लिथो छपाई
लिथो छपाई (Lithography) पत्थर पर चिकनी वस्तु से लेख लिखकर अथवा डिज़ाइन बनाकर, उसके द्वारा छाप उतारने की कला है। लिथोग्रैफी शब्द यूनानी भाषा के लिथो (पत्थर) एवं ग्रैफी (लिखना) शब्दों के मिलने से बना है। पत्थर के स्थान पर यदि जस्ता, ऐलुमिनियम इत्यादि पर उपर्युक्त विधि से लेख लिखकर या डिज़ाइन बनाकर छापा जाए तो उसे भी लिथोग्रैफी कहेंगे।
लिथोछपाई या पत्थरछपाई को सतह या समतल लिखावट (Planographic) प्रक्रम (process) भी कहते हैं। इसमें मुद्रणीय और अमुद्रणीय क्षेत्र एक ही तल पर होते हैं, परंतु डिज़ाइन चिकनी स्याही से बने होने के कारण और बाकी सतह नम रखी जाने के कारण, स्याही-रोलर स्याही को स्याही ग्राही डिज़ाइन पर ही निक्षिप्त कर पाता है। अमुद्रणीय क्षेत्र की नमी, या आर्द्रता, स्याही को प्रतिकर्षित करती है। इस प्रकार लिथोछपाई चिकनाई और पानी के विद्वेष सिद्धांत पर आधारित है। इस प्रक्रम का आविष्कार बेवेरिया में एलॉइस जेनेफ़ेल्डर (Alois Senefelder) ने 6 नवम्बर 1771 ई. को किया था। सौ वर्षों से अधिक काल तक प्रयोग और परख होते रहने के बाद आधुनिक फोटो ऑफ़सेट लिथो छपाई के रूप में उसका विकास हुआ।
लिथो छपाई में आरेखन और मुद्रण दोनों की विधियाँ सन्निहित है। समतल लिखावट मुद्रण द्वारा प्रिंटों (prints) को छापने की दो प्रमुख विधियाँ हैं : स्वलिथोछपाई (autolithography) और ऑफ़सेट फ़ोटोलिथोछपाई। स्वलिथोछपाई नक्शानवीस (draftsman), या कलाकार द्वारा प्रस्तर, धातु की प्लेट, या अंतरण कागज (transfer paper) पर अंकित मूल लेखन, या आरेखन से आरंभ होता है। डिज़ाइन में सर्जक के मन की छाप और कलाकार के व्यक्तिगत स्पर्श की छाप होती है। इस शिल्प के व्यापारिक पक्ष के अनेक विभाग हैं और ऐसे शिल्पी कम होते हैं जो अपने विभाग के अलावा दूसरे विभाग की भी जानकारी रखते हों। अत: सहज कलात्मक प्रेरणाएँ व्यर्थ जाती हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि ऑफसेट लिथोछपाई में कलापक्ष का अभाव होता है, परंतु यह मान लेने की बात है कि इसमें कलापक्ष क्रमश: गौण हो रहा है, खास कर उस स्थिति में जबकि फोटोग्राफी स्वलिथोछपाई का स्थान ले रही है। लिथो छपाई का आरंभ पत्थर से छापने के रूप में हुआ और आज भी उसका महत्व कम नहीं हुआ है, परंतु फ़ोटोग्रॉफसेट को, जो छपाई का परोक्ष प्रक्रम है और जिसमें शीघ्रता, सस्तापन और यथार्थता के लिए छपाई के काम में प्रकाशयांत्रिक (photomechanical) विधियों का उपयोग होता है, त्यागा नहीं जा सकता।
वर्णलिथोछपाई और फोटोलिथोछपाई
रंगीन छपाई के लिए, विशेषकर विज्ञापन में, वर्णलिथोछपाई (बिना फोटोग्राफी के) उत्तम विधि है। (1) विभिन्न आकार के उत्कीर्ण (stippled) बिंदुओं से, या (2) दानेदार पत्थर, या प्लेट पर अंकनी (crayon), या खड़िया से आरेख करके और आरेखन के समय खड़िया पर दबाव के बदलाव से प्रभावित दानों का क्षेत्र और उनके टोन की गहराई निर्धारित करके, हाथ की लिथोछपाई में चिकने पत्थर पर रंगों का क्रमस्थापन उत्पन्न किया जात है। चित्रकार यांत्रिक आभा (tint), या छायाकारी माध्यम, या उन सभी विधियों के संयोजन का भी उपयोग कर सकता है, जिनमें फोटोग्राफी, या फोटोग्राफी विधि से निर्मित बिंब भी सम्मिलित हैं।
- अंतरण कागज -
फ़ोटोग्राफी की मदद के बिना लिथोग्रैफिक प्रतिबिंब बनाने का प्राचीनतम प्रक्रम अंतरण कागज है। आज भी अनेक भारतीय और विदेशी लिथोग्रैफिक छपाई के संस्थान धातु की प्लेटों पर लिथोग्रैफिक प्रतिबिंबों को बनाने के लिए प्रकाशयांत्रिक प्रक्रम का प्रयोग नहीं करते। सम बुनावट और उपयुक्त आधारी कागज पर अनेक पदार्थों, जैसे आटा, स्टार्च, जिलेटिन, सरेस, प्लास्टर ऑव पैरिस, या गच (stucco), सादा सफेद, कांबोज्य (gamboge) आदि के साथ पानी, गोंद और चाशनी (syrup) से बनाए हुए संयोजन, की परत से विभिन्न प्रकार के अंतरण कागज बनाए जाते हैं।
अंतरण कागज अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे
- द्रव अंतरण अर्थात् स्याही या लिथोलेख स्याही द्वारा आरेखन या लेखन के लिए प्रयुक्त होनेवाला कागज,
- लिथोलेखी खड़िया से बने आरेखन के लिए दानेदार या खड़िया अंतरण कागज,
- ताँबा प्लेट, या इस्पात प्लेट अंतरण कागज तथा (nù) प्रस्तर, जस्ता या ऐलुमिनियम प्लेटों पर अंतरण के लिए उपयुक्त अंतरण कागज।
प्रकाश लिथोछपाई (फोटोलिथोग्राफी) - न्यूनाधिक स्वचालित प्रकार के भौतिक और रासायनिक प्रक्रमों का यह संयोजित रूप है। छपाई की सतह पर पहला प्रतिबिंब बनाने में फ़ोटोग्राफी का सहारा लिया जाता है। रंगीन मूल के बड़े, या छोटे आकार का पुनरुत्पादन नेगेटिव कैमरे में तैयार होता है।
इन्हें भी देखें
- मुद्रण
- मुद्रणालय
- मुद्रण का इतिहास
- मुद्रण कला (टाइपोग्राफी)
- आफसेट छपाई
- डेस्कटॉप प्रकाशन
- छपाई (वस्त्रों की)
बाहरी कड़ियाँ
- Lithography and other printmaking definitions
- Museum of Modern Art information on printing techniques and examples of prints
- The Invention of Lithography, Aloys Senefelder, (Eng. trans. 1911)(a searchable facsimile at the University of Georgia Libraries; DjVu and layered PDF format)
- Theo De Smedt's website, author of "What's lithography"
- Extensive information on Honoré Daumier and his life and work, including his entire output of lithographs
- Digital work catalog to 4000 lithographs and 1000 wood engravings
- Detailed examination of the processes involved in the creation of a typical scholarly lithographic illustration in the 19th century
- Nederlands Steendrukmuseum
- Delacroix's Faust lithographs at the Davison Art Center, Wesleyan University
- A brief historic overview of Lithography. University of Delaware Library. Includes citations for 19th century books using early lithographic illustrations.