लाला हंसराज
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
लाला हंसराज (महात्मा हंसराज) (१९ अप्रैल १८६४ - १५ नवम्बर १९३८) अविभाजित भारत के पंजाब के आर्यसमाज के एक प्रमुख नेता एवं शिक्षाविद थे। पंजाब भर में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों की स्थापना करने के कारण उनकी कीर्ति अमर है।
जीवन वृत्त
लाला हंसराज का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के होशियारपुर के निकट बजवाड़ा गाँव में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। उनके बड़े बेटे का नाम बलराज था जिन्हें अंग्रेजों ने देशद्रोह के आरोप में सात वर्ष जेल में बन्द रखा। उनके छोटे बेटे का नाम बोधराज था। उन्होने २२ वर्ष की आयु में डीएवी स्कूल में प्रधानाचार्य के रूप में अवैतनिक सेवा आरम्भ की जिसे २५ वर्षों तक करते रहे। अगले २५ वर्ष उन्होने समाज सेवा के लिये दिये। ७४ वर्ष की आयु में आपका निधन हो गया।
कार्य
- केवल २२ वर्ष की आयु में डीएवी स्कूल लाहौर के प्रधानाचार्य बने।
- सन् १८९५ में बीकानेर में आये भीषण अकाल के दौरान दो वर्षों तक बचाव व सहायता का कार्य किया और इसाई मिशनरियों को सेवा के छद्मवेश में पीड़ित जनता का धर्म-परिवर्तन करने से रोका। लाला लाजपत राय इस कार्य में अग्रणी रहे।
- जोधपुर के अकाल में लोगों की सहायता - १४००० अनाथ बच्चे आर्य आनाथालयों में पालन-पोषण के लिये लिये गये।
- इसी तरह हंसराज जी के नेतृत्व में सन् १९०५ में कांगड़ा में, १९३५ में क्वेटा में, सन् १९३४ में बिहार में पीड़ितों की सहायता की गयी।