लोहे का पुल

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लोहे का पुल

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विरासत स्थितिलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
पहचान अनुक्रामकलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
प्रतिप्रवाह सेतुलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
अनुप्रवाह सेतुलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
लक्षण
डिज़ाइनडबल-डेक ट्रस ब्रिज
सामग्रीलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
कुल लम्बाईलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
चौड़ाईलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
ऊँचाईलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
दीर्घतम स्पैनलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
स्पैन संख्यालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
सेतु फर्श के नीचेलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
व्यासलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
रेल
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इतिहास
वास्तुशास्त्रीलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
डिज़ाइनरलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
निर्माणकर्तालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
निर्माण आरम्भ१८६३
निर्माण पूर्ण१८६६
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खुलालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
उद्घाटनलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
बंद हुआलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
ध्वस्त हुआलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
जिसे हटाकर बनालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
जो इसके स्थान पर बनालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
सांख्यिकी
दैनिक ट्रैफिकरेल और सड़क यातायात
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दिल्ली में यमुना नदी पर बने पहले रेल तथा सड़क यातायात के लिए बना पुल को लोहे के पुल के नाम से जाना जाता है। रेलवे की तकनीकी भाषा में यह पुल नं २४९  के नाम से जाना जाता है। भारत में सबसे पुराने तथा लम्बे पुलो में अन्यतम है। इस पुल का निर्माण कार्य सन् १८६३ में शुरू हुआ और १८६६ में बनकर समाप्त हुआ [१]इसे एक वर्ष पश्चात सन् १८६७ में जनसाधारण के लिए  खोला गया था। [२] यह एक डबल डेक स्टील ट्रस ब्रिज निर्माण शेली में बना पुल है जो कि यमुना नदी के  पूर्वी तट को पश्चिमी किनारे से जोड़ती है। यह शहादरा को  दिल्ली शहर से जोड़ता है। इस पुल का निर्माण कार्य ईस्ट इंडिया रेलवे  कम्पनी द्वारा की गई थी। इसके निर्माण कार्य में १६ लाख १६ हजार ३३५ पाउंड की धनराशि व्यय की गई थी।[३] इस पुल कि  कुल लंबाई के २६४० फुट है  जो कि १२ स्तंभ के उपर २०२.५ फुट की दूरी पर स्थित है।

ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान भारत के दो प्रमुख शहर पूर्व में बसा हुआ कलकत्ता और उत्तर में बसा दिल्ली को जोड़ने की आखिरी कड़ी थी। इस से लाहौर से कलकत्ता तक सीधा सम्पर्क बन गया।[४]इस पुल को पहले एक लाइन के लिए बनाया गया था लेकिन यातायात के दबाव के कारण इसे दोहरी लाइन में परिवर्तित किया गया था। इसे दोहरी लाइन में परिवर्तित करने की तिथि के तथ्यो में थोड़ा मतभेद अवश्य है एक स्थान पर यह १९१३  दर्शाता है [३] और एक स्थान पर यह १९३२ में कार्य शुरू किया गया और १९३४[५] में फिर से चालू किया गया बताया जाता है। इस

इस पुल कि खासियत इसकी दोहरी उपयोगिता है यह सड़क यातायात के साथ-साथ रेल यातायात दोनों को सुगम रुप से जारी रखता है। इसका ऊपरी भाग रेल यातायात के लिए बना है और निचले स्तर पर सड़क यातायात के लिए बनाया गया है।

यमुना नदी पर बने इस पुल कि एक ओर कृति इलाहाबाद में बना है जो कि इलाहाबाद को नेनी से जोड़ती है जो कि उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मुगलसराय प्रभाग में आता है।

इस इतिहासिक विशालकाय पुल के समीप एक ओर नया पुल निर्माणाधीन है जिसके बने जाने के बाद इस कि रेल यातायात सेवा बन्द कर दी जाएगी लेकिन तब भी यह सड़क यातायात के लिए उपयोग आता रहेगा। इस पुल के निकट एक ओर पुल गीता कालोनी पुल जो कि सड़क यातायात के लिए बनाया गया है के बावजूद इस पुल कि उपयोगिता कम नहीं होगी। यह हमेशा एक स्मारक के रूप में दिल्ली वाशियो के मन में बसा रहेगा

यह भी देखें

संदर्भ

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