लू हवा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

साँचा:ambox

उत्तरी भारत में गर्मियों में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूरब दिशा में चलने वाली धुलभरी ,प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क हवाओं को लू कहतें हैं। इस तरह की हवा मई तथा जून में चलती हैं। लू के समय तापमान ४५° सेंटिग्रेड से तक जा सकता है। गर्मियों के इस मौसम में लू चलना आम बात है। "लू" लगना गर्मी के मौसम की बीमारी है। "लू" लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने की "शक्ल" में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है। सिर में भारीपन मालूम होने लगता है, नाड़ी की गति बढ़ने लगती है, खून की गति भी तेज हो जाती है। साँस की गति भी ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है। बुखार काफी बढ़ जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है। आँखें भी जलती हैं। इससे अचानक बेहोशी व अंततः रोगी की मौत भी हो सकती है।

लू से बचने के उपाय

  • लू से बचने के लिए दोपहर के समय बाहर नहीं निकलना चाहिए। अगर बाहर जाना ही पड़े तो सिर व गर्दन को तौलिए या अंगोछे से ढँक लेना चाहिए। अंगोछा इस तरह बाँधा जाए कि दोनों कान भी पूरी तरह ढँक जाएँ।
  • गर्मी के दिनों में हल्का व शीघ्र पचने वाला भोजन करना चाहिए। बाहर जाते समय खाली पेट नहीं जाना चाहिए।
  • गर्मी के दिनों में बार-बार पानी पीते रहना चाहिए ताकि शरीर में जलीयांश की कमी नहीं होने पाए। पानी में नींबू व नमक मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीते रहने से लू नहीं लगती।
  • गर्मी के दौरान नरम, मुलायम, सूती कपड़े पहनना चाहिए जिससे हवा और कपड़े शरीर के पसीने को सोखते रहते हैं।
  • गर्मी में ठंडाई का सेवन नियमित करना चाहिए। मौसमी फलों का सेवन भी लाभदायक रहता है जैसे, खरबूजा, तरबूज, अंगूर इत्यादि।
  • गर्मी के दिनों में प्याज का सेवन भी अधिक करना चाहिए एवं बाहर जाते समय कटे प्याज को जेब में रखना चाहिए।

लू लगने पर क्या करें

  • लू लगने पर तत्काल योग्य डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर को दिखाने के पूर्व कुछ प्राथमिक उपचार करने पर भी लू के रोगी को राहत महसूस होने लगती है।
  • बुखार तेज होने पर रोगी को ठंडी खुली हवा में आराम करवाना चाहिए।
  • 104 डिग्री से अधिक बुखार होने पर बर्फ की पट्टी सिर पर रखना चाहिए।
  • रोगी को तुरंत प्याज का रस शहद में मिलाकर देना चाहिए।
  • प्यास बुझाने के लिए नींबू के रस में मिट्टी के घड़े अथवा सुराही के पानी का सेवन करवाना चाहिए। बर्फ का पानी नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि इससे लाभ के बजाए हानि हो सकती है।
  • रोगी के शरीर को दिन में चार-पाँच बार गीले तौलिए से पोंछना चाहिए।
  • चाय-कॉफी आदि गर्म पेय का सेवन अत्यंत कम कर देना चाहिए।
  • कैरी का पना विशेष लाभदायक होता है। कच्चे आम को गरम राख पर मंद आँच वाले अंगारे में भुनकर, ठंडा होने पर उसका गूदा निकालकर उसमें पानी मिलाकर मसलना चाहिए। इसमें जीरा, धनिया, शकर, नमक, कालीमिर्च डालकर पना बनाना चाहिए। पने को लू के रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में दिया जाना चाहिए।
  • जौ का आटा व पिसा प्याज मिलाकर शरीर पर लेप करें तो लू से तुरंत राहत मिलती है।

बाहरी कड़ियाँ