लेम्बोर्गिनी
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प्रकार | Wholly-owned subsidiary[१] |
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उद्योग | Automotive |
स्थापना | October 30, 1963[१] |
संस्थापक | Ferruccio Lamborghini |
मुख्यालय | Sant'Agata Bolognese, इटली (Italy) |
क्षेत्र | Worldwide |
प्रमुख व्यक्ति |
Stephan Winkelmann, CEO Wolfgang Egger, Head of Design |
उत्पाद | Automobiles |
राजस्व | L 73 billion (1998 est.)[१] |
स्वामित्व | Volkswagen Group |
कर्मचारी | 327[१] |
मातृ कंपनी | ऑडी (AUDI AG) |
वेबसाइट | Lamborghini.com |
सन्दर्भ: Automobile manufacturing division of Automobili Lamborghini Holding S.p.A., part of the Lamborghini Group, a wholly owned subsidiary of AUDI AG, a 99-percent owned subsidiary of the Volkswagen AG |
आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी एस.पी.ए. जो[Notes १] सामान्यतः लेम्बोर्गिनी के रूप में जानी जाती है, साँचा:pronounced एक इटालियन वाहन निर्माता कम्पनी है जो कि सेंट अगाटा बोलोनीस के छोटे से शहर में स्थित है। कंपनी की शुरुआत प्रमुख निर्माण उद्यमी फारुशियो लेम्बोर्गिनी द्वारा 1963 में की गयी थी। उसके बाद से ही इसका स्वामित्व कई बार बदला है। हाल ही में 1998 में यह जर्मन कार निर्माता ऑडी ए.जी. की सहायक कंपनी बनी है (जो कि स्वयं वोक्सवैगन समूह की एक सहायक कंपनी है).[१][२] लेम्बोर्गिनी ने अपने सुन्दर, आकर्षक डिजाइनों के लिए अत्याधिक लोकप्रियता प्राप्त की है और इसकी कारें प्रदर्शन और धन का प्रतीक बन गयी हैं।
फारुशियो लेम्बोर्गिनी ऑटोमोबाइल निर्माण व्यवसाय में एक उच्च गुणवत्ता वाली भव्य कार बनाने के उद्देश्य से आए जो स्थानीय प्रतिद्वंद्वी फेरारी एस.पी.ए. को पीछे छोड़ सके और उससे बेहतर सुविधाएं दे सके। कंपनी का पहला मॉडल अप्रभावशाली तथा कम गुणवत्ता का था और यह सामान सुविधाओं वाली फेरारी के मुकाबले बहुत कम संख्या में बिका. लेम्बोर्गिनी को सफलता 1966 में मध्य इंजन युक्त मिउरा स्पोर्ट्स कूपे और 1968 में एस्पाडा GT की रिलीज़ के पश्चात् मिली, जिसमें बाद वाली गाड़ी के उत्पादन के दस वर्षों के दौरान 1,200 गाड़ियां बिकीं. लगभग एक दशक के तेज़ विकास के बाद और 1974 में क्लासिक मॉडल काऊंताच की रिलीज़ के पश्चात्, 1970 के दशक में कंपनी को कठिन समय का सामना करना पड़ा क्योंकि 1973 के तेल संकट के मद्देनजर बिक्री कम हो गयी थी। निर्माता दिवालिया होने से बर्बाद हो गया और कई स्विस उद्यमियों के हाथों से गुजरने के बाद, लेम्बोर्गिनी कॉर्पोरेट उद्योग जगत की दिग्गज कंपनी क्राईसलर के पास पहुँच गयी। अमेरिकी कंपनी, इस इटालियन निर्माण को लाभदायक बनाने में नाकाम रही और 1994 में, कंपनी को इन्डोनेशियन कम्पनी को बेच दिया। लेम्बोर्गिनी 1990 के दशक के बाकी समय किसी तरह बनी रही और इसने अपनी योजनाबद्ध विस्तृत रेंज के बजाए, (जिसमें एक अमरीकियों को लुभा सकने वाली अपेक्षाकृत छोटी कार भी शामिल थी,) 1990 की डियाब्लो में लगातार सुधार किया। पिछले वर्ष के एशियाई वित्तीय संकट की चपेट में आने के कारण, 1998 में लेम्बोर्गिनी मालिकों ने इस परेशान करने वाली इकाई को ऑडी AG, को बेच दिया जो जर्मन ऑटोमोटिव वोक्सवैगन AG की लग्ज़री कार डिविजन थी। जर्मन स्वामित्व लेम्बोर्गिनी के लिए स्थिरता तथा उत्पादन में वृद्धि की शुरुआत थी जिससे अगले दशक के दौरान बिक्री में करीब दस गुना से अधिक की वृद्धि हुई।
लेम्बोर्गिनी की कारों की असेम्बली वाहन निर्माता के पुश्तैनी घर सेंट अगाटा बोलोनीस में लगातार जारी है, जहां इंजन और ऑटोमोबाइल उत्पादन कार्य, कंपनी के एक ही कारखाने में साथ साथ चलते हैं। प्रत्येक वर्ष, यह इकाई चार मॉडलों की बिक्री के लिए कम से कम 3,000 वाहन बनाती है, V10-गेलार्डो कूपे व रोडस्टर और प्रमुख V12-पॉवर युक्तमर्सिएलेगो कूपे व रोडस्टर.
इतिहास
शुरुआत
साँचा:main इसके निर्माण की कहानी फारुशियो लेम्बोर्गिनी, जो उत्तरी इटली के एमिलिया-रोमाना क्षेत्र के फेरारा राज्य की साधारण जगह रेनो दि सेंटो के अंगूर उत्पादक किसान का लड़का था, से शुरू होती है।[१][३] लेम्बोर्गिनी स्वयं खेती करने की शैली के बजाए खेती की मशीनों की ओर आकर्षित हुआ और बोलोना के निकट फ्राटेल्ली टेडिया तकनीकी संस्थान में अध्ययन किया।[Notes २] 1940 में उन्हें इटालियन वायु सेना में भेजा गया,[४][५] जहां उन्होनें रोड्स टापू में स्थित इटालियन चौकी पर एक मिस्त्री के रूप में सेवा की, तथा वाहन मेंटिनेंस इकाई के सुपरवाईज़र बन गए।[१][Notes ३] युद्ध से लौटने के पश्चात्, लेम्बोर्गिनी ने पीवे दि सेंटो में एक गैराज खोला. अपनी यांत्रिक क्षमताओं के बलबूते, उन्होनें स्पेयर पार्ट्स और बचे हुए सैन्य वाहनों से ट्रैक्टर निर्माण के व्यापार में प्रवेश किया। युद्ध के पश्चात् इटली के आर्थिक सुधार के लिए कृषि उपकरणों की सख्त आवश्यकता थी।[६] 1948 में, लेम्बोर्गिनी ने लेम्बोर्गिनी ट्रटोरी एस.पी.ए. की स्थापना की। [७] और 1950 के दशक के मध्य तक, उनकी फैक्ट्री प्रति वर्ष 1000 ट्रेक्टरों का निर्माण कर के,[५] देश में सबसे अधिक कृषि उपकरण निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों में से एक बन चुकी थी।[८] संयुक्त राज्य की यात्रा के बाद, लेम्बोर्गिनी ने एक गैस हीटर फैक्ट्री - लेम्बोर्गिनी ब्रुसिअटोरी एस.पी.ए., खोलने के लिए तकनीक हासिल की, जिसने बाद में एयर कंडीशनिंग इकाइयों का निर्माण शुरू किया।[४][८][९]
लेम्बोर्गिनी की बढ़ती दौलत ने उन्हें कारों की और आकर्षित किया हलांकि अपने फालतू समय में उन्होनें गैराज में अपनी छोटी फिएट टोपोलिनोस की काफी मरम्मत की थी।[९] उन्होनें 1950 के दशक के आरम्भ में अल्फा रोमियो और लान्सिअस को ख़रीदा तथा एक समय, उनके पास काफी कारें थीं, जिसमें एक मर्सिडीज बेंज-300SL, एक जगुआर ई-टाइप कूपे तथा दो मसेराटी 3500GT शामिल थीं, जिस से वे सप्ताह के प्रत्येक दिन अलग कार प्रयोग कर सकते थे।[९] 1958 में, लेम्बोर्गिनी ने एक दो सीटों वाली कार, फेरारी 250GT, खरीदने के लिए मरानेल्लो की यात्रा की, जिसकी बॉडी कोचबिल्डरपिनिन्फरिना ने डिजाईन की थी। वे एक के बाद एक कई वर्षों तक कारें खरीदते गए, जिसमें एक स्कालिएट द्वारा डिजाइन की गयी 250 SWB बेर्लिनेट और एक 250GT 2+2 चार सीटों वाली कार भी थी।[९] लेम्बोर्गिनी के अनुसार फेरारी की कारें अच्छी थीं[९] पर अत्याधिक शोर करती थीं और एक सही रोड कार के अनुसार नहीं बनी थीं, जिसकी वजह से उन्हें दोबारा प्रयुक्त हुई ख़राब इन्टीरियर वाली ट्रैक कारों के रूप में जाना जाता था।[८] सर्वाधिक कष्टप्रद बात जो लेम्बोर्गिनी ने देखी कि फेरारी कारों के क्लच घटिया थे तथा उन्हें जबरन दोबारा क्लच बनवाने के लिए बार बार मार्नेल्लो लौटने पर मजबूर होना पड़ता था। फेरारी के तकनीशियन मरम्मत करने के लिए कार को कई घंटों के लिए दूर ले जाते थे, तथा उत्सुक लेम्बोर्गिनी को यह कार्य देखने की अनुमति नहीं मिलती थी। उन्होनें पहले भी इसकी शिकायत फेरारी की आफ्टर सेल्स सर्विस में की थी, जिसे वे घटिया दर्जे का मानते थे।[८] लगातार एक ही तरह की समस्याओं से परेशान होकर व एक लंबे इंतजार के बाद, वह इस मामले को लेकर कंपनी के संस्थापक"II कमांडेटर", एन्ज़ो फेरारी के पास गए।[१]
उसके बाद जो हुआ, वह एक महान व्यक्तित्व बनने का उदाहरण है : 1991 की थ्रूब्रेड एंड क्लासिक कार मैगजीन, जिसने लेम्बोर्गिनी का साक्षात्कार लिया था, के अनुसार, उन्होनें एन्ज़ो के साथ बहस के रूप में शिकायत की और उन्हें बताया कि उनकी कारें नाकारा थीं। अत्यंत बेहूदे व बेहद गर्व से भरे मोडेनन ने क्रोधित हो कर प्रमुख निर्माण उद्यमी से कहा, "लेम्बोर्गिनी, शायद तुम एक ट्रैक्टर सही ढंग से चलाने में सक्षम हो, लेकिन एक फेरारी को तुम कभी भी ठीक से संभाल नहीं पाओगे."[९] एन्ज़ो फेरारी की लेम्बोर्गिनी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी के परिणाम गंभीर थे। लेम्बोर्गिनी ने बाद में कहा कि उस समय उन्होनें विचार किया कि यदि एन्ज़ो फेरारी, या कोई और, उन्हें एक अच्छी कार बना कर नहीं दे सकता, तो वे आसानी से ऐसी कार अपने लिए बना सकते हैं।[८][१०] ट्रैक्टर निर्माण के प्रमुख उद्यमी ने महसूस किया कि फेरारी कारों में एक बेहतर भव्य यात्री कार के गुण नहीं थे। लेम्बोर्गिनी का मानना था कि ऐसी कार को बेहतर स्तर, राईड क्वालिटी और इंटीरियर से समझौता किए बिना, अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए। इस विश्वास के साथ कि वे भी महान फेरारी से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, पीवे दी सेंटो लौट कर लेम्बोर्गिनी और उनके श्रमिकों ने ट्रैक्टर फैक्ट्री में अपने 250GT में से एक को खोला और उस पर काम शुरू कर दिया। सरल सिंगल ओवरहैड कैमशाफ्ट सिलेंडर हैड को दूसरी इकाइयों के साथ बदला गया और छह क्षैतिज लेटे हुए दोहरे कार्बोरेटर V12 इंजन के ऊपर फिट किये गए। लेम्बोर्गिनी संशोधित कार को मोडेना के पास मोटरवे प्रवेश द्वार पर ले गये और फेरारी के टैस्ट ड्राईवरोंकी प्रतीक्षा करने लगे। लेम्बोर्गिनी के अनुसार, सुधारों ने उनकी कार को कम से कम साँचा:convert उस फैक्टरी की कारों से तेज बना दिया और यह आसानी से टैस्ट करने वालों की गाड़ी को पछाड़ सकती थी।[९]
कुछ लोगों का तर्क है कि लेम्बोर्गिनी ने केवल ऑटोमोबाइल के व्यापार में इसलिए प्रवेश किया ताकि प्रतिद्वंदी फेरारी को यह दिखा सकें कि वे उसकी बहुमूल्य घोड़े मार्का कारों से बेहतर कार का निर्माण कर सकते हैं तथा मार्नेल्लो कैंप से तेज, अच्छी बनावट वाली व अधिक ताकतवर कार बना सकते हैं। अन्य लोगों का तर्क है कि उन्होनें इस तरह की कारों के उत्पादन में सिर्फ वित्तीय मौका देखा,[४] लेम्बोर्गिनी को यह एहसास हुआ कि जो पुर्जे वे अपने ट्रैक्टरों में लगाते हैं, यदि उच्च प्रदर्शन वाली भव्य कार में लगायें तो वे तीन गुना ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।[११] यह एक ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता की शुरुआत थी : फारुशियो और एन्ज़ो ने फिर कभी बातचीत नहीं की। [९]
1963-1964: पहला कदम
जुलाई 1963 में मोडेना के रास्ते, सेंट अगाटा बोलोनीस, की गली में एक बिलबोर्ड खड़ा किया गया जो सेंटो से 30 किलोमीटर से कम दूरी पर था। 46,000 वर्ग मीटर जगह में शान से खड़े उस बोर्ड पर लिखा था - "क्वी स्टेब्लीमेंटो लेम्बोर्गिनी ऑटोमोबाइल" साँचा:lang-en. 30 अक्टूबर 1963 को कंपनी का निर्माण हुआ तथा आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी सोसिएता पर एज़िओनि (एस.पी.ए.) का गठन हुआ।[४] फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने कई कारणों से सेंट अगाटा में अपनी ऑटोमोबाइल फैक्ट्री खोली थी। कम्युनिस्ट शहर नेतृत्व के साथ एक अनुकूल वित्तीय समझौते का मतलब था कि उन्हें अपने व्यापार के पहले दस वर्षों के मुनाफे पर कर नहीं देना था, साथ ही उनके द्वारा प्राप्त किये गए लाभ को बैंक में जमा करने पर 19% की ब्याज दर भी मिलनी थी। इस समझौते के तहत, उनके कर्मचारियों को संगठित होना था। निर्माण स्थल, इटली के ऑटोमोबाइल उद्योग के बीच होने का अर्थ था कि लेम्बोर्गिनी के क्रिया कलापों के लिए मशीन की दुकानों, कोचबिल्डर्स तथा मोटर वाहन उद्योग में अनुभवी श्रमिकों तक पहुँच अत्यंत सरल थी।[१२]
वाहन निर्माण उद्योग में उतरने से पहले ही, लेम्बोर्गिनी ने इंजीनियर जिओटो बिज्जारिनी की सेवाएं ले रखीं थीं। बिज्जारिनी तथाकथित "गैंग ऑफ़ फाइव" का एक हिस्सा था जो 1961 में फेरारी से प्रसिद्ध 250 GTO विकसित करने के बाद बड़े पैमाने पर हुए पलायन का एक भाग था।[१३] लेम्बोर्गिनी ने उसे स्वतंत्र रूप में काम पर रखा था और उसे एक V12 इंजन डिजाइन करने के लिए कहा जो फेरारी 3 लीटर पॉवर प्लांट जितना बड़ा हो, लेकिन फेरारी के अनुपयुक्त रेस इंजन के विपरीत, शुरू से ही एक सड़क कार में इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया हो। बिज्जारिनी को इस काम के लिए L 45 लाख, तथा इंजन द्वारा फेरारी संस्करण से ज्यादा उत्पन्न किये जा सकने वाली ब्रेक हॉर्स पावर की प्रत्येक यूनिट, पर बोनस का भुगतान किया जाना था।[१४] डिजाइनर ने एक 3.5 लीटर, 9.5:1 कम्प्रेशन अनुपात में, 360 बीएचपी इंजन बनाया जो 15 मई 1963 को पहली बार, लेम्बोर्गिनी ट्रैक्टर कारखाने के एक कोने में चलना शुरू हुआ।[१४] बिज्जारिनी ने ड्राई-संप लुब्रिकेशन से इंजन बनाया जो 9,800 rpm पर अपनी अधिकतम होर्से पॉवर उत्पन्न करता था, लेकिन शायद ही एक सड़क पर चलने वाली कार के इंजन के लायक था।[१५] लेम्बोर्गिनी, जो एक अच्छा व्यवहार करने वाला इंजन अपनी भव्य यात्री कार में प्रयोग के लिए चाहते थे, अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होनें इंजन के डिजाइन में अत्यधिक बदलाव करने का आदेश दिया। इस झगड़े के परिणामस्वरूप लेम्बोर्गिनी और बिज्जारिनी के रिश्तों में दरार आ गयी और उसे तब तक उसके कार्य का पूरा मुआवजा नहीं मिला जब तक कि अदालतों ने लेम्बोर्गिनी को ऐसा करने का आदेश नहीं दिया। [१५]
लेम्बोर्गिनी के पास अब एक इंजन था, लेकिन इसे फिट करने के लिए एक वाहन की आवश्यकता थी। 1963 तक उन्होनें जियान पाउलो डल्लारा, जो युद्घ के बाद के समय का सबसे कुशल चैसिस इंजिनियर था, के साथ लोगों की एक टीम इस कार्य के लिए बना ली.[१५] फेरारी और मसेराटी के साथ काम कर चुके, डल्लारा को लेम्बोर्गिनी की कार बनाने का इन्चार्ज नियुक्त किया गया। डल्लारा ने पुरुषों की एक काबिल टीम इकठ्ठी की जिसमें अपने कॉलेज सहायक, पाउलो स्टेनजनि तथा न्यूजीलैंड के बॉब वालेस को शामिल किया, जो उस समय मसेराटी में काम करते थे और चेसिस को संभालने व उत्कृष्ट जानकारी देने और विकास की अपनी गहरी समझ के लिए जाने जाते थे।[१५][१६] फारुशियो ने, विनाले, घिया, बेर्तोने और पिनिन्फरिना जैसे उच्च नामों को खारिज कर दिया तथा इसके बदले अपेक्षाकृत अज्ञात डिजाइनर फ्रेंको स्कालिओने को कार की बनावट डिजाईन करने के लिए नियुक्त किया। कार 1963 टोरिनो मोटर शो के लिए समय सीमा के भीतर केवल चार महीनों में तैयार हो गई।[१४] प्रोटोटाइप 350GTV को प्रेस में ज़ोरदार प्रतिक्रिया मिली। [१४] बिज्जारिनी के साथ इंजन के डिजाइन पर हुए विवाद के कारण, कार के अनावरण के लिए समय से एहले कोई पॉवर प्लांट उपलब्ध नहीं था। लोरे के अनुसार, फारुशियो ने सुनिश्चित किया कि कार का हुड ईंटों को सही तरह से छुपा कर रखेसाँचा:convert ताकि कार उपयुक्त ऊंचाई पर दिखे.[१५]
सकारात्मक समीक्षाओं के बावजूद, लेम्बोर्गिनी प्रोटोटाइप की निर्माण गुणवत्ता से खुश नहीं थे, तथा उन्होनें इसे बंद करने कि घोषणा की। कार अगले बीस साल के लिए स्टोर में रही, जब तक कि इसे एक स्थानीय कलेक्टर द्वारा ख़रीदा तथा फिर से चालू नहीं किया गया।[१७] GTV 350 को शुरुआत मान कर, इसकी बनावट फिर से मिलान के कार्रोज्ज़रिया टूरिंग द्वारा डिजाईन की गयी और नयी चेसिस का निर्माण अपनी फैक्ट्री में किया गया। इंजन को बिज्जारिनी की इच्छा के विरुद्ध संशोधित किया गया। नई कार जो 350GT से मिलती जुलती थी, को 1964 के जिनेवा मोटर शो में दिखाया गया। फारुशियो ने उबाल्दो स्गार्जी को उसका बिक्री प्रबंधक नियुक्त किया; स्गार्जी ने पूर्व में भी यही भूमिका टेक्नो एस.पी.ए. के लिए की थी। लेम्बोर्गिनी और स्गार्जी ने फैक्ट्री में समान कमियाँ पायीं, एक परिप्रेक्ष्य जो कार विकसित करने वाले इंजीनियरों की इच्छाओं के साथ मेल नहीं खाता था।[१८] 1964 के अंत तक, 13 ग्राहकों के लिए कारें बन चुकी थीं जिन्हें फेरारी के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए नुक्सान में बेचा गया। 350GT और दो साल के लिए उत्पादन में बनी रही, व इसकी कुल 120 इकाईयां बिकीं.[१८]
1965-1966: लेम्बोर्गिनी का आगमन
जियान पाओलो डल्लारा ने बिज्जारिनी के V12 डिजाइन में सुधार लाने की चुनौती स्वीकार की, डिस्प्लेसमेंट को 3.9-लीटर तक बढ़ाया, तथा इससे 6500 rpm पर 320 बीएचपी की ताकत बढ़ी.[१८] इंजन को सर्वप्रथम 350GT चेसिस के अन्दर फिट किया गया, जिसे 'अंतरिम 400GT' कार के रूप में जाना जाता है, तथा जिसकी 23 इकाईयों का उत्पादन किया गया। 1966 तक, 350GT का एक लम्बा 2+2 संस्करण विकसित किया गया तथा खुली जगह वाली 400GT का जिनेवा ऑटो शो में अनावरण किया गया। यह कार सफल हुयी तथा इसकी कुल 250 इकाईयां बिकी, जिससे लेम्बोर्गिनी अपने कारखाने में श्रमिकों की संख्या 170 तक बढ़ाने में सक्षम हुए.[१८] 400GT पर आधारित दो प्रोटोटाइप कारें ट्यूरिन में ज़गाटो कोचवर्क्स द्वारा निर्मित की गयीं. डिजाईनों की लोकप्रियता के बावजूद, फारुशियो ने, बनावट तथा इंजीनियरिंग कार्य को बाहर से कराने के बजाए, अपनी फैक्ट्री तथा श्रमिकों के साथ कार्य करने पर जोर दिया। [१६] लेम्बोर्गिनी ने कार स्वामियों के लिए निरंतर सेवा के महत्व को विशेष रूप से ध्यान में रखा और एक सुविधा शुरू की जो छोटी सर्विस से ले कर बड़े काम तक करने में सक्षम थी।
1965 के दौरान, डल्लारा, स्टेनजनी और वालेस ने P400 नामक एक प्रोटोटाइप के विकास में अपना समय लगाया. इंजीनियरों ने एक सड़क कार बनाने के लिए सोचा, जिसमें रेसिंग की भी खूबियाँ हों. एक ऐसी कार जो ट्रैक पर जीत सके तथा जिसे उत्साही लोगों द्वारा सड़क पर चलाया जा सके। [१६] तीनों ने रात में गाड़ी के डिजाइन पर इस आशा से काम किया कि वे लेम्बोर्गिनी की इस राय को बदल देंगे कि ऐसा वाहन अत्याधिक महंगा तथा कंपनी के लक्ष्य से भटका हुआ होगा। लेम्बोर्गिनी ने एक अच्छे प्रचार माध्यम के रूप में देखते हुए इस परियोजना को आगे बढ़ाने की इजाजत दे दी। P400 में एक झुका हुआ मध्य इंजन था। पिछली लेम्बोर्गिनी कार से अलग इसका V12 भी असाधारण था जो जगह की कमी के कारण ट्रांसमिशन तथा डिफ्रेंशियल से प्रभावशाली ढंग से जुड़ा हुआ था। बेर्तोने प्रोटोटाइप स्टाइल के प्रभारी थे। कार को 1966 जिनेवा मोटर शो से चंद दिन पहले चटक नारंगी रंग से रंगा गया। आश्चर्यजनक ढंग से, किसी भी इंजिनियर को यह देखने का समय नहीं मिला कि इसका इंजन कम्पार्टमेंट में पूरी तरह से फिट होता है कि नहीं. चूंकि वे कार प्रदर्शित करने के लिए प्रतिबद्ध थे, उन्होनें इंजन रखने की जगह मिट्टी भरने तथा हुड को बंद रखने का फैसला किया जैसा कि उन्होनें 350GTV की शुरुआत के समय किया था।[१९] बिक्री प्रबंधक स्गार्जी को मोटर प्रेस के सदस्यों को दूर रखने के लिए मजबूर किया गया जो P400 का पॉवर प्लांट देखना चाहते थे। इस कमजोरी के बावजूद, कार शो का आकर्षण थी, जिसने स्टाइलिस्ट मार्सेलो गांदिनी को एक स्टार बना दिया। जिनेवा में अनुकूल प्रतिक्रिया मिलने का अर्थ था कि P400 को अगले साल तक मिउरा के नाम से उत्पादन में जाना था। लेम्बोर्गिनी के वाँछित दोनों दृष्टिकोण पूरे हो गए थे; मिउरा ने ऑटो मेकर को सुपर कारों की दुनिया में एक नए नवेले नेता के रूप में स्थापित किया तथा 400GT एक परिष्कृत सड़क कार थी जिसकी परिकल्पना लेम्बोर्गिनी ने आरम्भ से ही की थी। ऑटोमोबाइल और अन्य व्यवसायों में उन्नति के कारण, फारुशियो लेम्बोर्गिनी का जीवन एक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
1966 के अंत तक, सेंट अगाटा फैक्ट्री में कर्मचारियों की संख्या 300 तक पहुँच गयी थी। 1967 में मिउरा का विकास कार्यक्रम शुरू करने के लिए उत्सुक खरीदारों द्वारा काफी पैसा जमा करा दिया गया था। मिउरा को रेसिंग में शामिल करने के विषय पर फारुशियो के अपनी इंजीनियरिंग टीम के साथ मतभेद जारी रहे। पहली चार कारों को फैक्ट्री में रखा गया, जहाँ बॉब वालेस ने कार को बेहतर और परिष्कृत करने का काम जारी रखा. दिसंबर तक, 108 कारों की डिलिवरी कर दी गयी थी।[२०] मिउरा ने दो सीटों तथा मध्य इंजन की उच्च प्रदर्शन वाली स्पोर्ट्स कार के रूप में एक मिसाल कायम की।[२१] कारखाने में 400GT के साथ साथ कई 350 GTS रोडस्टर्स (टूरिंग द्वारा निर्मित परिवर्तित मॉडल) का उत्पादन जारी रखा गया। फारुशियो ने 400GT के उसी चेसिस पर आधारित संभावित विकल्प के निर्माण के लिए कोचबिल्डर को नियुक्त किया। टूरिंग ने 400 GT फ्लाइंग स्टार II नामक एक खराब फिनिश वाला, बेडौल वाहन बनाया. इसके अलावा मोडेना में नेरी और बोनासिनी कोच बिल्डर्स के जियोर्जियो नेरी और लुसिआनो बोनासिनी, जिन्हें कांसेप्ट तैयार करने के लिए कहा गया था, ने मॉन्ज़ा 400GT बनाई. कोचबिल्डर्स के प्रयासों से असहमत लेम्बोर्गिनी ने दोनों कारों को अस्वीकृत कर दिया। [२२] बढ़ती वित्तीय कठिनाइयों के मद्देनज़र, टूरिंग ने बाद में उस साल फैक्ट्री बंद कर दी।
1967-1968: बिक्री की सफलता की शुरुआत
फारुशियो, अभी भी 400GT के विकल्प की तलाश में थे और उन्होनें पूर्व में टूरिंग में काम कर चुके बेर्तोने डिजाइनर मारियो मराज्जी की मदद मांगी. लेम्बोर्गिनी के इंजीनियरों के साथ मिलकर, कोचबिल्डर ने चार सीटों वाली मार्ज़ल बनाई. चेसिस मूलतः एक मिउरा आधारित लम्बा संस्करण थी और एक इंजन में छह सिलेंडर थे जो V12 डिजाइन से आधे थे। [२३] कार के दरवाजे और विशाल ग्लास खिड़कियां इसकी विशेषता थे। इसके विशिष्ट डिजाइन के बावजूद, एक बार फिर फारुशियो ने इसे 400GT के विकल्प के तौर पर अस्वीकृत कर दिया। मराज्जी ने लेम्बोर्गिनी के निर्णय के अनुसार अपने डिजाइन में सुधर किया। परिणामस्वरूप बनी कार, इस्लेरो 400GT, अधिकतर 400GT का रूपांतरित संस्करण थी और चार सीटों वाली नहीं थी, जैसा कि फारुशियो चाहते थे। फिर भी वे इस कार से खुश थे क्योंकि यह अच्छी तरह से विकसित व विश्वसनीय होने के साथ एक भव्य यात्री कार थी जिसे चलाने में फारुशियो को मज़ा आया।[२४] इस्लेरो ने बाजार पर ज्यादा असर नहीं डाला तथा 1968 और 1969 के बीच इसकी कुल 125 गाड़ियां बेचीं गयीं।[२५] साँचा:external media मिउरा का नया संस्करण 1968 में आया; मिउरा P400 (जिसे सामान्यतः मिउरा एस के रूप में अधिक जाना जाता है) ने कठोर चेसिस और शक्ति का प्रदर्शन किया, जिसमें V12 7000 rpm पर 370 बीएचपी उत्पन्न करता था। 1968 ब्रुसेल्स ऑटो शो में, ऑटोमेकर ने मिउरा P400 रोडस्टर, (सामान्यतः मिउरा स्पाइडर), खुलने वाली छत की गाड़ी, का अनावरण किया। गांदिनी, जो अब तक बेर्तोने में डिजाईन का मुखिया था, ने कार की विशेषताओं पर काफी ध्यान दिया था जैसे कि हवा के टकराने की आवाज़ तथा एक रोडस्टर की आवाज़ कम करने जैसी समस्याएं.[२६] गांदिनी की कड़ी मेहनत के बावजूद, स्गार्जी को संभावित खरीदारों को मना करना पड़ा, क्योंकि लेम्बोर्गिनी और बेर्तोने रोडस्टर के उत्पादन के दौरान आकार पर सहमत नहीं थे। मिउरा स्पाइडर को एक अमेरिकी धातु मिश्र धातु आपूर्तिकर्ता, जो इसे प्रदर्शन की वस्तु के रूप में उपयोग करना चाहता था, को बेच दिया गया। 1968 फारुशियो के सभी व्यवसायों के लिए सकारात्मक समय था और आटोमोबिली ने वर्ष के दौरान 353 से अधिक कारों की डिलिवरी की।[२६]
बेर्तोने एक नयी चार सीटों वाली कार को डिजाइन करने के लिए लेम्बोर्गिनी को मनाने में कामयाब रहा। इसका आकार मार्सेलो गांदिनी द्वारा बनाया गया था और इसका ढांचा निरीक्षण के लिए फारुशियो को दिया गया। वे गांदिनी द्वारा निर्मित ऊपर खुलने वाले भारी दरवाजों से खुश नहीं हुए तथा उन्होनें कार में पारम्परिक दरवाज़े लगाने के पर ज़ोर दिया। [२३] इस सहयोग के परिणामस्वरूप पूरी चार सीटों वाली एस्पाडा बनी जिसका नाम बुलरिंग के नायकों, मेटाडोर और टोरिडोर के नाम पर रखा गया था। एक 3.9 लीटर, आगे फिट किये गए फैक्ट्री निर्मित V12 द्वारा संचालित (जो 325 बीएचपी उत्पन्न करता था) भव्य यात्री गाड़ी की शुरुआत 1969 जिनेवा शो से हुई। एस्पाडा दस वर्षों में कुल 1217 कारों के उत्पादन के साथ एक बड़ी सफलता थी।[२४]
1968-1969: कठिनाइयों से मुक्ति
अगस्त 1968 में, जियान पाओलो डल्लारा, लेम्बोर्गिनी के मोटर स्पोर्ट में भाग लेने से इनकार करने से हताश हो कर सेंट अगाटा से दूर फार्मूला वन कार्यक्रम का मुखिया बन कर मोडेना में प्रतिद्वंद्वी वाहन निर्माता दे टोमासो में नियुक्त हो गया। बढ़ते लाभ के कारण रेसिंग प्रोग्राम एक फायदेमंद सौदा हो सकता था। लेकिन लेम्बोर्गिनी इसके प्रोटोटाइप के निर्माण के भी खिलाफ थे, अपने मिशन के बारे में उनके विचार थे : "मुझे दोष रहित GT कारें बनाने की इच्छा है - जो काफी सामान्य, पारंपरिक लेकिन अति उत्तम हों - न कि एक टेक्नीकल बम.[२७] इस्लेरो और एस्पाडा जैसी कारों के साथ उन्होनें खुद को स्थापित करने तथा अपनी कारों को एन्ज़ो फेरारी के समान या उससे बेहतरीन कारें बनाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया था। डल्लारा के सहायक, पाउलो स्टेंज़नी ने तकनीकी निदेशक के रूप में अपने पुराने बॉस की भूमिका ग्रहण की। डल्लारा के दुर्भाग्य से, दे टोमासो का F1 कार्यक्रम धन की कमी से रुक गया और वाहन निर्माता बहुत मुश्किल से बचा; इंजीनियर ने इसके तुरंत बाद कंपनी छोड़ दी। [२८]
1969 में, आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी को अपनी पूरी मजदूर यूनियन संबंधित समस्या का सामना करना पड़ा. धातु मजदूर यूनियन व इटालियन उद्योग के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण एक राष्ट्रीय अभियान के हिस्से के रूप में, मशीन पर कार्य करने वाले तथा फेब्रिकेटर्स ने एक घंटे का सांकेतिक ब्रेक लेना शुरू कर दिया। [२८] फारुशियो लेम्बोर्गिनी, जो अक्सर अपनी आस्तीन चढ़ा कर फैक्ट्री के कार्यों में शामिल रहते थे, अवरोधों के बावजूद अपने कर्मचारियों को उनके सामूहिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार काम जारी रखने के लिए प्रेरित करने में सफल रहे।
पूरे वर्ष के दौरान, लेम्बोर्गिनी उत्पाद श्रृंखला, जिसमें उस समय इस्लेरो, एस्पाडा और मिउरा एस शामिल थीं, में लगातार सुधार होता रहा। मिउरा की शक्ति बढ़ाई गयी, इस्लेरो में और सुधार किया गया और एस्पाडा में आराम और प्रदर्शन के सुधारों को गति मिली साँचा:convert इस्लेरो का स्थान जरामा 400GT द्वारा लिया जाना था, जिसका नामकरण मिलते जुलते नाम वाले रेस ट्रैक के नाम के नाम पर रखने के बजाए स्पेन के एक क्षेत्र जो बुल फाईटिंग के लिए प्रसिद्ध है, के नाम पर रखा गया।[२९] कार की चेसिस छोटी थी किन्तु इसका उद्देश्य एस्पाडा से बेहतर प्रदर्शन करना था। 3.9 लीटर-V12, को बरकरार रखा गया तथा इसके कम्प्रैशन अनुपात को 10.5:1 तक बढ़ाया गया।[२९]
जिस समय 1970 जिनेवा शो में जरामा का अनावरण किया जा रहा था, पाउलो स्टेनज़नी एक नए डिजाइन पर काम कर रहे थे, जिसमें पिछली लेम्बोर्गिनी कारों के किसी पुर्जे का इस्तेमाल नहीं किया गया था। कर कानूनों में परिवर्तन और एक फैक्ट्री की उत्पादन क्षमता का पूरा उपयोग करने की इच्छा का मतलब था कि इटालियन वाहन निर्माता फेरारी जैसे बदलाव करे तथा उन्होनें अपनी डीनो 246 और पोर्श 911 के साथ एक छोटी V8 पॉवर युक्त 2+2 कार को विकसित किया जिसका नाम एक और फाईटिंग बुल की नस्ल उर्राको के नाम पर किया गया। 2+2 व्यवहारिक रूप से चुना गया स्टाइल था, चूंकि फारुशियो ने सोचा कि उर्राको मालिकों बच्चों वाले हो सकते हैं।[२९] स्टेनज़नी द्वारा डिजाइन सिंगल ओवरहेड कैम V8 5000 rpm पर 220 बीएचपी उत्पन्न करती थी। बॉब वालेस तुरंत सड़क परीक्षण और विकास में लग गए क्योंकि कार को 1970 ट्यूरिन मोटर शो में पेश किया जाना था।[२९]
1970 में लेम्बोर्गिनी ने मिउरा, जो एक अग्रणी मॉडल था, के विकल्प का विकास शुरू किया, लेकिन आंतरिक शोर स्तर तथा उनके ब्रांड के आदर्शों के विपरीत होने के कारण फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने इसे अस्वीकृत कर दिया। [३०] इंजीनियरों ने एक नयी तथा ज्यादा लम्बी चेसिस डिजाईन की ताकि इंजन को ड्राइवर की सीट से और दूर खडा कर के रखा जा सके। इसका प्रोटोटाइप मार्सेलो गांदिनी द्वारा बेर्तोने में तैयार किया गया था तथा यह कंपनी के V8 LP-500 के 4.97 लीटर संस्करण पर आधारित था। कार को 1971 जिनेवा मोटर शो में मिउरा के अंतिम संशोधन, P400 सुपरवेलोस के साथ प्रर्दशित किया गया। लेम्बोर्गिनी श्रृंखला को एस्पाडा 2, उर्राको P250 और जरामा GT ने पूरा किया।[३१]
1971-1972: वित्तीय दबाव
विश्व वित्तीय संकट शुरू होने पर फारुशियो लेम्बोर्गिनी की कंपनियों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. 1971 में, लेम्बोर्गिनी ट्रैक्टर कंपनी, जो अपने उत्पादन का करीब आधा भाग निर्यात करती थी, कठिनाइयों में फंस गयी। सेंटो जो ट्रटोरी का दक्षिण अफ्रीकी आयातक था, ने सभी आर्डर रद्द कर दिए। एक सफल तख्तापलट के बाद बोलिविया की नयी सैन्य सरकार ने ट्रैक्टरों का एक बड़ा आर्डर रद्द कर दिया जो जेनेवा से भेजे जाने के लिए आंशिक रूप से तैयार था। आटोमोबिली की तरह ट्रटोरी के कर्मचारियों की यूनियन थी और छंटनी नहीं की जा सकती थी। 1972 में, लेम्बोर्गिनी ने ट्रटोरी को एक अन्य ट्रैक्टर निर्माता सेम को बेच दिया। [७][३२]
पूरा लेम्बोर्गिनी समूह अब वित्तीय मुसीबतों में घिर गया था। वाहन निर्माता का विकास धीमा हो गया। 1972 जिनेवा शो में LP500 का उत्पादन संस्करण नहीं दिखाया जा सका और केवल जरामा के P400 GTS संस्करण का प्रदर्शन किया गया। लागत में कटौती की जरूरत के मद्देनजर, पाउलो स्टेनज़नी ने LP500 पॉवर प्लांट को, एक छोटे 4 लीटर इंजन के उत्पादन के लिए बंद कर दिया। [३३] फारुशियो लेम्बोर्गिनी आटोमोबिली और ट्रटोरी के लिए खरीददारों को आमंत्रण देना शुरू कर दिया। उन्होनें जॉर्ज हेनरी रोसेट्टी के साथ मोलभाव शुरू किया जो एक धनी स्विस उद्योगपति तथा फारुशियो के मित्र होने के साथ साथ एक इस्लेरो व एस्पाडा के मालिक भी थे।[३३] फारुशियो ने कंपनी के 51% शेयर रोसेट्टी को 600,000 US$ में बेचे जिससे उनके द्वारा स्थापित वाहन निर्माण कंपनी से उनका नियंत्रण ख़त्म हो गया। वे सेंट अगाटा फैक्ट्री में काम करते रहे। रोसेट्टी शायद ही कभी आटोमोबिली के मामलों में खुद को शामिल करते थे।[३२]
1973-1974: फारुशियो झुक गए
1973 के तेल संकट से दुनिया भर के निर्माताओं की उच्च प्रदर्शन करने वाली कारों की बिक्री प्रभावित हुई, तेल की बढ़ती कीमतों के कारण सरकारों ने नए ईंधन अर्थव्यवस्था कानून बनाये तथा ग्राहकों को परिवहन के छोटे और अधिक व्यावहारिक तरीके तलाश करने के लिए कहा. इससे लेम्बोर्गिनी की भव्य स्पोर्ट्स कारों को अत्याधिक नुक्सान सहना पड़ा, जो उच्च शक्ति के इंजन से चलती थीं तथा पेट्रोल की अत्याधिक खपत करती थीं।[३४] (1986 की काऊंताच, जिसे 5.2 लीटर V12 इंजन द्वारा शक्ति मिलती थी, इ पि ऐ रेटिंग के अनुसार शहर में 6 मील प्रति गैलन तथा हाईवे पर 10 मील प्रति गैलन ईंधन की खपत करती थीं)
1974 में, फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने कंपनी की अपनी शेष 49% हिस्सेदारी को जॉर्ज हेनरी रोसेट्टी के मित्र रेने लीमर को बेच दिया। [१] अपने नाम से जुड़ी सभी कारों से उन्होनें संबंध तोड़ डाले, तथा उसके बाद मध्य इटली के अम्ब्रिया क्षेत्र में पेरुगिया के राज्य कासटीलोन दे लागो के गाँव पानीकरोला में ट्रेसीमेनो झील के किनारे एक संपत्ति ले ली, जहाँ वे अपने आखिरी दिनों तक रहते रहे। [५]
1974-1977: रोसेट्टी-लीमर युग
1974 में, LP500 का अंततः काऊंताच के रूप में उत्पादन शुरू हुआ जिसका नाम एक पिडमोंतेसे भेड़िये की आवाज पर रखा गया जो नुक्चियो बेर्तोने ने LP500 की नंगी चेसिस देख कर निकाली थी, उस समय इसे "प्रोजेक्ट 112" कहा जाता था।[३५][३६] एक छोटे, 4.0 लीटर-V12 द्वारा संचालित पहली काऊंताच की डिलिवरी 1974 में दी गयी थी। 1976 में, उर्राको P300 रूपांतरित हो कर सिल्हूट के नाम से आई जिसमें एक खुलने वाली छत तथा 3 लीटर V8 लगा था। इसकी खराब गुणवत्ता, अविश्वसनीयता और खराब क्षमता ने इसके खिलाफ काम किया। तथ्य यह है कि इसे अमेरिका में केवल "अवैध बाजार" के माध्यम से आयात किया गया। केवल 54 गाड़ियों का उत्पादन किया गया[३७] काऊंताच की भी अमेरिकी बाजार में प्रत्यक्ष भागीदारी की कमी आड़े आती रही जब तक कि 1982 में इसका LP500 संस्करण जारी नहीं किया गया।
1978-1987: दिवालियापन और मिमरान
साल दर साल लेम्बोर्गिनी की स्थिति और खराब होती गयी। कंपनी को 1978 में दिवालिया घोषित कर दिया गया तथा इसका नियंत्रण इटालियन अदालतों ने ले लिया। 1980 में स्विस मिमरान बंधु, जो खाद्य पदार्थों के प्रसिद्ध उद्योगपति थे और जिनमें स्पोर्ट्स कारों के प्रति जुनून था, को कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया गया। प्रशासन के दौरान, वाहन निर्माता ने असफल सिल्हूट पर दोबारा काम कर के जल्पा बनाई जो कि एक 3.5 लीटर V8 द्वारा संचालित थी व जिसे पूर्व महान मसेराटी, गिलियो अल्फिरी ने संशोधित किया था। जल्पा, सिल्हूट से ज्यादा सफल हुयी. जल्पा, काऊंताच के एक अधिक किफायती, रहने योग्य संस्करण के लक्ष्य को प्राप्त करने के काफी करीब थी।[३८] काऊंताच में भी सुधार किया गया। अंतत: 1982 में LP500 मॉडल जारी होने के बाद इसे अमेरिका में बिक्री की अनुमति मिल गयी।[३९] 1984 तक कंपनी आधिकारिक तौर पर स्विस हाथों में थी। मिमरान बंधुओं ने एक व्यापक पुनर्गठन कार्यक्रम शुरू किया, तथा वाहन निर्माण में बड़ी मात्रा में पूंजी का निवेश किया। सेंट अगाटा कार्यस्थल को नया रूप दिया गया और दुनिया भर में भर्ती के लिए नए इंजीनियरिंग और डिजाइन प्रतिभाओं की गंभीर खोज शुरू हुई। [१]
निवेश के तत्काल परिणाम अच्छे थे। एक काऊंताच "क्वाट्रोवाल्व", जो शक्तिशाली 455 बीएचपी का निर्माण करती थी, को 1984 में जारी किया गया। था; हड़बड़ी में शुरू की गयी चीता परियोजना के परिणामस्वरूप 1986 में लेम्बोर्गिनी LM002 का स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन जारी हुआ। बहरहाल, मिमरान बंधुओं के प्रयासों के बावजूद, कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिए किया गया निवेश अपर्याप्त साबित हुआ। एक बड़े व स्थिर वित्तीय साथी की तलाश के दौरान वे अमेरिका की "बिग 3 ऑटोमेकर" में से एक क्राईसलर कॉर्पोरेशन के प्रतिनिधियों से मिले.[१] अप्रैल 1987 में क्राईसलर के अध्यक्ष ली आईअकोक्का के नेतृत्व में, अमेरिकी कंपनी ने इटालियन वाहन निर्माण कंपनी का नियंत्रण मिमरान बंधुओं को 33 मिलियन[Notes ४] डॉलर के भुगतान के बाद ले लिया।[४०] जोल्लिफ के अनुसार, लेम्बोर्गिनी के मालिकों में केवल मिमरान बंधु ही छह साल पहले भुगतान की गयी डॉलर रकम को कई गुना बढ़ा कर पैसे कमा सके। [४०]
1987-1994: क्राईसलर द्वारा अधिग्रहण
आईअकोक्का, जिन्होनें क्राईसलर, जो एक समय लगभग दिवालिया होने के कगार पर थी, को चमत्कारिक ढंग से बचाया था, ने निदेशक मंडल से सलाह कर के लेम्बोर्गिनी को खरीदने का फैसला किया। क्राईसलर के लोग लेम्बोर्गिनी के बोर्ड में नियुक्त किये गए, लेकिन कंपनी के कई प्रमुख सदस्य अपनी मैनेजिंग पोजीशन में बने रहे, जिनमें अल्फिरी मर्मिरोली, वेंतुरेल्ली तथा केक्करेनि शामिल थे। उबाल्डो स्गार्जी बिक्री विभाग के प्रमुख के रूप में अपने पद पर बने रहे। [४१] इसका पुनरुत्थान करने के लिए, लेम्बोर्गिनी को नकद 50 मिलियन डॉलर मिले.[१] वाहन निर्माण कंपनी का नया मालिक "एक्स्ट्रा प्रीमियम" स्पोर्ट्स कार बाजार में प्रवेश का इच्छुक था जो दुनिया भर में प्रति वर्ष लगभग 5000 कारों का बाज़ार था। 1991 में क्राईसलर ने फेरारी 328 के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक कार बनाने की योजना बनाई,[४१] इसके अतिरिक्त वे चाहते थे कि इटालियन एक ऐसा इंजन बनायें जो अमेरिकी बाजार के लिए क्राईसलर कारों में प्रयुक्त हो सके। अंततः कंपनी ने मोटरस्पोर्ट के क्षेत्र में उतरने का निर्णय ले लिया तथा इस प्रयास को लेम्बोर्गिनी इंजीनियरिंग एस.पी.ए. के रूप में जाना गया। जिसका काम ग्रां प्री टीमों के लिए इंजन विकसित करना था। नयी इकाई मोडेना में लगाई गयी तथा इसे 5 मिलियन डॉलर का आरंभिक बजट दिया गया।[४२] डेनिएल ओडेटो इसके प्रबंधक और एमिल नोवारो अध्यक्ष थे। मऊरो फोरिरी उनके द्वारा नियुक्त किये गए पहले व्यक्ति थे। एक ऐसा व्यक्ति जिसकी मोटरस्पोर्ट की दुनिया में एक प्रतिष्ठित पहचान थी तथा जो पूर्व में फेरारी फॉर्मूला 1 टीम में एक कामयाब हस्ती था। फोरिरी ने सेंट अगाटा के सड़क कार इंजन से अलग अपना स्वतंत्र 3.5 लीटर V12 इंजन डिजाईन किया।[४३]
उस समय, लेम्बोर्गिनी में काऊंताच के विकल्प का निर्माण हो रहा था। डियाब्लो का नाम एक हिंसक सांड के नाम पर रखा गया, जिसकी मृत्यु 19वीं सदी के दौरान मैड्रिड में हुयी थी।[४३] डियाब्लो का मूल डिजाइन मार्सेलो गांदिनी, एक दिग्गज जिन्होनें कोचबिल्डर बेर्तोने के लिए काम करते समय मिउरा तथा काऊंताच की बहरी बनावट डिजाईन की थी, द्वारा तैयार किया गया था। हालांकि, क्राईसलर के अधिकारी गांदिनी के काम से खुश नहीं थे तथा उन्होनें अमेरिकी कार निर्माता की अपनी डिजाईन टीम को कार की बनावट में बड़ा बदलाव करने के लिए नियुक्त किया, जिनमें गांदिनी के मूल डिजाईन में बनाये गए ट्रेडमार्क तेज़ किनारों तथा कोनों को गोल करना शामिल था। इटालियन तैयार उत्पाद को देख कर ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ।[४४][४५] डियाब्लो को सितम्बर 1988 के लिए समय रहते जारी करने का इरादा किया गया। जब लेम्बोर्गिनी अपनी 25वीं वर्षगांठ का जश्न मना रही थी। जब यह स्पष्ट हुआ कि यह निशान दोबारा नहीं लगेगा, काऊंताच का अंतिम संस्करण उत्पादन में ले जाया गया।[४६] वर्षगांठ काऊंताच को बाद में कारों के बेहतरीन संस्करण के रूप में सराहा गया।[४७]
1987 के अंत तक, एमिल नोवारो अपनी लम्बी बीमारी के बाद लौटे तथा अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए डियाब्लो के विकास में क्राईसलर के बदते हस्तक्षेप को रोका. एक लड़ने वाले सांड कि तरह चिढ़ कर क्राईसलर ने फ्रेंकफर्ट ऑटो शो में एक चार दरवाजों वाली कार प्रदर्शित की, जिस पर लिखा था 'लेम्बोर्गिनी द्वारा संचालित एक क्राईसलर'. पोर्टोफिनो को मोटर प्रेस और लेम्बोर्गिनी कर्मचारियों द्वारा समान रूप से की खराब प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा.[४८] लेकिन यह डॉज इन्ट्रीपिड सीडान के लिए प्रेरणा बन गयी।
अप्रैल 1988 में बेर्तोने द्वारा उत्पादित एक क्वाट्रोवाल्वो V12 द्वारा संचालित लेम्बोर्गिनी ब्रांड का वाहन टोरिनो मोटर शो में दिखाया गया जो मिनीवैन जैसा दिखता था। एक असामान्य कार, जो सार्वजनिक प्रतिक्रिया चाहती थी, को नकार दिया गया। यह लेम्बोर्गिनी और क्राईसलर उत्पाद श्रृंखलाओं के अनुपयुक्त थी।[४८] लेम्बोर्गिनी श्रृंखला में डियाब्लो के नीचे की खाली जगह लेने के लिए 'बेबी लेम्बो' का निर्माण किया गया जो जल्पा का विकल्प थी। परियोजना को इस संभावना के साथ 25 मिलियन डॉलर का बजट आबंटित किया गया कि प्रति वर्ष 2,000 से ज्यादा कारों की बिक्री होगी.[४८]
डियाब्लो 21 जनवरी 1990 को मोंटे कार्लो के होटल दे पेरिस में एक समारोह में जनता के लिए जारी की गयी। डियाब्लो उत्पादन में उस समय दुनिया में सबसे तेजी से बनने वाली कार थी और बिक्री इतनी तेज थी कि इसने लेम्बोर्गिनी को लाभ की स्थिति में ला दिया। कंपनी का अमेरिका में पहले शिथिल और बेतरतीब निजी डीलर नेटवर्क था। क्राईसलर ने कुशल फ्रेंचाईस के साथ पूर्ण सर्विस और स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध कराए. कंपनी ने पावरबोट रेसिंग के लिए भी अपना V12 इंजन विकसित करना शुरू किया। मुनाफा 1991 में 1 मिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर गया और लेम्बोर्गिनी ने एक सकारात्मक युग में प्रवेश किया।[१]
1994-1997: इंडोनेशियाई स्वामित्व
किस्मत में इजाफा संक्षिप्त समय के लिए था। 1992 में बिक्री में जोरदार गिरावट हुयी तथा 239000 डॉलर की डियाब्लो अमेरिकी उत्साहियों के लिए घाटे का सौदा साबित हुयी. अब जबकि लेम्बोर्गिनी घाटे में थी, क्राईसलर ने फैसला किया कि निवेश के अनुसार वाहन फैक्ट्री पर्याप्त कारों का उत्पादन नहीं कर रही थी। अमेरिकी कंपनी ने लेम्बोर्गिनी से पीछा छुड़ाने के लिए ग्राहक ढूँढना शुरू किया तथा मेगाटेक नामक कंपनी में उनकी खोज समाप्त हुयी. कंपनी बरमूडा में पंजीकृत थी और पूरी तरह से इंडोनेशियाई समूह सेदटको पटी., के स्वामित्व में थी जिसके मुखिया सेतिअवान जोडी तथा उस समय के इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुहार्तो के सबसे छोटे बेटे टॉमी सुहार्तो थे। फ़रवरी 1994 तक, 40 मिलियन डॉलर में स्वामित्व बदल गया था। लेम्बोर्गिनी का इटालियन स्वामित्व ख़त्म हो गया था और मेगाटेक ने वाहन इकाई, मोडेना रेसिंग इंजन फैक्ट्री और अमेरिकी डीलर इकाई, लेम्बोर्गिनी USA पर नियंत्रण कर लिया।[१] जोडी, जो एक और मुसीबत में फंसी अमेरिकी सुपरकार बनाने वाली कंपनी वेक्टर मोटर्स में 35% हिस्सेदार था, ने सोचा कि वेक्टर और लेम्बोर्गिनी अपने उत्पादन में सुधार लाने के लिए आपस में सहयोग कर सकते हैं। माइकल जे किम्बर्ली, जो पूर्व में लोटस, जगुआर और जनरल मोटर्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष थे, को अध्यक्ष और प्रबन्ध निदेशक नियुक्त किया गया। लेम्बोर्गिनी के सारे क्रिया कलापों की समीक्षा करने के बाद, किम्बर्ली ने निष्कर्ष निकाला कि कंपनी को सिर्फ एक या दो मॉडल पेश करने के बजाए विस्तार करने की जरूरत है और अमेरिकी कार उत्साही लोगों को ऐसी कार देने की जरूरत है जो उनकी पहुँच में हो। उन्होनें लेम्बोर्गिनी की विरासत और जादू के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मार्केटिंग नीति बनाई. 1995 में, लेम्बोर्गिनी को सफलता मिली जब डियाब्लो में सुधार कर के शीर्ष स्तर की सुपरवेलोस मॉडल बनाई गयी। किन्तु 1995 में, जब बिक्री बढ़ रही थी, कंपनी का टॉमी सुहार्तो की वी'पॉवर कारपोरेशन के साथ पुनर्गठन किया गया, जिसके पास 60% शेयर थे। मायकॉम Bhd., जैफ याप द्वारा नियंत्रित एक मलेशियाई कम्पनी, के पास अन्य 40% शेयर थे।[१]
बिक्री में वृद्धि के बावजूद कभी खतरे से बाहर न निकलने वाली लेम्बोर्गिनी ने नवम्बर 1996 में वित्टोरियो दी कापुआ को अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में इस आशा के साथ नियुक्त किया कि अनुभवी दिग्गज ऑटो कंपनी फिएट एस.पी.ए. में अपने 40 से अधिक वर्षों से भी अधिक अनुभव के बलबूते स्पोर्ट्स कार निर्माता को फिर से मुनाफे की स्थिति में ले आयेंगे. दी कापुआ ने तत्काल लागत घटाने के उपाय शुरू कर दिए। कंपनी के कई अधिकारियों और सलाहकारों को चलता किया और उत्पादकता में 50 प्रतिशत लाभ प्राप्त करने के लिए उत्पादन इकाई की मरम्मत कराई. 1997 में, लेम्बोर्गिनी अंततः 209 डियाब्लो बेच कर न लाभ न हानि की स्थिति से तेरह कारें अधिक बेच कर लाभदायक स्थिति में पहुँच गयी। दी कापुआ भी लेम्बोर्गिनी के नाम और पहचान को भुनाना चाहते थे और इसके लिए आक्रामक मार्केटिंग और लाइसेंस डील लागू की गयी। 100 मिलियन डॉलर के बजट के साथ, आखिरकार "बेबी लेम्बो" की शुरुआत हुई। [१]
उस साल एशिया में जुलाई में आये एक और वित्तीय संकट ने स्वामित्व में बदलाव की एक और भूमिका तैयार कर दी। वोक्सवैगन एजी, के नए चेयरमैन फर्डिनेंड पीच जो वोक्सवैगन संस्थापक, फर्डिनेंड पोर्श के पोते थे, ने 1998 में अधिग्रहण अभियान चलाया जिसमें लगभग 110 मिलियन डॉलर में लेम्बोर्गिनी का अधिग्रहण भी शामिल था। लेम्बोर्गिनी को वोक्सवैगन की लक्जरी कार डिविजन ऑडी एजी के माध्यम से खरीदा गया। ऑडी प्रवक्ता जुएर्गेन डे ग्रैवे ने वाल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि "लेम्बोर्गिनी ऑडी के स्पोर्टी प्रोफ़ाइल को मजबूत कर सकती है और दूसरी ओर हमारे तकनीकी विशेषज्ञता से लैम्बोर्गिनी को फायदा हो सकता है।"[१]
1999-वर्तमान: ऑडी का आगमन
अमेरिकी स्वामित्व छोड़ने के केवल पांच साल बाद, लेम्बोर्गिनी अब जर्मन नियंत्रण में थी। एक बार फिर, मुसीबत में फंसी इटालियन वाहन निर्माण इकाई का एक होल्डिंग कंपनी - लेम्बोर्गिनी होल्डिंग एस.पी.ए.के रूप में पुनर्गठन किया गया, तथा ऑडी अध्यक्ष फ्रांज जोसेफ पीजेन को इसका चेयरमैन बनाया गया। आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी एस.पी.ए.होल्डिंग कंपनी की एक सहायक कंपनी बन गई ताकि विशेष रूप से डिजाइन तथा कार निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जा सके जबकि कंपनी की लाइसेंस डील तथा समुद्री जहाजों के इंजन निर्माण के लिए अलग विभाग गठित किये गए। वित्टोरियो दी कापुआ मूल प्रभारी बने रहे, लेकिन अंत में जून 1999 में उन्होनें इस्तीफा दे दिया। उनके स्थान पर जिउसेप्पे ग्रीको को नियुक्त किया गया जो फिएट, अल्फा रोमियो और फेरारी में अपने अनुभव के साथ उद्योग जगत के एक और दिग्गज थे। डियाब्लो के अंतिम विकास, जी.टी., को जारी किया गया लेकिन अमेरिका को निर्यात नहीं किया गया। इसका कम मात्रा में उत्पादन इसके उत्सर्जन और क्रैश प्रूफ़ अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया के लिए अत्याधिक खर्चीला था।
जिस तरह अमेरिकी स्वामित्व ने डियाब्लो के डिजाईन को प्रभावित किया, लेम्बोर्गिनी के नए जर्मन स्वामित्व ने डियाब्लो के विकल्प के निर्माण में एक बड़ी भूमिका निभाई. पहली नयी लेम्बोर्गिनी ने एक दशक से अधिक समय तक लेम्बोर्गिनी के पुनर्जन्म का प्रतिनिधित्व किया, आंतरिक रूप से L140 परियोजना के रूप में जानी जाती थी और संयोग से इसका नाम मिउरा की तरह एक सांड के नाम पर मर्सिएलेगो रखा गया जिसने लगभग 40 साल पहले फारुशियो लेम्बोर्गिनी को प्रेरित किया था। नयी कार लेम्बोर्गिनी डिजाइन के नए प्रमुख बेल्जियम के ल्यूक डोंकरवोल्क ने डिजाईन की थी।
जर्मन स्वामित्व के अंतर्गत, लेम्बोर्गिनी को स्थिरता मिली जो उसे पिछले कई वर्षों से नहीं मिली थी। वाहन निर्माता की कारें जो अविश्वसनीय होने के लिए कुख्यात थीं, प्रसिद्ध जर्मन इंजीनियरिंग ज्ञान से लाभान्वित हुईं और परिणामस्वरूप ऐसी कारों का उत्पादन हुआ जो इटालियन भावना के साथ जर्मन दक्षता की विशेषता प्रदर्शित करती थीं। 2003 में, लेम्बोर्गिनी ने मर्सिएलेगो के बाद एक छोटी, V10-सुसज्जित गेलार्डो को उतारा जो मर्सिएलेगो से अधिक सुलभ और ज्यादा बेहतर कार बनाने के उद्देश्य से बनाई गयी थी। इसके बाद एक छुप कर लड़ने वाले फाईटर से प्रेरित हो कर रेवेंतों बनाई गयी। इस सुपर कार के बेहद सीमित संस्करण थे और इसने सबसे शक्तिशाली और महंगी लेम्बोर्गिनी होने का गौरव प्राप्त किया। सन् 2007 में,वोल्फगैंग एग्गेर ऑडी और लेम्बोर्गिनी के डिजाइन के नए प्रमुख के रूप में वाल्टर डिसिल्वा की जगह नियुक्त हुए जिन्होनें अपनी नियुक्ति के दौरान एक ही कार - मिउरा कांसेप्ट 2006 डिजाईन की थी। नवीनतम लेम्बोर्गिनी कार 2009 मर्सिएलेगो LP 670-4 SV है जो लेम्बोर्गिनी हेलो सुपरकार का सुपरवेलोस संस्करण है।
वाहन सूची
लेम्बोर्गिनी द्वारा उत्पादित वाहन | |||||||||||
वाहन का नाम | उत्पादन की अवधि | उत्पादन संख्या [४९] | इंजन | उच्चतम गति | चित्र | ||||||
350GTV | (1963). (उत्पादन नहीं किया गया) | 1 (प्रोटोटाइप) | V12 3.464 लीटर (211.4 cid) | साँचा:convert | |||||||
350GTV लेम्बोर्गिनी के नाम वाली पहली कार थी, लेकिन इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं किया गया। | |||||||||||
350GT | 1964-1969 | 120 '4 .0 ': 23 | V12 3.464-लीटर (211.4 cid) V12 3.929-लीटर (239.8 cid) | साँचा:convert | |||||||
400GT | 1966-1968 | 250 | V12 3.929-लीटर (239.8 cid) | साँचा:convert | |||||||
मिउरा | 1966-1974 | 475 एस: 140 एसवी: 150 | V12 3.929-लीटर (239.8 cid) | साँचा:convert | |||||||
एस्पाडा | 1968-1978 | 1217 | V12 3.929-लीटर (239.8 cid) | साँचा:convert | |||||||
इस्लेरो | 1968-1970 | 125 एस: 100 | V12 3.929-लीटर (239.8 cid) | साँचा:convert | |||||||
जरामा | 1970-1978 | 177 एस: 150 | V12 3.929-लीटर (239.8 cid) | साँचा:convert | |||||||
उर्राको | 1970-1979 | P250: 520 P300: 190 P200: 66 | V8 2.463-लीटर (150 cid) V8 2.996-लीटर (180 cid) V8 1.994-लीटर (120 cid) | साँचा:convert | |||||||
काऊंताच | 1974-1990 | 2042 | V12 3.93-लीटर (240 cid) V12 4.75-लीटर (290 cid) V12 5.17-लीटर (320 cid) | साँचा:convert | |||||||
सिल्हूट | 1976-1977 | 54 | V8 3.0-लीटर (180 cid) | साँचा:convert | |||||||
जल्पा | 1982-1990 | 410 | V8 3.49-लीटर (213 cid) | साँचा:convert | |||||||
LM002 | 1986-1992 | 301 | V12 5.17-लीटर (315 cid) | साँचा:convert | |||||||
डियाब्लो | 1990-2001 | 2884 | V12 5.71-लीटर (350 सीआईडी) V12 6.0-लीटर (370 cid) | साँचा:convert | |||||||
मर्सिएलेगो | 2001-अब तक | अभी भी उत्पादन में | V12 6.19-लीटर (380 cid) V12 6.5-लीटर (400 cid) | साँचा:convert | |||||||
गेलार्डो | 2003 - अब तक | अभी भी उत्पादन में | V10 4.96-लीटर (303 cid) | साँचा:convert | |||||||
रेवेंतों | 2008 | 21 | V12
6.5-लीटर (396 cid) | साँचा:convert | |||||||
वर्तमान श्रृंखला
2009 में, वर्तमान श्रृंखला में पूरी तरह से मध्य इंजन के साथ दो सीटों वाली स्पोर्ट्स कारें शामिल हैं : V12- द्वारा संचालित मर्सिएलेगो LP640 व रोड स्टर और छोटी, V10-संचालित गेलार्डो LP560-4 तथा स्पाइडर. इन चार कारों के सीमित संस्करण का उत्पादन भी समय समय पर किया जाता है।
कांसेप्ट मॉडल
अपने पूरे इतिहास के दौरान लेम्बोर्गिनी ने विभिन्न प्रकारों की कांसेप्ट कारें परिकल्पित तथा प्रस्तुत की हैं जिसकी शुरुआत 1963 में सबसे पहली लेम्बोर्गिनी प्रोटोटाइप, 350GTV से हुई। अन्य प्रसिद्ध मॉडल में - बेर्तोने की 1967 की मार्ज़ल, 1974 की ब्रावो, और 1980 की एथोन, क्राईसलर की 1987 की पोर्तोफिनो, 1995 की ईटलडिजाईन स्टाइल काला और ज़गाटो द्वारा 1996 में बनी Raptor शामिल हैं।
एक रेट्रो-शैली की लेम्बोर्गिनी मिउरा कांसेप्ट कार जो मुख्य डिजाइनर वाल्टर डिसिल्वा की पहली रचना थी, को 2006 में प्रर्दशित किया गया। अध्यक्ष और सीईओ स्टीफन विन्केलमन्न ने इस परिकल्पना को उत्पादन में डालने से यह कह कर इनकार कर दिया, कि मिउरा कांसेप्ट हमारे इतिहास की एक सफलता है, लेकिन लेम्बोर्गिनी भविष्य के बारे में है। हम यहाँ रेट्रो डिजाइन बनाने के लिए नहीं है। इसलिए हम [नई] मिउरा नहीं बनायेंगे.[५०]
2008 पेरिस मोटर शो में, लेम्बोर्गिनी ने एक चार दरवाजे वाली एस्टोक सीडान कांसेप्ट का प्रदर्शन किया। यद्यपि एस्टोक के उत्पादन के बारे में कई अटकलें लगाई जाती रही हैं,[५१][५२] लेम्बोर्गिनी प्रबंधन ने अभी इसके बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है जो संभवत: सेंट अगाटा फैक्ट्री से निकलने वाली पहली चार दरवाजों वाली कार होगी.[५३]
मोटर स्पोर्ट
अपने प्रतिद्वंद्वी एन्ज़ो फेरारी के विपरीत, फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने पहले ही फैसला कर लिया था कि लेम्बोर्गिनी को रेस के लिए फैक्ट्री से कोई सहायता नहीं मिलेगी क्योंकि वे मोटर स्पोर्ट को अत्याधिक महंगा तथा कंपनी के संसाधनों को व्यर्थ करने वाले खेल के रूप में देखते थे। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] यह उस समय के हिसाब से असामान्य था, क्योंकि कई स्पोर्ट्स कार निर्माता मोटर स्पोर्ट्स में भाग ले कर गति, विश्वसनीयता और तकनीकी श्रेष्ठता को प्रर्दशित करते थे। विशेष रूप से एन्ज़ो फेरारी अपने कार व्यापार में धन जुटाने हेतु मोटर रेसिंग में भाग लेने के लिए जाना जाता था। फारुशियो की नीति ने उनके तथा इंजीनियरों के बीच तनाव उत्पन्न किया क्योंकि उनमें से कईयों में रेस के प्रति उत्साह था व कुछ लोग पहले फेरारी में काम कर चुके थे। जब डलारा, स्टेनज़नी और वालेस ने अपने खाली समय को P400 प्रोटोटाइप के विकास के लिए समर्पित किया तो अंततः मिउरा बनी. उन्होनें इसे रेसिंग के गुणों वाली सड़क कार के रूप में विकसित किया, जो ट्रैक पर जीतने के साथ साथ सड़क पर भी शौकीनों द्वारा चलायी जा सकती थी।[१६] जब फारुशियो को इस परियोजना का पता चला तो उन्होनें आगे बढ़ने की इजाजत यह सोच कर दे दी कि यह कंपनी के लिए प्रभावशाली मार्केटिंग का माध्यम हो सकती थी, साथ ही उन्होनें जोर दिया कि इसका प्रयोग रेसिंग के लिए नहीं किया जाएगा.
लेम्बोर्गिनी के प्रबंधन के अंतर्गत बनने वाली कुछ सच्ची रेस कारें असल में कुछ बेहद संशोधित प्रोटोटाइप थीं जिनमें फैक्ट्री के टेस्ट ड्राईवर बॉब वालेस द्वारा बनाई गयी कुछ कारें जैसे मिउरा SV पर आधारित "जोटा" और जरामा S पर आधारित "बॉब वालेस विशेष" शामिल हैं। जॉर्ज हेनरी रोस्सेटी के प्रबंधन के दौरान, लेम्बोर्गिनी ने बीएमडब्ल्यू के साथ संबंध बहाल करने के लिए, पर्याप्त मात्रा में रेसिंग कार उत्पादन के निर्माण हेतु एक समझौता किया। हालांकि, लेम्बोर्गिनी इस समझौते के कुछ हिस्से को पूरा करने में असमर्थ थे। कार को अंततः बीएमडब्ल्यू मोटरस्पोर्ट डिवीजन द्वारा विकसित किया गया तथा इसका निर्माण तथा बिक्री बीएमडब्ल्यू M1 के नाम से हुई। [५४][५५]
1980 के दशक में, लेम्बोर्गिनी ने 1986 के ग्रुप सी चैम्पियनशिप सीज़न के लिए क्यू वी एक्स विकसित की। एक कार का निर्माण हुआ, लेकिन प्रायोजकों की कमी के कारण इसे उस सीज़न को छोड़ना पड़ा. क्यू वी एक्स ने केवल एक दौड़ में हिस्सा लिया, दक्षिण अफ्रीका में क्यालामी में होने वाली गैर चैम्पियनशिप 1986 सदर्न संस 500 किमी रेस जिसके ड्राईवर टिफ़्फ़ नीडल थे। कार की अंतिम स्थिति शुरुआत से बेहतर होने के बावजूद, एक बार फिर इसे प्रायोजक नहीं मिल सके और कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।[५६]
लेम्बोर्गिनी द्वारा 1989 और 1993 फॉर्मूला वन सीजन के दौरान फार्मूला वन इंजन की आपूर्ति की गयी। इसने लर्रौस्से (1989-1990,1992-1993), लोटस, (1990), लीयर (1991), मिनार्डी (1992) और 1991 में मोडेना टीम के लिए इंजिनों की आपूर्ति की। हालांकि आमतौर पर इसे फैक्ट्री टीम के रूप में जाना जाता था, कंपनी खुद को एक धन लगाने वाले के बजाए एक सप्लायर के रूप में देखती थी। 1992 की लर्रौस्से-लेम्बोर्गिनी मुख्यतः प्रतिस्पर्धी नहीं थी लेकिन इसकी उल्लेखनीय चीज़ इसके धुंआ निकालने वाले सिस्टम से निकलने वाली तेल की बौछार थी। लर्रौस्से के बिलकुल पीछे दौड़ने वाली कारों का रंग आमतौर पर रेस के अंत तक पीलापन लिए हुए भूरा हो जाता था। साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed]
1991 के अंत में एक लेम्बोर्गिनी फार्मूला वन मोटर का प्रयोग कोनराड KM-011 ग्रुप सी की स्पोर्ट्स कार में किया गया लेकिन परियोजना के रद्द होने से पहले कार केवल कुछ ही रेसों में दौड़ पाई। उसी इंजन को फिर से लेम्बोर्गिनी की उस समय की मूल कंपनी क्राईसलर द्वारा फिर से नए नाम से पेश किया गया जिसे 1994 के सीज़न में प्रयोग करने के इरादे से 1993 सीज़न के अंत में मैकलेरन द्वारा परीक्षण किया गया। हालांकि ड्राइवर अयर्तों सेन्ना कथित तौर पर इंजन के प्रदर्शन से प्रभावित थे, मैकलेरन ने मोलभाव ख़त्म करके इसके स्थान पर एक प्यूजो इंजन का चयन किया और क्राईसलर ने परियोजना समाप्त कर दी।
1996 से 1999 तक हर वर्ष आयोजित होने वाली डियाब्लो सुपरट्राफी, एक सिंगल मॉडल रेसिंग श्रृंखला के लिए डियाब्लो के दो रेसिंग संस्करण बनाए गए। पहले वर्ष में, श्रृंखला में प्रयुक्त होने वाला मॉडल डियाब्लो SVR था, जबकि डियाब्लो 6.0 GTR मॉडल शेष तीन वर्षों के लिए प्रयुक्त किया गया।[५७][५८] लेम्बोर्गिनी ने मर्सिएलेगो R-GT को FIA GT चैम्पियनशिप, सुपर GT चैम्पियनशिप और 2004 में अमेरिकी ले मैंस श्रृंखला में भाग लेने के लिए एक रेसिंग कार के रूप में उत्पादन करने के लिए विकसित किया। गाड़ी की किसी भी रेस में सर्वोच्च स्थिति उस साल वेलेंसिया में FIA GT चैम्पियनशिप के शुरूआती राउंड में थी जहां राईटर इंजीनियरिंग द्वारा बनी कार ने पांचवें स्थान से शुरू हो कर तीसरे स्थान पर रेस ख़त्म की थी।[५९][६०] 2006 में, सुज़ुका में हुई सुपर जी.टी. चैम्पियनशिप के शुरूआती राउंड में जापान लेम्बोर्गिनी ओनर्स क्लब द्वारा (श्रेणी में) चलाई गयी किसी R-GT कार को पहली जीत मिली। गेलार्डो का एक GT3 संस्करण राईटर इंजीनियरिंग द्वारा विकसित किया गया है।[६१] All-Inkl.com रेसिंग द्वारा उतारी गयी एक मर्सिएलेगो R-GT जिसे क्रिस्टोफ बौशु और स्टेफन म्यूक ने चलाया, ने ज्हुहाई इंटरनेशनल सर्किट में आयोजित FIA GT चैम्पियनशिप के पहले दौर में जीत हासिल की जो लेम्बोर्गिनी की अंतरराष्ट्रीय रेस में पहली बड़ी जीत थी।[६२]
पहचान
बुल फाईटिंग की दुनिया लेम्बोर्गिनी की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।[६३][६४][६५] 1962 में, फारुशियो लेम्बोर्गिनी ने सेविल्ले के खेत में डॉन एडुआर्डो मिउरा जो स्पेनिश फाईटिंग बुल का प्रसिद्ध ब्रीडर था, से भेंट की। लेम्बोर्गिनी, जो स्वयं वृष राशि के थे, उन चमत्कारी मिउरा जानवरों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होनें अपनी जल्द ही बनने वाले वाहनों के लिए उग्र सांड को प्रतीक के रूप में अपनाने का निर्णय लिया।[१३]
अपनी दो कारों को अल्फान्यूमेरिक नाम देने के पश्चात्, लेम्बोर्गिनी एक बार फिर से प्रेरणा प्राप्त करने के लिए बुल ब्रीडर से मिले. डॉन एडुआर्डो गर्व से भर गया जब उसे पता चला कि फारुशियो ने अपनी कारों का नामकरण उसके सांडों के नाम पर किया है। चौथी मिउरा का अनावरण सेविल्ले में उसके खेत में किया गया।[१३][१९]
वाहन निर्माता ने आने वाले वर्षों में बुलफाईटिंग से अपने संबंध बनाये रखे. इस्लेरो का नाम एक मिउरा सांड के नाम पर रखा गया था जिसने 1947 में प्रसिद्ध बुल फाईटर मनोलेटे की हत्या कर दी थी। एस्पाडा तलवार के लिए स्पेनिश भाषा का शब्द है जिसका उल्लेख कभी कभी बुल फाईटर अपने लिए करते हैं। जरामा नाम के दोहरे विशेष अर्थ हैं लेकिन इसका उल्लेख केवल स्पेन के ऐतिहासिक बुल फाईटिंग क्षेत्र के लिए होता है। फारुशियो भी इसका नाम ऐतिहासिक जमारा मोटर रेसिंग ट्रैक से मिलने के कारण होने वाली भ्रम की स्थिति के बारे में चिंतित थे।[२९]
उर्राको का नामकरण एक सांड की नस्ल पर करने के बाद, 1974 में लेम्बोर्गिनी ने परंपरा को तोड़ दिया, व काऊंताच का नामकरण एक सांड के नाम पर नहीं अपितु काऊंताच! साँचा:pronounced (एक सुंदर महिला देखने पर पिडमोंतेसे लोगों द्वारा इस्तेमाल आश्चर्य के रूप में निकलने वाली आह[३५]) के नाम पर किया। महान उद्यमी को यह शब्द उस समय मिला जब स्टाइलिस्ट नुक्चियो बेर्तोने ने पहली बार काऊंताच प्रोटोटाइप "परियोजना 112" को देखा तो आश्चर्य से उसके मुंह से यह शब्द निकल गया। LM002 स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन और सिल्हूट परंपरा के अपवाद थे।
1982 की जल्पा का नाम एक सांडों की नस्ल के नाम पर रखा गया था। डियाब्लो, 'ड्यूक ऑफ़ वेरागुआ का लड़ाई के लिए प्रसिद्ध उग्र सांड था जिसने 1869 में मैड्रिड में "एल चिकोर्रो" से असाधारण लड़ाई लड़ी थी।[४४] मर्सिएलेगो, जिसके प्रदर्शन के कारण 1879 में उसकी जान "एल लगार्तिजो" द्वारा बख्श दी गयी थी, गेलार्डो, स्पेनी की सांडों की नस्ल की पांच पैतृक जातियों में से एक के नाम पर आधारित है।[६६] और रेवेंतों, एक सांड जिसने युवा मैक्सिकन लड़ाके फेलिक्स ग़ुज़्मेन को 1943 में हराया था। 2008 की एस्टोक का नाम एक तलवार एस्टोक के नाम पर किया गया जिसे परंपरागत रूप से बुल फाईट के दौरान मेटाडोर्स (लड़ने वाले) प्रयोग करते हैं।[६७]
कॉर्पोरेट मामलें
लेम्बोर्गिनी लेम्बोर्गिनी समूह, की होल्डिंग कंपनियों आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी होल्डिंग एस.पी.ए. के रूप में गठित है। जिसमें तीन अलग अलग कम्पनियाँ हैं : आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी एस.पी. ए. जो कारों का निर्माण करती है; मोटोरी मारिनी लेम्बोर्गिनी एस.पी. ए., समुद्री इंजन के निर्माता और आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी अर्तिमार्का एस.पी. ए., लाइसेंस और बिक्री से सम्बंधित कंपनी.[१]
मोटोरी मारिनी लेम्बोर्गिनी पावरबोट रेसिंग में इस्तेमाल के लिए बड़े V12 समुद्री इंजन ब्लॉक - विशेष रूप से विश्व अपतटीय श्रृंखला क्लास 1, का उत्पादन करती है, . इंजन एक बड़ी क्षमता उत्पन्न करता है। साँचा:convertसाँचा:convert[६८]
आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी अर्तिमार्का अन्य कंपनियों के उत्पादों और सहायक उपकरणों पर लेम्बोर्गिनी नाम और चित्र का प्रयोग करने के लिए लाइसेंस देती है। उदाहरणों में विभिन्न तरह के परिधान, मॉडल कार, और एसुस लेम्बोर्गिनी VX श्रृंखला के नोटबुक कंप्यूटर शामिल हैं।
बिक्री इतिहास
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वर्ष | जितनी इकाईयां बिकी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | 500 | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | 1000 | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | 1500 | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | 2000 | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | style = "width: 20px;" colspan="2" | 2500 | |||||||||||||||||||||||||||
फारुशियो लेम्बोर्गिनी (1963-1972) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1968[२६] | 353 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
जॉर्ज-हेनरी रोस्सेटी और रेने लीमर (1972-1977) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
रिसीवरशिप (1977-1984) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पैट्रिक मिमरान (1984-1987) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
क्राईसलर कॉर्पोरेशन (1987-1994) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1991[१] | 673 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1992[१] | 166 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1993[१] | 215 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मेगाटेक (1994-1995) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
V'पॉवर और मायकॉम सेदको (1995-1998) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1996[६९] | 211 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1997[१] | 209 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ऑडी एजी (1998-वर्तमान) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1,999[७०] | 264 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2000[७१] | 291 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2001[७२] | 280 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2002[७३] | 442 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2,003[७४] | 1,357 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2,004[७४] | 1,678 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2005[७५] | 1,436 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2006[७६] | 2,095 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2007[७७] | 2,580 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2008[७८] | 2,424 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2009 (पहली छमाही)[७९] | 825 |
लैटिन अमेरिका की लैम्बोर्गिनी
औटोमोविल्स लेम्बोर्गिनी लेटिनोअमेरिका एस.पि. साँचा:lang-en एक मैक्सिकन कंपनी है जो इटालियन वाहन निर्माण इकाई से लाइसेंस के तहत लेम्बोर्गिनी नाम की कारें बनाती है। लाइसेंस समझौते को 1995 में तोड़ा गया, जब आटोमोबिली लेम्बोर्गिनी का अधिग्रहण इंडोनेशिया कॉर्पोरेशन मेगाटेक और माइकल किम्बर्ली द्वारा किया गया था। अर्जेंटीना के समूह के पास लेम्बोर्गिनी से संबंधित सामन बेचने की अनुमति थी और अनुबंध में एक खंड था जिसके तहत उन्हें 'दुनिया भर में उन गाड़ियों के बिक्री करने और प्रदर्शन करने की अनुमति थी जो गाडियाँ मेक्सिको संयुक्त राज्य और / या लैटिनोअमेरिका में उनके ढंग से असेम्बल की गयी थीं।[८०][८१] ऑटोमोविल्स लेम्बोर्गिनी ने डियाब्लो के दो पुनिर्मित ढांचों के साथ संस्करणों का उत्पादन किया है जिन्हें लाइसेंस समझौते के अंतर्गत एरोस और कॉअत्ल नाम से बुलाया जाता है। फिलहाल कंपनी का नेतृत्व जॉर्ज एंटोनियो फर्नांडीज गार्सिया के द्वारा किया जा रहा है।[८२]
नोट्स
फुटनोट्स
- ↑ एस.पि.ए. का अर्थ अनुसार Società per Azioni है, एक ज्वाइंट स्टोक कम्पनी का इटालियन संस्करण
- ↑ असलियत में फारुशियो की शैक्षणिक योग्यता विभिन्न स्रोतों के अनुसार अलग अलग है। कुछ लोगों के अनुसार, उन्होनें इंजीनियरिंग (जोल्लिफ, 16), यांत्रिकी (फंडिंग यूनिवर्स), या औद्योगिक प्रौद्योगिकी का अध्ययन किया। यह भी कहा जाता है कि उन्होनें औद्योगिक डिजाइन का अध्ययन किया है (सेके, 14) .
- ↑ लेम्बोर्गिनी के इंडीपेंडेंट में मृत्युलेख के अनुसार, उन्होंने 1940 में स्नातक की तैयार की थी; किन्तु जोल्लिफ की किताब के अनुसार, सैन्य सेवा दायित्वों से बंधे होने के कारण उनकी पढ़ाई अधूरी रह गई।
- ↑ अगले अध्याय में जोल्लिफ कहते हैं, "क्राईसलर कारपोरेशन का 25.2 मिलियन डॉलर से फाईटिंग बुल का अधिग्रहण ..." अन्य स्रोत लगभग 25 मिलियन डॉलर की संख्या से सहमत हैं।
सन्दर्भ
किताबें
बाहरी कड़ियाँ
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- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ साँचा:cite web
- ↑ VW Group Supply.com स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। लेम्बोर्गिनी ब्रांड का अवलोकन
- ↑ जोल्लिफ, 15
- ↑ अ आ इ ई सेके, 14
- ↑ अ आ इ साँचा:cite web
- ↑ जोल्लिफ, 17
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ अ आ इ ई उ जोल्लिफ, 18
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ अ आ इ सेके, 15
- ↑ अ आ इ ई जोल्लिफ, 25
- ↑ अ आ इ ई उ सेके, 16
- ↑ अ आ इ ई जोल्लिफ, p. 29
- ↑ जोल्लिफ, 27
- ↑ अ आ इ ई जोल्लिफ, 28
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 31
- ↑ जोल्लिफ, 36
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ जोल्लिफ, 37
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 38
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 39
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ इ जोल्लिफ, 40
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- ↑ अ आ जोल्लिफ, 42
- ↑ अ आ इ ई उ जोल्लिफ, 43
- ↑ जोल्लिफ, 44
- ↑ जोल्लिफ, 45
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 48
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 46
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- ↑ अ आ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ लॉरेंस, "काऊंताच LP400/LP400S"
- ↑ लॉरेंस, "सिल्हूट"
- ↑ लॉरेंस, "जल्पा"
- ↑ लॉरेंस, "काऊंताच LP500/LP500 के क्वात्त्रोवोल्व् (प्रत्येक सिलेंडर में चार वाल्व) "
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 82
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 86
- ↑ जोल्लिफ, 88
- ↑ अ आ जोल्लिफ, 90
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- ↑ जोल्लिफ, 92
- ↑ जोल्लिफ, 94
- ↑ अ आ इ जोल्लिफ, 95
- ↑ पुराने नंबर : लॉरेंस, माइक. स्पोर्ट्स कारों के बारे में A से Z तक 1945-1990 . बाईडफोर्ड, डेवन : बे व्यू बुक्स, 1991. नए आंकडे अन्य विकिपीडिया लेखों से एकत्रित किये गए हैं।
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- ↑ [१] स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। लेम्बोर्गिनी मर्सिएलेगो R-GT 2004 कार निर्देशिका
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। p.21, "उत्पाद लाइन द्वारा डीलर संगठन को बिक्री"
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- कार निर्माता
- कार ब्रांड