लिवोर मोर्टिस
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। साँचा:find sources mainspace |
लिवोर मोर्टिस (लातीनी भाषा में शरीर का नीलापन), ह्य्पोस्तासिस (यूनानी भाषा में खड़े ढाँचे के नीचे), पोस्टमॉर्टम लिविडिटी (लातीनी: मरने के बाद काले और नीले होना) यह तीनों सामान्य शब्द है, और यह मृत्यु के बाद का चौथी अवस्था है। लिवोर मोर्टिस मृत्यु के बाद का बाद का एक ऐसा समय है जिसमें शारीर का सारा रक्त निचले हिस्से में एकत्रित हो जाता है और त्वचा को बैंगनी रंग अथवा लाल रंग का कर देता है। यहाँ पर दिल काम करना बंद कर देता है और रक्त का बहाव की कोई शक्ति नहीं रह जाती है। इस समय भरी लाल रक्त कोशिकाएँ भी गुरुत्वाकर्षण के कारण प्लाविका में डूब जाती हैं। [१]
लिवोर मोर्टिस की प्रक्रिया २०-३० मिनट में शुरू हो जाती है और लगभग १-३ घंटो के अंदर ही सारे शारीर पर बैंगनी रंग के पैच (धब्बे) हो जाते हैं। पैच का आकार अगले ३-६ घंटों में बढता है। निश्चित रूप से जीवन के अंतिम संकेत ६-१२ घंटों तक ही दिखाई देते हैं। लिवोर मोर्टिस के रंग की तीव्रता रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा पर निर्भर करती है। रंग का फीका होना शारीर के उन भागों में नही दिखाई देता जो भाग किसी भी वस्तु या भूमी के संपर्क में होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यहाँ की कोशिकाएँ दब जाती हैं और रंग बदलने नहीं देती।
मृत्यु की न्यायिक जाँच में प्रयोग
- पुलिस अधिकारी लिवोर मोर्टिस का शरीर में उपस्थित या अनुपस्थित होने की मदद से मृत्यु के समय के बारे में पता लगा सकते हैं।
- लिवोर मोर्टिस की उपस्थिथि की मदद से फॉरेंसिक तहकीकात करने वाला अफसर यह भी पता कर सकता है की मृत्यु के बाद शारीर को अपनी जगह से हिलाया गया है या नहीं।