लक्ष्मी चंद्र जैन
लक्ष्मी चंद्र जैन | |
---|---|
Born | 13 December 1925 Bahadurpur, Rajasthan, भारत |
Died | 14 November 2010साँचा:age) New Delhi, India | (उम्र
Nationality | Indian |
Occupation | freedom fighter, cooperative leader |
Employer | साँचा:main other |
Organization | साँचा:main other |
Agent | साँचा:main other |
Known for | गांधीवादी, freedom fighter, former bureaucrat and 1989 Ramon Magsaysay Award winner |
Notable work | साँचा:main other |
Opponent(s) | साँचा:main other |
Criminal charge(s) | साँचा:main other |
Spouse(s) | साँचा:main other |
Partner(s) | साँचा:main other |
Parent(s) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "list" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other |
Signature | |
साँचा:template otherसाँचा:main other
लक्ष्मी चंद्र जैन (1925–2010) भारत के गांधीवादी अर्थशास्त्री थे। भारत में आर्थिक नियोजन के पिछले पचास वर्षों के इदिहास पर डॉ. जैन की बारीक नजर थी। वो योजना आयोग के सदस्य रहे और दक्षिण अफ्रीका में भारत के राजदूत भी। वो मानते थे कि हमारी प्रमुख समस्या नौकरशाही पर निर्भरता है। उनके मुताबिक गांधी यह भली भांति समझते थे कि जनता की भागीदारी के बिना कोई काम नहीं किया जाना चाहिए और जनता की भागीदारी के बिना कोई काम सफल भी नहीं हो सकता, लेकिन आजादी के बाद हम यह बुनियादी बात भूल गये ।
11 मई पोखरण विस्फोट का दिन.... एक गजब किस्सा जुड़ा है गद्दारी का
“लक्ष्मी चंद जैन" भारत का वह राजदूत जिसने दक्षिणी अफ्रीका में तैनाती के दौरान अपने ही देश के निर्णय का विरोध किया और उसे इस विरोध के पुरुस्कार स्वरूप देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान “पदम् विभूषण" दिया गया..
बात है 1998 कि....जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार द्वारा पोखरण में परमाणु परीक्षण किए गए थे और परीक्षणों के बाद, दक्षिण अफ्रीका में तैनात भारत के उच्चायुक्त (राजदूत) लक्ष्मी चंद जैन ने वाजपेयी सरकार द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों का खुलकर विरोध किया।
इस कृत्य की जरा कल्पना करें कि देश की जिस उपलब्धि पर देश का प्रत्येक नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही थी तब भारत का एक राजदूत परमाणु परीक्षण जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील नीतिगत निर्णय पर विदेश में बैठा अपने ही देश का विरोध कर रहा था। न केवल विरोध कर रहा था बल्कि दक्षिण अफ्रीका डरबन शिखर सम्मेलन में अपने देश विरोधी एजेंडे को जोरदार तरीके से आगे बढ़ा रहा था।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने त्वरित कार्रवाई की और उन्होंने इस देश विरोधी अफसर को तत्काल भारत वापस बुलाने का आदेश दिया लेकिन इस अफसर ने वापसी के आदेशों की भी अवहेलना की और तब तक वापस भारत नही आया जब तक भारत सरकार ने उसे देश के लिए एक अस्वीकृत व अवांछित नागरिक (Persona non grata) घोषित नही कर दिया।
उसके बाद यह अफसर जब भारत लौटा तो जानते हैं यह सबसे पहले कहाँ पहुंचा? “10 जनपथ"......जी हां लुटियन दिल्ली का वही बंगला जहां भारत के एक पूर्व कांग्रेसी प्रधानमंत्री की विदेशी मूल की विधवा आज भी रहा करती है।
और फिर यह हुआ कि 1998 में एक राजदूत की आधिकारिक क्षमता में जिस व्यक्ति ने अपने ही देश भारत के विश्व की परमाणु शक्ति बनने का विरोध किया था उसे 2011 में उसी 10 जनपथ से चलने वाली कांग्रेस सरकार ने देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “पदम विभूषण" दे दिया।
क्या आप जानते हैं कि उस राजदूत लक्ष्मी चंद जैन का बेटा कौन है? और क्या करता है?
उस लक्ष्मी चंद जैन का बेटा है NDTV का पत्रकार “श्रीनिवासन जैन"। जी हां वही प्रणय रॉय और रवीश कुमार जैसे भाजपा, मोदी और देश विरोधीयों का अड्डा - NDTV
इतिहास में दर्ज यह घटना शायद आपको कांग्रेस, एनडीटीवी और भारत विरोधी गैंग की सांठगांठ समझने में मददगार हो..🙏🏻🚩
बाहरी कड़ियाँ
- यादें एक गांधीवादी अर्थशास्त्री की
- Biography स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, 1989 Ramon Magsaysay Award for Public Service