घाना और कोट डिलवोइर (Côte d'Ivoire) सहित उष्ण कटिबन्धीय देशों ने अपने वर्षा वनों (rainforest) के बहुत बड़े क्षेत्रों का नुक्सान उठाया है,[४०][४१] क्योंकि क्षेत्रों में ये दरें अलग अलग हैं और वनोन्मूलन की दरों में वैश्विक कमी आवश्यक रूप से यह सूचित नहीं करती है कि वनोन्मूलन के नकारात्मक प्रभाव भी कम हो रहें हैं।
साइबेरिया (Siberia) के बड़े क्षेत्रों को सोवियत संघ के पतन के बाद से सींचा गया है।[४२] पिछले दो दशकों में, अफगानिस्तान ने पूरे देश में ७० प्रतिशत से अधिक वनों को खो दिया है।[४३]
वनोन्मूलन की प्रवृति कुज्नेट वक्र (Kuznets curve) के अनुसार हो सकती है,[४४] हालाँकि यदि यह सच भी हो तो गैर आर्थिक वन मूल्यों के अनुत्क्रम्णीय क्षति के जोखिम की वजह से यह तथाकथित हॉट स्पोट्स पर समस्या जनक होगा। [४५][४६]
पर्यावरणीय कारक और प्रभाव
वायुमंडलीय
वनोन्मूलन जारी है और जलवायु (climate) और भूगोलमें परिवर्तन ला रही है।[४७][४८][४९][५०]
वनोन्मूलन ग्लोबल वार्मिंग,[५१][५२] में योगदान देती है और हरित गृह प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए एक मुख्य कारक है। उष्णकटिबन्धीय वनोन्मूलन दुनिया की २० प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी है।[५३]जलवायु परिवर्तन पर इंटरगर्वमेंटल पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change) के अनुसार, मुख्य रूप से उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में, वनोन्मूलन कुल एंथ्रोतपोजेनिक (anthropogenic)कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन[५४] के एक तिहाई के लिए उत्तरदायी है। पेड़ और अन्य पोधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड (atmosphere) के रूप में कार्बन को हटा देते हैं। और सामान्य श्वसन की प्रक्रिया के दौरान इसे फिर से वायुमंडल में छोड़ देते हैं। केवल सक्रिय वृद्धि के दौरान ही एक पेड़ या वन एक साल या लम्बी अवधि के लिए कार्बन को हटा सकता है। अपघटन या लकड़ी के जलने से यह संचित कार्बन वायुमंडल में लौट जाता है। वन कार्बन को ले सकें इसके लिए लकड़ी को लम्बे समय तक जीवित रहने वाले उत्पादों में बदल दिया जाना चाहिए और पेड़ों को फिर से उगाना चाहिए। [५५] वनोन्मूलन के कारन कार्बन मिटटी में मुक्त होकर संचित हो जाती है। वन कार्बन के भंडार हैं और या तो घट (सिंक) सकते हैं या स्रोत वातावर्णीय परिस्थितियों पर निर्भर कर सकते हैं। परिपक्व वन शुद्ध सिंक और कार्बन डाइऑक्साइड के शुद्ध स्रोत के बीच विकल्प होते हैं, (देखें कार्बन डाइऑक्साइड सिंक (carbon dioxide sink) और कार्बन चक्र (carbon cycle))
उष्णकटिबन्धीय वनोन्मूलन से उत्सर्जन को कम करने और विकास शील देशों में वन अवनमन के कारण जारी जलवायु नीतियों को पूरा करने के लिए नयी संभावनाएं उत्पन्न हुई हैं। इस तथ्य के पीछे विचार है वनोन्मूलन और वन अवनमन से उत्पन्न हरित गृह गेस के उत्सर्जन को कम करने के लिए वित्तीय क्षतिपूर्ति उपलब्ध कराना".[५६]
सामान्य व्यक्तियो का मानना है कि विश्व वर्षा वन, विश्व में ऑक्सीजन की मात्रा में मुख्य भूमिका निभाते हैं,[५७] हालाँकि अब वैज्ञानिकों ने स्वीकार कर लिया है कि वर्षा वन वायुमंडल में बहुत कम शुद्ध ऑक्सीजन (atmosphere) का योगदान देते हैं। और वनोन्मूलन का वायुमंडल में ऑक्सीजन के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।[५८][५९] बहरहाल, भूमि को साफ़ करने के लिए भस्मीकरण और वनों को जलाना कई टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्पन्न करता है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देती है।[५२]
वन वायु में से कार्बन डाइऑक्साइड और प्रदूषकों को निष्कर्षित करने में समर्थ होते हैं। और इस प्रकार से जैव मंडल की स्थिरता बनाये रखने में योगदान देते हैं।
हाइड्रोलोजिक
जल चक्र भी वनोन्मूलन से प्रभावित होता है। पेड़ अपनी जड़ों के माध्यम से भूजल अवशोषित करते हैं और वातावरण में मुक्त कर देते हैं। जब जंगल का एक हिस्सा निकाल दिया जाता है तो पेड़ इस पानी को वाष्पीकृत नहीं करते और इसके परिणाम स्वरुप वातावरण शुष्क हो जाता है। वनोन्मूलन मिटटी में जल की मात्रा को, भू जल की मात्रा को और वातावरण में नमी की मात्रा को कम कर देती है।[६०] वनोन्मूलन मिट्टी की संसंजन क्षमता में कमी लाती है जिससे अपरदन (erosion), बाढ़ और भूस्खलन (landslide) निश्चित हो जाते हैं[६१][६२] वन कुछ स्थानों में एक्वीफायर (aquifer) के पुनरावेशन को बढ़ावा देते हैं, हालाँकि, अधिकांश स्थानों में वन ही एक्वीफायर में कमी का मुख्य स्रोत हैं।[६३]
वनों में कमी अवक्षेपण के वाष्पोत्सर्जन (transpire) रख रखाव के लिए सिकुडन और लैण्ड स्केप की क्षमता को कवर करती है। अवक्षेपण पर पकड़ बनाने के बजाय जो भू जल प्रणाली को भेदता है, वन रहित क्षेत्र सतही जल के प्रवाह का स्रोत बनजाता है, जो भूमि के नीचे के प्रवाह की तुलना में अधिक तेजी से गति करता है। यह सतही जल का तीव्र प्रवाह फ़्लैश बाढ़ (flash flood) का कारण हो सकता है और इस प्रकार से वन युक्त क्षेत्रों में बाढ़ की संभावनाएं बढ़ जाती हें. वनोन्मूलन वाष्पजलोत्सर्जन (evapotranspiration) में भी कमी लाती है, जो वायुमंडल में नमी की मात्रा को कम करता है, जिससे कुछ मामलों में अवक्षेपण के स्तर कम हो जाते हैं। चूँकि जल नीचली हवाओं के क्षेत्रोंमें पुनः नवीनीकृत नहीं होता है, लेकिन तीव्र धारा के रूप में प्रवाहित हो जाता है और सीधे समुद्र में पहुँच जाता है। एक प्रारम्भिक अध्ययन के अनुसार, वन रहित उत्तर और उत्तर पश्चिम चीन में, औसत वार्षिक अवक्षेपण १९५० से १९८० के बीच एक तिहाई कम हो गया।साँचा:fix
सामान्य रूप से पेड़ और पोधे जल चक्र (water cycle) को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं।
- उनकी सतह अवक्षेपण (precipitation) के अनुपात को अन्तर गृहीत करती है जो वाष्पीकृत होकर वायुमंडल में चला जाता है। (केनोपी अन्तरग्रहण (canopy interception));
- उनके व्यर्थ पदार्थ, तने और शाखाएं सतह प्रवाह को धीमा करते है (surface runoff) के साथ बह जाते हैं।
- उनकी जड़ें मिटटी में बड़े छिद्र (macropore) बनती हैं जो जल के निस्यन्दन (infiltration) को बढाते हैं।
- वे स्थलीय वाष्पीकरण में योगदान देते हैं और जलोत्सर्जन (soil moisture) के माध्यम से मृदा में नमी की मात्रा (transpiration) को कम करते हैं।
- उनका व्यर्थ (litter) और उनके अन्य कार्बनिक अवशेष मृदा के गुणों को परिवर्तित करते हैं और यह मृदा की जल संग्रह की क्षमता को प्रभावित करता है।
- उनकी पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन के द्वारा वायुमंडल में आर्द्रता पर नियंत्रण रखती हैं। ९९ प्रतिशत पानी जो जड़ों के द्वारा अवशोषित कर के पत्तियों तक पहुँचाया जाता है वह वाष्पोत्सर्जित (transpiration) हो जाता है[६४]
इसके परिणाम स्वरुप पेड़ों की उपस्थिति या अनुपस्थिति सतह पर, मिटटी में या भूजल में या वायुमंडल में जल की मात्रा को परिवर्तित कर सकती है। यह बदले में अपरदन की दरों को परिवर्तित कर देता है और या तो पारिस्थितिक तंत्र के लिए या मानव सेवाओ के लिए जल की उपलब्धता में परिवर्तन आ जाता है।
बहुत अधिक बारिश के मामले में वन बाढ़ पर बहु कम प्रभाव डालते हैं, जो वन की मृदा की संग्रहण क्षमता को पराजित कर देता है यदि मृदा संतृप्त है या संतृप्ति के करीब है।
उष्णकटिबन्धीय वर्षावन हमारे ग्रह के ताजे जल का लगभग ३० प्रतिशत उत्पन्न करते हैं।[६५]
मृदा
जिन वनों के साथ छेड़ छाड़ नहीं की जाती, उनकी मृदा हानि की दर बहुत कम होती है, लगभग २ मीट्रिक टन प्रति वर्ग किलोमीटर (प्रति वर्ग मील ६ छोटे टन)साँचा:fixवनोन्मूलन आमतौर पर मृदा अपरदन (erosion) की दर को बढा देती है, क्योंकि प्रवाह (runoff) की मात्रा बढ़ जाती है और पेडों के व्यर्थ पदार्थों से मृदा का संरक्षण कम हो जाता है। यह अत्यधिक रिसाव युक्त उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों की मृदा के लाभकारी हो सकता है। वानिकी कार्य भी सड़कों के विकास और यांत्रिक उपकरणों के उपयोग के माध्यम से अपरदन की दर में वृद्धि करते हैं।
चीन का लोएस पठार (Loess Plateau) सहस्राब्दियों पहले साफ़ कर दिया गया। तब से इसमें अपरदन हो रहा है और नाटकीय ढंग से घाटियों का निर्माण हो रहा है, इससे निकले पीले अवसाद ने येल्लो नदी को पीला रंग दिया है, यह नीचले क्षेत्रों में नदी में बाढ़ का कारण होता है (इसीलिए नदी को चीन का दुःख कहा जाता है)
पेडों को हटाना हमेशा अपरदन की दर में वृद्धि नहीं करता है। दक्षिण पश्चिम संयुक्त राज्य के विशेष क्षेत्रों में झाडियाँ और पेड़ चरागाहों पर अतिक्रमण कर चुके हैं। पेड़ खुद पेड़ केनोपी के बीच में घास की हानि को बढ़ावा देते हैं। नग्न अन्तर केनोपी क्षेत्र उच्च स्तर पर अपरदन के योग्य बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, बेन्देलियर राष्ट्रीय स्मारक में संयुक्त राज्य वन सेवा इस बात पर अध्ययन कर रही है कि पेडों को हटा कर भी पूर्व पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे पुनः प्राप्त किया जाये और अपरदन को कैसे कम किय जाये.
वृक्ष की जड़ें मिटटी को बांधती हैं और यदि मिटटी पर्याप्त उथली है तो वे मिटटी को आधारी चट्टान (bedrock) के साथ बाँधे रखती है। और इस प्रकार से मिटटी अपनी जगह पर बनी रहती है। उथली मृदा युक्त तीव्र ढलान पर पेडों को हटा देने से भूस्खलन (landslide) का खतरा बढ़ जाता है जो आस पास के लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। हालाँकि अधिकतर वनोन्मूलन से पेडों के तने ही प्रभावित होते हैं, जड़ें वहीँ बनी रहती हैं और भू स्खलन के खतरे को कम करती हैं।
पारिस्थितिकी
वनों कि कटाई के परिणाम स्वरुप जैव विविधता में कमी आई है।[६६] वन क्षेत्रों का विनाश पर्यावरण के अवनमन का कारण बना है जिससे जैव विविधता (biodiversity)[१२] कम हो गयी है। वन जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं, क्योंकि ये वन्य जीवन (wildlife) को आवास प्रदान करते हैं;[६७] इसके अलावा वन औषधीय संरक्षण (medicinal conservation)[६८] का काम भी करते हैं। नयी दवाओं के अप्रतिस्थापनीय स्रोत होते हुए, वन बायोटोप (जैसे कि टेकसोल (taxol)), वनोन्मूलन अनुत्क्रमणीय रूप से आनुवंशिक भिन्नताओं (जैसे फसल की प्रतिरोधी क्षमता) को नष्ट कर देती है।[६९]
चूंकि उष्णकटिबन्धीय वर्षावन धरती पर सबसे अधिक विविधता से युक्त पारिस्थितिक तंत्र (ecosystem) हैं,[७०][७१] और लगभग दुनिया की ज्ञात ८० प्रतिशत जैव विविधता (biodiversity) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों में पाई जाती है।[७२][७३] जंगलों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विनाश के फल स्वरुप वातावरण की गुणवत्ता (degraded)[७४] में कमी आई है और जैव विविधता भी कम हो गयी है।[७५]
विलुप्त होने की प्रक्रिया की वैज्ञानिक समझ, जैव विविधता पर वनोन्मूलन के प्रभावों को समझने के लिए पर्याप्त नहीं है।[७६] वानिकी से सम्बन्धित जैव विविधता के अधिकांश अनुमान प्रजाति क्षेत्र नमूनों पर आधारित हैं, जिसमें एक धारणा अन्तरनिहित है कि जैसे जैसे वनों में कमी आएगी, प्रजातियों की विविधता भी कम हो जायेगी.[७७] हालांकि, कई ऐसे कई नमूने गलत साबित हुए हैं और आवास की कमी आवश्यक रूप से बड़े पैमाने पर प्रजातियों की क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं है।[७८] प्रजाति क्षेत्र नमूने उन प्रजातियों की संख्या का अनुमान लगाते हैं जो लुप्त होने की कगार पर हैं, उन क्षेत्रों में वास्तव में वनोन्मूलन जारी है। ये इस प्रकार की व्यापक प्रजातियों की संख्या का भी अनुमान लगाते हैं।[७६]
ऐसा अनुमान लगाया गया है कि हम वर्षावनोन्मूलन के कारण प्रति दिन १३७ पोधों, जंतुओं और कीडों की प्रजातियों को खो रहे हैं, यह आंकडा ५०,००० प्रजाति प्रति वर्ष के बराबर है।[७९] अन्य कहते हैं कि उष्ण कटिबन्धीय वनोन्मूलन के कारण होलोसीन द्रव्य विलोपन (Holocene mass extinction) जारी है[८०][८१] वनोन्मूलन की दरों से ज्ञात विलोपन की दरें बहुत कम हैं, लगभग १ प्रजाति प्रति वर्ष स्तनधारियों और पक्षियों से है जबकि सभी प्रजातियों के लिए लगभग २३००० प्रजाति प्रति वर्ष है। भविष्यवाणी है कि दक्षिण पूर्व एशिया (plant species) में जंतु और पादप प्रजातियों के ४० प्रतिशत से ज्यादा २१ वीं सदीं में विलुप्त हो जायेंगे.[८२] ऐसे अनुमानों के साथ १९९५ के आंकडों के द्वारा प्रश्न उत्पन्न हुए हैं, जो दर्शाते हैं कि दक्षिण पूर्व एशिया के भीतर अधिकांश मूल जंगल एक विशिष्ट वनस्पति में बदल गए हैं, लेकिन विलुप्त होने की कगार पर खड़ी संभावी प्रजातियाँ संख्या में बहुत कम हैं और वृक्ष फ्लोरा व्यापक और स्थिर बना हुआ है।[७६]
आर्थिक प्रभाव
वनों को हुई क्षति और प्रकृति के अन्य पहलू विश्व में ग़रीबों (living standard) के जीवन स्तर (poor) को आधा कर देंगे और वैश्विक जी डी पी को २०५० तक ७ प्रतिशत घटा देंगे। एक मुख्या रिपोर्ट ने बोन में जैव विविधता पर स्वीकृति (Convention on Biological Diversity) पर हुई एक बैठक में यह निष्कर्ष निकला। [८३] पानी और खेती योग्य भूमि की तुलना में, लकड़ी और ईंधन की लकड़ी सहित वन उत्पादों की ऐतिहासिक दृष्टि से उपयोगिता ने मानव समाज में मुख्य भूमिका निभाई है। आज, विकसित देश मकानों के निर्माण के लिए लकड़ी का और कागज (paper) के लिए लकड़ी की लुगदी का उपयोग कर रहे हैं। विकासशील देशों में लगभग तीन बिलियन लोग गर्म करने और खाना पकाने के लिए लकड़ी पर निर्भर हैं।[८४]
वन उत्पाद उद्योग विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। वनों से खेती के लिए रूपांतरण के द्वारा उत्पन्न लघु अवधि के आर्थिक लाभ या लकड़ी के उत्पादों का अति दोहन प्रारूपिक रूप से दीर्घकालिक जैविक उत्पादकता और आय के लिए हानिकारक होता है। (इसलिए प्रकृति की सेवाओं (nature's services) में कमी आती है।)पश्चिम अफ्रीका (West Africa), मेडागास्कर, दक्षिण पूर्व एशिया और कई अन्य क्षेत्रों में लकड़ी के उत्पादन में गिरावट के कारण राजस्व में कमी आई है। अवैध कटाई के कारण वार्षिक रूप से राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था को कई बिलियन डॉलर का नुकसान होता है।[८५]
लकडी की अधिक मात्रा को प्राप्त करने के लिए नयी प्रक्रियाएं, अर्थ व्यवस्था को अधिक नुकसान पहुंचती हैं और लकड़ी की कटाई में रोजगार प्राप्त कर रहे लोगों के द्वारा खर्च किये गए धन में नुकसान का कारण होतीं हैं।[८६] एक अध्ययन के अनुसार, "अधिकांश अध्ययन किये गए क्षेत्रों में, भिन्न उद्यम जो वनोन्मूलन का काम करते हैं वे मुश्किल से ५ अमेरिकी डॉलर की कमाई के लिए एक टन कार्बन को मुक्त कर देते हैं और औसतन उन्हें १ अमेरिकी डॉलर से कम प्राप्ति होती है। यूरोपीय बाजार में एक टन कार्बन की कटौती के लिए कीमत २३ यूरो (लगभग $ ३५) है।[८७]
ऐतिहासिक कारण
प्रागितिहास
वनोन्मूलन मनुष्य के द्वारा सभ्यता की शुरुआत से भी दस हजार वर्ष पहले से ही की जा रही है।[८८] अग्नि वह पहला उपकरण थ जिसने मनुष्यों के परिदृश्य को संशोधित किया। वनोन्मूलन का पहला प्रमाण मध्य पाषाण काल (Mesolithic period) में मिलता है।[८९] संभवतया इसका उपयोग नजदीकी वनों को खेल पशुओं के लिए अनुकूल परितंत्र में बदलने के लिए किया जाता था।[९०] कृषि के आगमन के साथ, आग फसलों के लिए भूमि को साफ़ करने का मुख्य उपकरण बन गया। यूरोप में ७००० ई.पू. इसके बहुत कम ठोस सबूत मिलते हैं, मध्य पाषाण काल के पूर्व युगीन (foragers)लाल हिरण (red deer) और जंगली सूअर (wild boar) के लिए अवसर पैदा करने के लिए आग का उपयोग करते थे। ग्रेट ब्रिटेन की चाय सहनशील प्रजातियाँ जैसे ओक (oak) और एश (ash)पराग (pollen) अभिलेख में अखरोट (hazel), ब्रेम्बल, घास और पत्तियों के द्वारा प्रतिस्थापित हो गयी हैं। वनों को हटाये जाने से वाष्पोत्सर्जन (transpiration) में कमी आई है जिसके परिणाम स्वरुप पीट का दलदल (peat bog) निर्मित हुआ है। यूरोप में ८४०० -८३०० ई.पू. और ७२००-७००० ई.पू., के बीच एल्म (elm)पराग (pollen) में व्यापक कमी, दक्षिणी यूरोप में शुरू हुई और धीरे धीरे उत्तर में ग्रेट ब्रिटेन में फ़ैल गयी, यह नव पाषाण कृषि (Neolithic) की शुरुआत में आग के द्वारा भूमि की सफाई को बताता है।
नव पाषाण काल (Neolithic period) में कृषि भूमिके लिए व्यापक स्तर पर वनोन्मूलन की गयी।.[९१][९२] ३००० ई.पू. पत्थर की कुल्हादियाँ बनायीं गयी, जो केवल फ्लिंट से ही नहीं बल्कि पूरे ब्रिटेन और उत्तरी अमेरिका में कई प्रकार की कठोर चट्टानों से बनायीं गयी। इसमें अंग्रेज़ी झील जिला (English Lake District) में लेन्गडेल कुल्हाड़ी उद्योग (Langdale axe industry) शामिल है, उत्तर वेल्स (North Wales) और कई अन्य स्थानों में पेनमाएन्मावर (Penmaenmawr) में खदानें विकसित हुईं.खदानों के पास प्रारम्भिक उपकरण बनाये गए और कुछ को देखने में अच्छा बनाने के लिए पॉलिश भी किया गया। इससे न केवल कुल्हाड़ी की यांत्रिक शक्ति (mechanical strength) बढ़ी बल्कि लकड़ी को काटना अधिक आसान हो गया।फ्लिंट (Flint) का उपयोग अभी भी ग्रिम्स ग्रेव्स (Grimes Graves) जैसे स्रोतों से होता था, लेकिन यूरोप में कई अन्य खानों से भी होता था।
वनोन्मूलन के साक्ष्य मिनोयन (Minoan)क्रेट (Crete) में मिलते हैं; उदाहरण के लिए पेलेस ऑफ नोसोस (Palace of Knossos) के वातावरण में कांस्य युग में गंभीर कटाई की गयी।[९३]
पूर्व औद्योगिक इतिहास
पूरे इतिहास में, मानव शिकारी थे जो जंगलों में शिकार करते थे। अधिकांश क्षेत्रों, जैसे अमेज़न (Amazon), कटिबन्धों, मध्य अमेरिका और कैरेबियाई,[९४] में जब लकड़ी और अन्य वन उत्पादों की कमी हो गयी, तब वन संसाधनों को उपयुक्त तरीके से प्रयोग करने की नीतियाँ बनायीं गयी।
प्राचीन यूनान (ancient Greece) में ताजीर्द एच वन इंदल और सह लेखकों[९५] ने ऐतिहासिक अपरदन और क्षरण के तीन क्षेत्रीय अध्ययनों का सारांश दिया और पाया कि, जहाँ भी उपयुक्त प्रमाण उपस्थित हैं, नव पाशान काल के अन्त से कांस्य युग के प्रारंभ तक यूनान के भिन्न क्षेत्रों में खेती की शुरुआत के ५००-१००० सालों में अपरदन हुआ। पहली सहस्राब्दी के मध्य काल के बाद हजार सालों में असंख्य स्थानों में बहुत अधिक मिटटी का अपरदन हुआ। बंदरगाहों की ऐतिहासिक अवसादन (silting) जिसमें एशिया माइनर (Asia Minor) के दक्षिणी किनारों और (उदहारण क्लारस (Clarus) और [[एफेसस|इफिसुस, प्रिएने (Priene) और मिलेटस (Miletus), के उदाहरण जहाँ प्रवाह के द्वारा इकट्ठी हुई गाद या सिल्ट के कारण बंदरगाहों को छोड़ना पड़ता था।) तटीय सीरिया में पिछले शताब्दी ई.पू. के दौरान गाद का इकठ्ठा होना शामिल है। ]] (Ephesus)
ईस्टर द्वीप (Easter Island) ने हाल की शताब्दियों में भारी मृदा अपरदन (soil erosion) का सामना किया है, जो खेती और वनोन्मूलन का परिणाम है।[९६]जारेद डायमंड (Jared Diamond) अपनी पुस्तक कोलाप्स (Collapse)में प्राचीन ईस्टर द्वीप वासियों के पतन के बारे में बताते हैं। द्वीप में पेडों के गायब हो जाने के साथ १७ वीं और १८ वीं शताब्दी के आस पास यहाँ की सभ्यता का भी अन्त हो गया।[९७][९८]
ब्रुगेस (Bruges) के बन्दर गाह की प्रसिद्द सिल्टिंग, जिसने बंदरगाह के वाणिज्य को एन्टवर्प (Antwerp) में स्थानांतरित कर दिया, यह भी उपरी नदी की घाटियों में बढ़ी हुई आवास वृद्धि (और जाहिर तौर पर वनोन्मूलन के) के बाद हुआ। प्रारम्भिक मध्य युगीन रीज (Riez) में दो छोटी नदियों की जलोढ़ गाद ने नदी के किनारों को ऊपर उठा दिया और बाढ़ की समतल भूमि को चौडा कर दिया, जिससे धीरे धीरे रोमन आवास मिटटी में मिल गया और धीरे धीरे उच्च भूमि पर निर्माण कार्य हो गए; परिणाम स्वरुप रीज के ऊपर शीर्ष जल की घाटियाँ चरागाह के लिए खुल गयीं। साँचा:fix
एक प्रारूपिक प्रगति जाल (progress trap) यह है कि अक्सर शहरों को वनों के क्षेत्रों में बनाया जाता था और लकड़ी को निर्माण उद्योग को उपलब्ध करा दिया जाता था, (उदाहरण के लिए निर्माण, जहाज निर्माण, बर्तनों के उद्योग) जब वनोन्मूलन के साथ उपयुक्त पेड़ नहीं लगाये जाते हैं, स्थानीय लकड़ी की आपूर्ति प्रतिस्पर्धी रहने के लिए पर्याप्त नहीं रह जाती, जिससे शहरों का परित्याग करना पड़ता है जैसा कि प्राचीन एशिया माइनर (Asia Minor) में बार बार हुआ। खनन और धातु विज्ञान के संयोजन अक्सर इस आत्म विनाशकारी मार्ग के साथ चले साँचा:fix
इस बीच सबसे अधिक जनसंख्या कृषि के क्षेत्र में सक्रिय रही, (या अप्रत्यक्ष रूप से इस पर निर्भर रही) अधिकांश क्षेत्रों में मुख्य दबाव था फसल और मवेशियों के लिए भूमि की सफाई करना; भाग्यवश काफी हरे जंगल बच गए, (जिनका उपयोग आंशिक रूप से लकडी, जलने की लकडी, फल आदि इकठ्ठा करने के लिए किया जाता था।) जिससे वन्य जीवन बचा रहा और शिकार के लिए विशेषाधिकार लेना व्यवहार्य था जिससे महत्वपूर्ण वन भूमि संरक्षित रही। साँचा:fix
जनसँख्या के प्रसार में मुख्य भाग था (और इस प्रकार अधिक टिकाऊ विकास) विषयक 'अग्रणी'(विशेष रूप से बेनेडिकताइन और वाणिज्यिक आदेश) और कुछ सामंती यहोवा सक्रिय रूप से किसानों को अच्छी कानूनी और वित्तीय स्थितियों के माध्यम से आकर्षित कर रहे थे ताकि वे स्थापित हो जाएँ; यहाँ तक कि जब उन्होंने शहरों की स्थापना को प्रोत्साहित किया, तो चरों औ हमेशा एक कृषि बेल्ट रही और कुछ दीवारों के भीतर भी थीं दूसरी और जब ऐसे कारणों जैसे काली मृत्यु (Black Death) या विनाशकारी युद्ध के द्वारा जनसांख्यिकी वास्तव में सामने आई, (उदाहरण चंगेज खान के मंगोल फ़ौजपूर्वी और मध्य यूरोप में, जर्मनी में तीस साल का युद्ध (Thirty Years' War)) जिससे आवासों को छोड़ा जा रहा था, इस पर फिर से पेड़ लगाने कोशिश की जा रही थी, हालाँकि द्वितीयक वन (secondary forest) में आम तौर पर जैव विविधता (biodiversity) की कमी थी।
११०० से १५०० ई. में पश्चिमी यूरोप (Western Europe) में वनोन्मूलन की गयी, जिसके परिणाम स्वरुप मानव आबादी का विस्तार (expanding human population) हुआ। अन्वेषण, उपनिवेशवाद (colonisation), गुलामों के व्यापार (slave trade) के लिए १५ वीं सदी के बाद से यूरोपीय (तटीय) नौसेना मालिकों द्वारा लकड़ी नौकायन जहाजों के बड़े पैमाने पर निर्माण -; और ऊँचे समुद्रों पर अन्य व्यापार और नौसेना युद्ध (१५५९ में स्पैनिश अरमाडा (Spanish Armada) के द्वारा इंग्लेंड पर असफल आक्रमण और १५७१ में लेपान्तो का युद्द (battle of Lepanto) पुराने मामले हैं जिनमें लकड़ी का दुरूपयोग किया गया; नेल्सन के हर शाही नौसैनिक (Royal navy) युद्ध पोत को ६००० परिपक्व ओक की जरुरत होती थी,) और चोरी (piracy) यानि पूरे वन क्षेत्र पर आक्रमण किया जा रहा था, जैसे कि स्पेन में जहाँ किओलाम्बस के द्वारा अमेरिका की खोज के बाद से औपनिवेशिक गतिविधियों जैसे खनन, पशु, वृक्षारोपण, व्यापार ...आदि के कारण अर्थ व्यवस्था कमजोर हो गयी।
भूमि परिवर्तन (१९८३) में विलियम क्रोनोन (William Cronon) ने १७ शताब्दी की नई इंग्लैंड (New England) की अंग्रेजों की रिपोर्टों को संग्रहीत किया जिसमें प्राम्भिक समय में वनों की सफाई के दौरान मौसमी बाढ़ के बारे में बताया गया और ऐसा माना जाता था कि यह व्यापक रूप से वनोन्मूलन से सम्बन्धित था।
औद्योगिक पैमाने पर चारकोल (charcoal) का आरंभिक आधुनिक यूरोप (Early Modern Europe) में उपयोग पश्चिमी वनों पर हमले का एक नया रूप था; यहाँ तक कि स्टुअर्ट इंग्लैंड में चारकोल के अपेक्षाकृत आदिम उत्पादन के स्तर पहले से ही एक प्रभावशाली स्तर तक पहुँच गए थे। जहाज की लकड़ी के लिए स्टुअर्ट इंग्लैंड में व्यापक रूप से वनोन्मूलन की जाती थी, अन्ततः यह अपने लिए बाल्टिक (Baltic) व्यापार पर निर्भर हो गया और न्यू इंग्लैंड (New England) से अपनी आवशयकता की आपूर्ति करने लगा। फ्रांस में, कोलबर्ट (Colbert) ने भावी फ्रांसीसी सेना को आपूर्ति के लिए ओक (oak) के पेड़ लगाये; ओक के जंगल मध्य उन्नीसवीं सदी में परिपक्व हो गए, अब मास्ट और मस्तूल की और जरुरत नहीं थी।
नोर्मन एफ केंटोर (Norman F. Cantor) का मध्ययुगीन वनोन्मूलन के प्रभावों का सार, आरंभिक आधुनिक यूरोप पर समान रूप से लागू होता है:[९९]
Europeans had lived in the midst of vast forests throughout the earlier medieval centuries. After 1250 they became so skilled at deforestation that by 1500 AD they were running short of wood for heating and cooking. They were faced with a nutritional decline because of the elimination of the generous supply of wild game that had inhabited the now-disappearing forests, which throughout medieval times had provided the staple of their carnivorous high-protein diet. By 1500 Europe was on the edge of a fuel and nutritional disaster, [from] which it was saved in the sixteenth century only by the burning of soft coal and the cultivation of potatoes and maize.
कई विकासशील देशों में बीसवीं सदी के वनोन्मूलन में कई समान बिंदु देखे गए हैं।
डीफोरेस्टेशन टुडे
वर्षा वनोन्मूलन
वनोन्मूलन की दरों का अनुमान लगाने में मुश्किलें कहीं पर भी स्पष्ट नहीं हैं, जबकि वनोन्मूलन की दरें बहुत अधिक भिन्नता भी रखती हैं। एक चरम सीमा पर लीड्स विश्व विद्यालय के एलन ग्रेंगर का तर्क है कि वर्षा वन क्षेत्र की दीर्घ कालिक गिरावट के कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं हैं[१००] जबकि कुछ अन्य पर्यावरणी समूहों का तर्क है कि विश्व के उष्णकटिबन्धीय वर्षा वनों का पांचवां भाग १९६० और १९९० के बीच नष्ट हो गया, ५० साल पहले वर्षा वन ने दुनिया की १४ प्रतिशत सतह को आवरित किया और ६ प्रतिशत घट गया। [७९] और यह कि २०९० तक उष्ण कटिबन्धीय वन नष्ट हो जायेंगे.[७९] जबकि एफ ए ओ का कहना है कि उष्णकटिबन्धीय वन के वार्षिक नुकसान की दर कम हो रही है,[१०१](एफ ए ओ आंकडे मुख्य रूप से व्यक्तिगत देशों के वन विभागों की रिपोर्टों पर आधारित हैं)[१०२] १९८० में ८ मिलियन से लेकर १९९० में ७न मिलियन रह गए, कुछ पर्यावरण विज्ञानियों का तर्क है कि वर्षा वन अधिक तेजी से नष्ट हो रहे हैं।[१०३] लंदन स्थित वर्षा वन फाउंडेशन (Rainforest Foundation) के अनुसार "संयुक्त राज्य के आंकडे वन की परिभाषा पर आधारित हैं यहाँ पर केवल १० प्रतिशत क्षेत्र वन से आवरित है, इसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जिनमें सवाना की तरह का पारितंत्र है और बुरी तरह से क्षतिग्रस्त वन भी हैं। "[१०४]
ये भिन्न दृष्टिकोण उष्णकटिबन्धीय वनोन्मूलन की हद में अनिश्चितता का परिणाम है। उष्णकटिबन्धीय देशों के लिए, वनोन्मूलन का अनुमान बहुत अनिश्चित है और + / - ५० % तक गलत हो सकती हैं[१०५] जबकि उपग्रह चित्रों के अनुसार कटिबन्धों में वनोन्मूलन की दर सबसे अधिक उद्धृत दर से २३ प्रतिशत कम है।[१०६] इसके विपरीत उपग्रह चित्रों के एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि अमेजन वर्षा वन (Amazon rainforest) में वनोन्मूलन की दर वैज्ञानिकों के पूर्व अनुमान से दो गुनी है।[१०७] पश्चिम अफ्रीका में बीसवीं सदी के दौरान जिस हद तक वनोन्मूलन की गयी उसे वर्तमान में बेहद अतिरंजित किया जा रहा है[१०८].
इन अनिश्चितताओं के बावजूद यह समझौता किया गया है कि वर्षा वनों का विकास एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय समस्या बनी हुई है। पश्चिम अफ्रीका (West Africa) तटीय वर्षावन का ९० प्रतिशत तक ख़त्म हो चुका है। १९०० .[१०९]दक्षिण एशिया लगभग ८८ प्रतिशत वर्षा वन लुप्त हो चुके हैं।[११०] विश्व के अधिकांश वर्षा वन अमेजन बेसिन (Amazon basin) में बने हुए हैं, जहाँ अमेजन वर्षा वन (Amazon Rainforest) लगभग ४ मिलियन वर्ग किलोमीटर को आवृत करते हैं।[१११] सबसे अधिक उष्णकटिबन्धीय वनोन्मूलन की दर मध्य अमेरिका (Central America) में २००० अरु २००५ के बीच रही--जिसमें प्रति वर्ष १.३ प्रतिशत वनों को खोया गया--और साथ ही उष्णकटिबन्धीय एशिया में भी यह दर उच्च थी।[१०४]मध्य अमेरिका (Central America), में वर्षा वन का ४० प्रतिशत पिछले ४० वर्षों में ख़त्म हो गया।[३८]मेडागास्कर अपने ९० प्रतिशत वर्षा वनों को खो चुका है।[११२][११३] २००७ तक केवल १ प्रतिशत हैती वन रह गए थे,[११४] कई देशों[११५] विशेषकर ब्राजीलने वनोन्मूलन को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया। [११६]
१८०० के मध्य से लेकर १८५२ तक ग्रह ने एक अभूतपूर्व अनुभव प्राप्त किया[११७] दुनिया भर में वनों के विनाश की दर बदल गयी।[३१] परिपक्व उष्णकटिबन्धीय वन (tropical forest) के आधे से अधिक वनों को साफ़ कर दिया गया जो कुछ हजार साल पहले हमारे ग्रह को आवरित करते थे।[११८]
३० जनवरी २००९ को न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में कहा गया कि " एक अनुमान के अनुसार, हर साल वर्षा वन के कटे गए प्रत्येक एकड़ के लिए, कटिबन्धों में ५० एकड़ नए वन उगाये जे आरहे हैं। .........."नए वनों में पुराणी खेती की भूमि के द्वितीयक वन शामिल हैं और इसलिए ये अवक्रमित वन कहलाते हैं।[११९]
अफ्रीका
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार अफ्रीका में वनोन्मूलन की दर दुनिया से दोगुनी है, (यूएनईपी (UNEP)).[१२०][१२१] कुछ सूत्रों का कहना है कि वनोन्मूलन को पहले ही नष्ट किया जा चुका है। पश्चिम अफ्रीका (West Africa) के मोटे तौर पर ८० प्रतिशत मूल वन हैं।[१२२][१२३]मध्य अफ्रीका (Central Africa) में वनोन्मूलन की दर बढ़ रही है।[१२४]एफएओ (FAO) के अनुसार अफ्रीका ने किसी भी महाद्वीप की तुलना में अधिकतम वर्षा वनों को खोया।[१२५] एफएओ (१९९७) के आंकडों के अनुसार पश्चिम अफ्रीका (moist forest) के केवल २२.८ प्रतिशत नाम वन शेष रह गए हैं। इनमें से अधिकाश अवक्रमित हैं।[१२६] बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन से कुछ अफ्रीकी देशों मेंखाद्य सुरक्षा (food security) के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।[४८] अफ्रीका में वनोन्मूलन की दर सबसे ज्यादा है क्यों की इसकी जनसँख्या का ९० प्रतिशत खाना पकाने आदि के लिए लकड़ी पर निर्भर है।[१२७]
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) अन्तर्राष्ट्रीय[१२८] के द्वारा २००२ में किया गए अनुसंधान से पता चलता है कि अवैध कटाई (illegal logging) की दरों में बहुत अधिक भिन्नता पाई जाती है, यह कैमरून और इक्वेटोरियल गिनी में ५० प्रतिशत से लेकर गैबॉन में ७० प्रतिशत और लाइबेरिया में ८० प्रतिशत है -जहाँ लकड़ी उद्योग से प्राप्त राजस्व ने नागरिक युद्ध को बढ़ावा दिया।
इथोपिया
साँचा:main पूर्वी अफ्रीका (East Africa) में स्थित इथियोपिया (Ethiopia) में वनोन्मूलन का मुख्य कारण है बढ़ती हुई जनसंख्या (growing population) और परिणाम स्वरुप कृषि, पशुधन उत्पादन और ईंधन की लकड़ी के लिए उच्च मांग.[१२९] अन्य कारणों में शामिल है कम शिक्षा और सरकार की निष्क्रियता,[१३०] हालांकि वर्तमान सरकार ने वनोन्मूलन पर नियंत्रण करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं।[१३१] संगठन जैसे फार्म अफ्रीका वन प्रबन्धन तंत्र के निर्माण के लिए संघीय और स्थानीय सरकारों के साथ काम कर रहे हैं।[१३२] इथियोपिया जो जन संख्या की दृष्टि से अफ्रीका में तीसरा सबसे बड़ा देश (third largest country in Africa) है, कई बार वर्षा की कमी और प्राकृतिक संसाधनों की कमी की वजह से अकाल (famine) का सामना कर चुका है। वनोन्मूलन की वजह से बारिश की सम्भावना कम हो गयी है जो पहले से ही कम है और इस प्रकार से मृदा में अपरदन होता है। बरसला बाईसा, एक एथोपीय किसान, एक उदाहरण देता है कि वनों कि कटाई क्यों होती है। उसके अनुसार उसका जिला वन और वन्य जीवन से परिपूर्ण था, लेकिन अत्यधिक जनसँख्या की वजह से लोग यहाँ आये और फसलों को साफ़ कर दिया और सभी पेड़ों को काट कर लकड़ी के रूप में बेच दिया गया।[१३३]
इथोपिया पिछले ५० सालों में अपने ९८ प्रतिशत वनों को खो चुका है।[१३२] २० वीं शताब्दी की शुरुआत में इथोपिया की लगभग ४२०००० वर्ग किलोमीटर भूमि वनों से आवरित थी। हाल ही की रिपोर्टें बताती हैं कि वन केवल १४.२[१३२] प्रतिशत को ही आवरित कर रहे हैं या अब केवल ११.९ प्रतिशत भाग को। [१३४] १९९० और २००५ के बीच देश के १४ प्रतिशत वन या २१००० वर्ग किलोमीटर के वन ख़त्म हो गए।
मेडागास्कर
वनोन्मूलन[१३५] और इसके परिणाम स्वरुप मरुस्थलीकरण (desertification),जल संसाधन में कमी (water resource degradation) और मृदा की हानि (soil loss) ने मेडागास्कर की पहले से जैव उत्पादक भूमि के ९४ प्रतिशत भाग को प्रभावित किया है। २००० साल पहले मनुष्य के आने के बाद से मेडागास्कर अपने ९० प्रतिशत से अधिक मूल वनों को खो चुका है।[१३६] इसमें से अधिकांश नुकसान फ्रांस से स्वतन्त्रता के बाद हुआ। इसका कारण है कि स्थानीय लोग जीवन निर्वाह हेतू स्लेश एंड बर्न (slash-and-burn) प्रकार की खेती करते रहे हैं।[१३७] बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की वजह से, इस समय देश अपनी तेजी से बढती हुई आबादी को उपयुक्त भोजन, तजा पानी और सफाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने में असमर्थ है।[१३८][१३९]
नाइजीरिया
साँचा:main एफएओ के मुताबिक, नाइजीरिया में प्राथमिक वनों कीई कटाई की दर दुनिया में उच्चतम है। इसने पिछले ५ सालों में अपने आधे से अधिक प्राथमिक वनों को खो दिया है। इसके कारण हैं कटाई,निर्वाह हेतू खेती (subsistence agriculture) और ईंधन की लकड़ी का संग्रह.पश्चिम अफ्रीका (West Africa) के लगभग ९० प्रतिशत वर्षा वन ख़त्म हो चुके हैं।[१४०]
आइसलैंड
नौवीं सदी में विकिंग्स के बसने के बाद आइसलैंड में व्यापक वनोन्मूलन हुई है। परिणामस्वरूप, वनस्पति और भूमि के बहुत बड़े क्षेत्र ख़त्म हो गए हैं और मृदा अपरदन तथा मरुस्थलीकरण हो गया है। लगभग आधा मूल वनस्पति आवरण नष्ट हो चुका है, जिसके कारण हैं अतिक्रमण, कटाई और कठोर प्राकृतिक परिस्थितियों में जरुरत से ज्ञाता चराई.वनों और जंगलों का लगभग ९५ प्रतिशत जो कभी आइसलेंड के २५ क्षेत्र को आवरित करता था, ख़त्म हो चुका है। वनों को फिर से लगाने और वनस्पति को फिर से उगाने की वजह से भूमि के छोटे क्षेत्रों को बहाल किया गया है।[१४१]
ऑस्ट्रेलिया
विक्टोरिया और एन एस डबल्यू के रेड गम (red gum) वन जिसमें मूर्रे नदी का बर्मह मिलावा (Barmah-Millewa) शामिल है, तेजी से यांत्रिक उपकरणों की सहायता से साफ़ करके गिराए जा रहें हैं। (clear-felled) ये पहले से ही दुर्लभ आवास (habitat) को नष्ट कर रहे हैं। मेक्नेली का अनुमान है कि लगभग गिरी हुई इमारती लकड़ी का लगभग ८२ प्रतिशत दक्षिणी मुर्रे के डार्लिंग बेसिन से हटा दिया गया है।[१४२] और मिड मुर्रे वन प्रबन्धन क्षेत्र (जिसमें बर्मा और गुनबोवर वन भी शामिल हैं) विक्टोरिया रेड गम लकड़ी का ९० प्रतिशत भाग उपलब्ध करता है।[१४३]
वनों की क्षति के कारणों में एक करक है शहरी क्षेत्र (urban area) का विस्तार.नदी के किनारे (Littoral) वर्षा वन जो पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के किनारों में विकसित हो रहे हैं, ये अब रिबन विकास (ribbon development) के कारण दुर्लभ हो गए हैं, जो कि समुद्र परिवर्तन (seachange) जीवन शैली की मांग के लिए किया जा रहा है।[१४४]
ब्राजील
साँचा:main इस बात पर सहमती नहीं है कि ब्राजील में वनोन्मूलन का क्या कारण है, हालाँकि एक व्यापक सहमति है कि फसलों के लिए भूमि और चरागाहों का विस्तार महत्वपूर्ण है। वस्तुओं (commodity) की कीमतों में वृद्धि वनोन्मूलन की दर को बढा सकती है।[१४५][१४६] सोयाबीन की एक नयी किस्म के हाल ही में हुए विकास से अन्य फसलों की खेती और मांस प्रतिस्थापित हो गए हैं, इसका परिणाम वनों पर पड़ा है।[१४७] विशिष्ट क्षेत्र जैसे अटलांटिक वर्षा वन (Atlantic Rainforest) कम होकर केवल अपने मूल आकार के ७ प्रतिशत ही रह गए हैं।[१४८] हालाँकि बहुत अधिक संरक्षण कार्य किया गया है, कुछ ही राष्ट्रीय पार्कों या संसाधनों को प्रभावी रूप से बनाया गया है।[१४९]अमेज़न (Amazon) में 80 प्रतिशत कटाई अवैध (illegal) है।[१५०]
२००८ में ब्राजील की साकार ने अमेजन में वनोन्मूलन की रिकोर्ड दर की घोषणा की है।[१५१][१५२] वनोन्मूलन कि दर २००७ में बारह की तुलना में २००८ में ६९ प्रतिशत उछाल गयी। अधिकारिक सरकारी आंकडों के अनुसार माह[१५३] वनोन्मूलन से अमेजन वर्षा वनों (Amazon rainforest) का लगभग ६० प्रतिशत नष्ट हो जायेगा.डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) की एक समाचार रिपोर्ट ऐसा कहती है।[१५४]
कनाडा
वनोन्मूलन का एक मामला थंडर बे (Thunder Bay) के पास ओंटारियोके बोरियल वनों (boreal forests) में हो रहा है, जहाँ १९००० वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र के २८.९ प्रतिशत भाग द्पिच्ले ५ सालों में लुप्त हो गए हैं और इनमें वुड लैंड कारिबू (woodland caribou) का खतरा है। यह मुख्यतया चेहरे ऊतक (facial tissue) उद्योग[१५५] को लुगदी की आपूर्ति करने के लिए हो रहा है।
कनाडा में बोरियल वन का ८ प्रतिशत विकास से सुरक्षित है और ५० प्रतिशत से अधिक कटाई के लिए कम्पनियों को आवंटित किया जा चुका है।[१५६]
दक्षिणपूर्वी एशिया
दक्षिण पूर्व एशियावनों की क्षति की गति बहुत तीव्र है,[१५७] यह दुनिया के सबसे बड़े जैव विविध होट स्पोट्स में दूसरे स्थान पर है।[१५८] एफएओ द्वारा संचालित की गयी २००५ रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया के बाद वियतनाम में प्राथमिक वनोन्मूलन की दर सबसे ज्यादा है।[१५९]फिलिपीनद्वीपसमूह (archipelago) के ९० प्रतिशत से अधिक पुराने वर्षा वनों को काटा जा चुका है।[१६०]
रूस
पृथ्वी पर किसी भी राष्ट्र की तुलना में रूस में वनों का अधिकतम क्षेत्र है।[१६१] वनोन्मूलन की दरों में हाल ही में बहुत कम अध्ययन हुआ है, लेकिन १९९२ में २ मिलियन हेक्टेयर वनों की क्षति हुई और १९९४ में ३ मिलियन हेक्टेयर वनों की क्षति हुई। [१६२] रूस में वनोन्मूलन का वर्तमान पैमाना गूगल अर्थ (Google Earth) का उपयोग करते हुए आसानी से देखा जा सकता है। चीन के आस पास के क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, क्योंकि यह लकड़ी का मुख्य बाजार है।[१६३] रूस में वनोन्मूलन विशेष रूप से हानिकारक है क्योंकि बहुत तेज सर्दी की वजह से वनों की वृद्धि का सीजन बहुत छोटा होता है और इसलिए सामान्य स्थिति में आने में बहुत अधिक समय लगता है।
इंडोनेशिया
वर्तमान दरों से, इंडोनेशिया में उष्णकटिबन्धीय वर्षावन १० साल में काट दिए जायेंगे, पापुआ न्यू गिनी १३ से १६ सालों में.[१६४]इंडोनेशिया में काफी बड़े वन क्षेत्र हैं, इनकी क्षति हो रही है क्योंकि बड़ी बहुराष्ट्रीय पल्प कंपनियों के द्वारा राष्ट्रीय वनों को काटा जा रहा है और उन्हें वृक्षारोपण द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है। सुमात्रा में १० हजार वर्ग किलोमीटर वनों को साफ़ किया जा चुका है, यह अक्सर साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">कब?]जकार्ता की केन्द्रीय सरकार के आदेश के अधीन किया जाता है, जो वनों को हटाने के लिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियों[१६५] का साथ देती है। क्योंकि उसे अन्तर्राष्ट्रीय दायित्वों से कर्ज का भुगतान करना होता है और आर्थिक रूप से विकास करना होता है। साँचा:fixकालीमंतन (Kalimantan) में १९९१ और १९९९ के बीच वनों के बड़े क्षेत्रों को जला दिया गया, क्योंकि एक अनियंत्रणीय आग की वजह से दक्षिण पूर्व एशिया में वातावरण में प्रदूषण हो रहा था।[१६६] हर साल, किसानों द्वारा वनों को जलाया जाता है (स्लेश एंड बर्न तकनीक (slash-and-burn) को पूरी दुनिया में २०० से ५०० मिलियन लोग अपनाते हैं।)[१६७] और बागान मालिकों के द्वारा भी वनों को जलाया जाता है। वनोन्मूलन का एक प्रमुख स्रोत है कटाई उद्योग (logging industry), जो मुख्यतया चीन और जापान द्वारा संचालित है।[१६८]इंडोनेशिया में कृषि विकास कार्यक्रम (स्थानांतरगमन कार्यक्रम (transmigration program)) ने बहुत बड़ी जनसँख्या को वर्षा वन (rainforest) में स्थानांतरित कर दिया। जिससे वनोन्मूलन की दरोंमें वृद्धि हुई।
एक संयुक्त ब्रिटेन-इंडोनेशिया अध्ययन जो १९९८ में इंडोनेशिया में लकड़ी उद्योग पर किया गया, बताता है कि लगभग ४० प्रतिशत कटाई अवैध (illegal) थी, जिसकी कीमत ३६५ मिलियन डॉलर से अधिक थी।[१६९] हाल ही के अनुमान, जो कानूनी कटाई की तुलना निर्यात सहित घरेलू उपभोग के साथ करते हैं, बताते हैं कि देश में ८८ प्रतिशत कटाई किसी भी तरीके से अवैध है।[१७०] मलेशिया इंडोनेशिया से अवैध लकड़ी के उत्पादों के लिए प्रमुख पारगमन देश है।[१७१]
संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका में [[पुराने वनों कि क्षति .
१६२०, १८५० और १९२० के नक्शे: विलियम बी ग्रीली, भूगोल का लकडी की आपूर्ति से सम्बन्ध, आर्थिक भूगोल, १९२५, खंड १ पी १ -११ .आज के नक्शे के स्रोत: जॉर्ज द्रेफ़न के द्वारा सड़कों की कमी क्षेत्र के नक्शे से बहरी भाग से संकलित:संयुक्त राज्य के बड़े वन्य क्षेत्र की एक वर्णनात्मक सूची, डेव फोरमैन और होवी वोके के द्वारा (हार्मोनी बुक्स, १९९२)ये नक्शे केवल शुध्ध वन हानि का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुछ वृद्धि हुई है लेकिन जनसँख्या वृद्धि और खेती के कारण १६२० के बराबर नहीं.बाईं तरफ अमेरिका की प्रविष्टि देखें]]}
यूरोपीय-अमेरिकियों (European-Americans) के आने से पहले संयुक्त राज्य का लगभग आधा क्षेत्र वन थे, यह १६०० में लगभग ४ मिलियन वर्ग किलोमीटर था।[१७२] अगले ३०० सालों में भूमि को साफ़ किया गया अधिकतर कृषि के लिए ऐसा किया गया। यह दर जनसँख्या वृद्धि के दर से मेल खाती थी।[१७३] जनसँख्या में हर एक व्यक्ति कि वृद्धि के लिए १ से २ हेक्टेयर भूमि पर खेती की गयी।[१७४] यह क्रिया १९२० तक जारी रही जब फसल के लिए भूमि की मात्रा जनसँख्या वृद्धि के बावजूद स्थिर हो गयी। खेती की भूमि को वनों में परिवर्तित किया गया। यह १९५२ से बढती हुई १९६३ में अधिकतम १९६३ ३०८०००० km ² (७६२ मिलियन एकड़) तक पहुँच गयी। १९६३ के बाद से लगातार वन क्षेत्र में कमी आई है। १९९७ के बाद से इसके कुछ ही अपवाद मिलते हैं। वन भूमि में वृद्धि का कारण है फसलों और चरागाहों की भूमि का रूपांतरण.क्योंकि शहरी विकास जारी रहने की उम्मीद है, २००५० तक लगभग ९३००० किमी ² वन भूमि (२३ मिलियन एकड़) नष्ट हो जायेगी,[१७५] यह १९९७ से ३प्रतिशत कमी होगी। अन्य गुणात्मक मुद्दों की भी पहचान की गयी है जैसे पुराने वनों की निरंतर क्षति,[१७६] वन भूमि के खंडीकरण में वृद्धि, और वन भूमि का बढ़ता हुआ शहरीकरण.[१७७]
पूर्वी वन में प्रजाति विलोपन
स्टुअर्ट एल पिम की एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में वन आवरण की सीमा १८७२ में इसकी न्यूनतम बिंदु तक पहुँच गयी, यह १६२० में वन आवरण की मात्रा का लगभग ४८ प्रतिशत था। पिम का दावा है कि आवास ख़त्म हो जाने के कारण वन में २८ पक्षी प्रजातियों में से ४ पूरी तरह से या अधिकांशतया विलुप्त हो गयीं, पेसेंजर पिजन या यात्री कबूतर (passenger pigeon),केरोलिना पाराकीत (Carolina parakeet),आइवरी- बिल्ल्ड वुडपेकर (ivory-billed woodpecker),बेचमेन्स वार्बलर (Bachman's Warbler).[१७८]
वनोन्मूलन पर नियंत्रण
क्योटो प्रोटोकॉल
वनोन्मूलन को नियंत्रित करने में एक मुख्य कारक क्योटो प्रोटोकोल से आ सकता है। वनोन्मूलन (deforestation) को रोकना वनोन्मूलन और गिरावट से कम उत्सर्जन (Reduced Emissions from Deforestation and Degradation) के रूप में भी जाना जाता है। (आर ई डी डी) इसे भावी क्योटो प्रोटोकोल में कार्यान्वित किया जा सकता है और यह वनों की बड़ी मात्रा को सुरक्षित करने में मदद करता है।[१७९] इस समय, आरईडीडी किसी भी प्रत्यास्थ प्रणाली में कार्यान्वित नहीं किया गया है, जैसे सीडीएम (CDM), जी या एट.
खेती
अधिक उच्च स्तरीय खेती के लिए नयी विधियों का प्रयोग किया जा रहा है, जैसे उच्च उत्पादक संकर (hybrid) फसलें, हरित गृह (greenhouse), स्वायत्त निर्माण (autonomous building) बगीचे और हाइड्रोपोनिक (hydroponic).ये विधियाँ आवश्यक पैदावार बनाए रखने के लिए अक्सर रासायनिक इनपुट पर निर्भर करती हैं। चक्रीय कृषि में पशु खेत पर चराई करते हैं यह उन्हें आराम और उर्जा देता है। चक्रीय कृषि वास्तव में मिट्टी की उर्वरता को बढाती है। गहन खेती भी मृदा की पोषण क्षमता को कम कर देती है, इसमें पोषकों का अवशोषण कर लिया जाता है और फसल की वृद्धि के लिए जरुरी लघु पोषक तत्व भी अवशोषित कर लिए जाते हैं। साँचा:fix
वनोन्मूलन का प्रभाव
वनोन्मूलन से कई सामाजिक और पर्यावरणी समस्याएँ सामने आती हैं। वैश्विक वनोन्मूलन के तात्कालिक और दीर्घकालिक परिणाम पृथ्वी पर जीवन को खतरे में डाल देते हैं जैसा कि हम जानते हैं। इनमें से कुछ परिणाम हैं: जैव विविधता की क्षति, वन आधारित समाज का विनाश; और जलवायु विघटन.उदाहरण के लिए अमेजन वर्षा वन का अधिक नुकसान वायुमंडल में बहुत अधिक मात्र में कार्बन डाई ऑक्साइड को मुक्त कर सकता है।[१८०]
वन प्रबन्धन
कई सदियों से वनोन्मूलन को रोकने या कम करने के प्रयास किया जा रहे हैं, क्योंकि लम्बे समय से यह ज्ञात है कि वनोन्मूलन पर्यावरण को नष्ट करती है और कुछ मामलों में यह समाज के पतन का कारण बन जाती है। टोंगा (Tonga) में, सर्वोच्च शासक ने कुछ नीतियाँ बनाईं जिससे वन को कृषि भूमि में बदलने से होने वाले अल्पकालिक लाभ और दीर्घकालिक समस्याओं के बीच संघर्ष को रोका जा सके। [१८१] जबकि १७ और १८ वीं शताब्दियों के दौरान तोकुगावा (Tokugawa) जापान[१८२] में शोगुनों ने एक उच्च परिष्कृत प्रणाली विकसित की ताकि आने वाली सदियों में वनोन्मूलन को रोका जा सके और फिर से वन विकसित किये जा सकें, ऐसा लकड़ी के बजाय किसी अन्य विकल्पी उत्पाद को काम में लेकर किया जा सकता है और खेती के लिए सदियों से प्रयुक्त की जा रही भूमि के प्रभावी उपयोग के द्वारा किया जा सकता है। सोलहवीं सदी में जर्मनी के भू मालिकों ने भी वनोन्मूलन की समस्या से निपटने के लिए सिल्वी कल्चर विधि का विकास किया। हालांकि, ये नीतियाँ वातावरण के साथ सीमित होतीं हैं, जैसे अच्छी वर्षा, कोई शुष्क मौसम नहीं और बहुत युवा मिट्टी (soil) (ज्वालामुखी या ग्लेशियर के माध्यम से).ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पुरानी और कम उर्वरक भूमि के पेड़ सिल्विकल्चार में इतना धीरे धीरे विकसित होते हैं कि वे आर्थिक रूप से लाभकारी होते हैं। साथ ही बहुत अधिक शुष्क मौसम से युक्त क्षेत्रों में फसल के परिपक्व होने से पहले ही इसके जल कर नष्ट हो जाने का खतरा रहता है।
उन क्षेत्रों में जहाँ "स्लेश एंड बर्न (slash-and-burn)"प्रक्रिया को अपनाया जाता है, वहां इसके बजाय स्लेश एंड चार (slash-and-char) को अपना लेना तीव्र वनोन्मूलन को रोकेगा और जिसके परिणाम स्वरुप मृदा की गुणवता में गिरावट भी रुक जायेगी.इस प्रकार से उत्पन्न बायोचार (biochar), फिर से मिटटी में डाल दी जाती है, यह न केवल एक टिकाऊ कार्बन ज़ब्ती विधि है, बल्कि मिटटी के संशोधन (amendment) की दृष्टि से बहुत अधिक लाभदायक भी है। जैविक द्रव्य (biomass) के साथ मिश्रित होकर यह टेरा प्रेटा (terra preta) का निर्माण करता है, यह ग्रह पर ज्ञात सबसे अच्छी मिटटी होती है यह एक मात्र ज्ञात मिटटी का प्रकार है जो मृदा को पुनर्जीवित कर देता है। छी
पुनः जंगल लगाना.
दुनिया के कई भागों में, विशेष रूप से पूर्वी एशियाई देशों में, वन रोपण और वृक्षारोपण वन भूमि के क्षेत्र को बढा रहा है।[१८३] दुनिया के ५० सबसे बड़े वन युक्त राष्ट्रों में से २२ में वनों की मात्र में वृद्धि हुई है। एशिया में २००० और २००५ के बीच १ मिलियन हेक्टेयर वनों में वृद्धि हुई है। अल साल्वाडोर में उष्णकटिबन्धीय वन १९९२ और २००१ के बीच २० प्रतिशत बढ़ गए। इन प्रवृतियों के आधार पर २०५० तक वैश्विक वन आवरण के १० प्रतिशत बढ़ जाने की उम्मीद है-जो भारत के क्षेत्रफल के बराबर है।[१८४]
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में, जहाँ बड़े पैमाने पर वनों का विनाश हो चुका है, सरकार ने कहा है कि हर समर्थ नागरिक जो ११ से ६० साल की उम्र के बीच का है, उसे हर साल ३ से ५ पेड़ लगाने चाहिए या अन्य वन सेवाओ में इसी के समकक्ष मात्र में कुछ काम करने चाहिए। सरकार का दावा है कि १९८२ के बाद से चीन में कम से कम १ बिलियन पेड़ लगाये जा चुके हैं। अब इसकी और जरुरत नहीं है, लेकिन चीन में १२ मार्च को हर साल प्लांटिंग होलीडे (Planting Holiday) के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा, इससे चीन की ग्रीन वॉल (Green Wall of China) परियोजना की शुरुआत हुई है, जिसका उद्देश्य है पेड़ लगाकर गोबी रेगिस्तान के विस्तार को रोकना.हालांकि, लगाने के बाद बहुत अधिक (लगभग ७५ प्रतिशत तक) पेड़ों के मर जाने के कारण परियोजना बहुत अधिक सफल नहीं हुई है, साँचा:fix और प्रत्यास्थ प्रणाली (Flexible Mechanisms) के माध्यम से नियमित रूप से कार्बन की क्षतिपूर्ति एक बेहतर विकल्प होगा। १९७० के बाद से चीन में वन क्षेत्र में ४७ मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।[१८४] वन आवरण में चीन की कुल भूमि के ४.५५ प्रतिशत भाग में लगभग ३५ बिलियन पेड़ों की संख्या में वृद्धि हुई है। दो दशकों पहले वन आवरण १२ प्रतिशत था, जो अब १६.५५ प्रतिशत हो गया है।[१८५]
पश्चिमी देशों में, ग्राहकों की लकड़ी के उत्पादों के लिए बढती हुई मांग, जिसका उत्पादन एक अच्छे तरीके से किया गया है, इसकी वजह से वन भूमि के मालिकों और वन उद्योगों के द्वारा वन प्रबन्धन और लकड़ी उपयोग की प्रथाओं में वृद्धि हुई है।
आर्बर डे फाउंडेशन का वर्षा वन बचाव कार्यक्रम एक चेरिटी है जो वनोन्मूलन को रोकने में मदद करता है। चेरिटी दान में आये धन से वर्षावन भूमि को खरीदता है और इसे संरक्षित करता है, इससे पहले कि लकड़ी कम्पनियाँ इसे खरीद लें.यह आर्बर डे फाउंडेशन इस भूमि को कटाई से सुरक्षित करती है। यह वन भूमि में रहने वाली आदिम जनजातियों के के जीवन के तरीके को बन्धित करती है। संगठन जैसे सामुदायिक वानिकी अन्तर्राष्ट्रीय (Community Forestry International), प्रकृति संरक्षण (The Nature Conservancy), वर्ल्ड वाइड फंड प्रकृति के लिए (World Wide Fund for Nature), संरक्षण अन्तर्राष्ट्रीय (Conservation International), अफ्रीकी संरक्षण फाउंडेशन (African Conservation Foundation) और ग्रीनपीस भी वन आवास के संरक्षण पर ध्यान देते हैं। विशेष रूप से ग्रीनपीस ने भी वनों के नक्शे बनाये हैं, ये अभी भी बरकरार हैं और इस जानकारी को इंटरनेट पर चित्रित किया गया है।[१८६]हाओ स्टफ वर्क्स (HowStuffWorks) ने एक अधिक सरल विषयगत नक्शा बनाया जो मानव की आयु से ठीक पहले (८००० वर्ष पूर्व) उपस्थित वनों की मात्र को दर्शाता है। और वर्तमान में वनों के कम हो गए स्तर को भी दर्शाता है। इस प्रकार से निर्मित ग्रीनपीस नक्शा और हाओ स्टफ वर्क्स से यह विषयगत नक्शा वृक्षारोपण की मात्रा को चिन्हित करता है, जो मानव द्वारा की गयी क्षति की मरम्मत के लिए आवश्यक है।
वन वृक्षारोपण
विश्व की लकड़ी की मांग को पूरा करने के लिए वानिकी लेखक बोटकिंस और सेडजो (Sedjo) के द्वारा सलाह दी गयी है कि उच्च उपज के वन वृक्षारोपण (plantations) उपयुक्त हैं। ऐसा लगता है कि प्रति हेक्टेयर १० घन मीटर वार्षिक उत्पादन, दुनिया की उपस्थित वन भूमि के ५ प्रतिशत पर अन्तरराष्ट्रीय व्यापार के लिए आवश्यक आपूर्ति कर सकता है। इसके विपरीत प्राकृतिक वन लगभग १-२ घन मीटर प्रति हेक्टेयर उत्पन्न करते हैं, इसलिए मांग की आपूर्ति के लिए ५ से १० गुना अधिक वन भूमि की जरुरत होगी। वनपाल चेड ओलिवर के अनुसार एक उच्च उपज की वन भूमि से युक्त एक वन मोजेक की व्याख्या एक संरक्षण भूमि के रूप में की जाती है।[१८७]
वैज्ञानिकों की एक अन्तरराष्ट्रीय टीम, जिसका नेतृत्त्व हेलसिंकी विश्वविद्यालय (Helsinki University) में के अनुसार पर्यावरण विज्ञान और नीति के प्रोफेसर पैका कॉपी (Pekka Kauppi) के द्वारा किया जाता है, के अनुसार पहले से की जा चुकी वनोन्मूलन की भरपाई अगले ३० सालों में पेड़ लगा कर की जा सकती है। (जैसे सीडीएम और जी वनरोपण / पुनः वृक्षारोपण (CDM & JI afforestation/reforestation)) यह निष्कर्ष एफएओ (FAO) से प्राप्त आंकडों के विश्लेषण के माध्यम से किया गया।[१८८]
वृक्षारोपण के द्वारा पुनः वनों की स्थापना (उल्लेखित सी डी एम और जे आई ऐ/ आर परियोजना के माध्यम से), जलवायु परिवर्तन के कारण अवक्षेपण के परिवर्तन की दृष्टि से लाभकारी हो सकती है। यह इस अध्ययन के माध्यम से किया जा सकता है कि कहाँ पर अवक्षेपण को बढाया जाना है (देखें २०५० अवक्षेपण का ग्लोब्लिस विषयगत नक्शा ) और इन स्थानों में पुनः वृक्षारोपण की परियोजनाएं भी इस दृष्टि से लाभकारी होंगी.विशेष रूप से क्षेत्र जैसे नाइजर, सिएरा लियोन और लाइबेरिया इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं; क्योंकि वे भी एक बड़े भाग में मरुस्थल के विस्तार से पीड़ित हैं। (सहारा) और साथ hi जैव विविधता के कम होने की समस्या भी बनी हुई है। (ये महत्वपूर्ण जैव विविध हॉट स्पॉट (biodiversity hotspot) बने हुए हैं।)
सैन्य सन्दर्भ
जबकि वनोन्मूलन की प्राथमिकता मानव जनसँख्या के शहरी उपयोग और कृषि के लिए मांग के कारण है, फिर भी सैन्य कारणों के कुछ उदाहरण मिलते हैं। वनोन्मूलन का एक उदाहरण संयुक्त राज्य से है द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में व्यवसाय के क्षेत्र (zone of occupation) . शीत युद्ध की शुरुआत से पहले हारा हुआ जर्मनी संभावित भावी सहयोगी के बजाय संभावित भावी खतरा माना जाता था। इस खतरे का सामना करने के लिए जर्मन औद्योगिक क्षमता (lower German industrial potential) को कम करने के प्रयास किया गए, जिसमें वनों को एक तत्व समझा जाता था। अमेरिकी सरकार के सूत्रों ने बताया कि इसका उद्देश्य था "जर्मनी के जंगलों के युद्ध की सम्भावना का अन्ततः विनाश."स्पष्ट-कटाई, की इस प्रथा के परिणाम स्वरुप वनोन्मूलन हुई "जो केवल एक शतक के दौरान लम्बे वानिकी विकास के द्वारा प्रतिस्थापित हो सकता था।"[१८९]
युद्ध भी वनोन्मूलन का एक कारण हो सकता है, या तो जान बूझ कर जैसे वियतनाम युद्ध (Agent Orange) में[१९०]एजेंट ओरेंज का उपयोग किया गया जहाँ, बम और बुलडोजर के साथ इसने ४४ प्रतिशत वन आवरण का विनाश कर दिया,[१९१] या अनजाने में जैसे १९४५ में ओकिनावा के युद्ध (Battle of Okinawa) में जहाँ बमबारी और अन्य लड़ाकू अभियानों ने उष्णकटिबन्धीय परिदृश्य को कीचड़, सीसा, अपघटनी पदार्थों और मेगट्स के ढेर में बदल दिया। "[१९२]
यह भी देखिये
- निश्चय पूर्वक कहना (Assarting)
- बायोचार (Biochar)
- सीडीएम और जे आई ए / आर नुसंधान परियोजनायें (CDM & JI A/R projects)
- रोमन काल में वनोन्मूलन (Deforestation during the Roman period)
- कंबोडिया में वनोन्मूलन (Deforestation in Cambodia)
- मरुस्थलीकरण (Desertification)
- पारिस्थितिक वानिकी (Ecoforestry)
- आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण (Economic impact analysis)
- वानिकी (Forestry)
- अवैध कटाई (Illegal logging)
- भूमि का उपयोग, भूमि उपयोग में परिवर्तन और वानिकी (Land use, land-use change and forestry)
- नमी का पुन:चक्रण (Moisture recycling)
- पर्वत के शीर्ष को हटाना (Mountaintop removal)
- नवपाषाण (Neolithic)
- अत्याधिक जनसँख्या (Overpopulation)
- वर्षा वन (Rainforest)
- रिचर्ड सेंट बार्बे बेकर (Richard St. Barbe Baker)
- स्लेश एंड बर्न (Slash-and-burn)
- स्लेश एंड चार (Slash-and-char)
- टेरा प्रेटा (Terra preta)
- जंगल (Wilderness)
सन्दर्भ
टिप्पणीयाँ
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बाहरी सम्बन्ध
- जुनून ने रेतीली भूमि को बनाया हरा-भरा
- पृथ्वी का विश्वकोश: वनोन्मूलन अमेजोनिया में
- ग्लोबल वन संसाधन आकलन 2005 एफएओ (FAO) के द्वारा वन और वानिकी का व्यापक मूल्यांकन.३५० पृष्ठों की रिपोर्ट और १५ पृष्ठों का सारांश शामिल
- संयुक्त राष्ट्र अर्थवाच
- यूरोपीय संघ वानिकी.
- वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम
- सी एफ ए एन -सी ई डी ए (CIDA) वानिकी सलाहकार नेटवर्क वनोन्मूलन: उष्णकटिबन्धीय वन ख़त्म होते हुए.
- अमेजन वनोन्मूलन (गूगल नक्शे)
- हमारे गायब होते हुए वन-ग्रीनपीस चीन
- कोकीन का प्रति ग्राम ४ वर्ग मीटर वर्षा वन को नष्ट करता है। दी गार्जियन
- वनोन्मूलन को रोकना"योजना को समर्थन मिला-वर्ल्ड वाच संस्थान
मीडिया में
- १४ मार्च २००७, स्वतंत्र ऑनलाइन (Independent Online): विकास शील दुनिया में वनों का विनाश 'नियंत्रण से बहार'
फिल्म्स ऑनलाइन
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