राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान

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राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (National Geophysical Research Institute / एन.जी.आर.आई.), वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् की एक संघटक प्रयोगशाला है। पृथ्वी विज्ञान के बहुविषयी क्षेत्रों में अनुसंधान करने के ध्येय से राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना 1961 में की गई। एनजीआरआई का अधिदेश संपोषणीय तरीके से भूसंसाधनों का उपयोग करने के बारे में विचारपूर्ण निर्णय लेने में सरकारी अभिकरणों, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के हितधारकों को सक्षम बनाने और प्राकृतिक खतरों के प्रति मुस्तैदी एवं उन्हें सामना करने की ताकत को सुधारने हेतु सार्वजनिक-हित विज्ञान के लिए अनुसंधान करना है। संस्थान इंजीनियरी भूभौतिकी, भूकम्प विज्ञान, भूगतिकी एवं भू-पर्यावरण के अध्ययन के अतिरिक्त हाइड्रोकार्बन, खनिज तथा भूजल स्रोतों के अन्वेषण में प्रमुख भूमिका निभाता है।

इस संस्थान की अनुसन्धान गतिविधियाँ मोटे तौर पर तीन विषयों के अन्तर्गत होती हैं:

  • (१) भूगतिकी, जो पृथ्वी प्रणाली और प्रक्रियाओं के मूलभूत पहलुओं के अन्वेषण और प्रतिरूपण करने के इर्द-गिर्द घूमती है;
  • (२) भूकम्प जोखिम, जो कि भूजल और मृदा के प्रदूषण स्तरों में बिगाड़, जलवायु परिस्थितियों में परिवर्तन और संबंधित पर्यावरणीय मुद्दों के साथ-साथ भूपर्पटी की सतह और अधस्तल पर विद्यमान उन आकृतियों को सम्मिलित करती हैं जो भूकंप और भूस्खलन जैसे विपत्तियों से जान एवं माल को संभवतः खतरे में डालती हैं।
  • (३) प्राकृतिक संसाधन विषय, उन प्राथमिक भू-संसाधनों की पहचान करने के लिए तकनीकों के कार्यान्वयन को समाविष्ट करता है, जो कि मानवीय सभ्यता के स्तम्भ हैं और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों एवं खनिजों के साथ-साथ भूजल, हाइड्रोकार्बन जैसे आर्थिक वृद्धि के स्रोत हैं।

संस्थान में सात प्रधान अनुसंधान एवं विकास समूह और इक्कीस कार्यकलाप हैं जिनमें भूकंप विज्ञान, मैग्नेटोटेलूरिकी, जीपीएस, पुरा-भूकंपविज्ञान, संरचनात्मक भूविज्ञान, नियंत्रित स्रोत भूकंपकी, गुरुत्व एवं चुंबकिकी, भूरसायनिकी, भूकालानुक्रम विज्ञान, पुराचुंबकत्व, ग्रहीय भूविज्ञान, भूचुंबकत्व, वायुवाहित भूभौतिकी, अगभीर अधस्तल भूभौतिकी और शैल यांत्रिकी, जलरसायनिकी, पुरा-पर्यावरणीय अध्ययन तथा प्रतिरूपण और पृथ्वी प्रक्रियाओं का अनुकार जैसे विविध प्रकार की भूभौतिकीय, भूरसायनिक, भूवैज्ञानिक तकनीकों में विशेषज्ञता शामिल है। 95 वैज्ञानिक और उतनी ही संख्या में तकनीकी स्टाफ, 150 परियोजना अनुसंधानकर्ता तथा 50 पीएचडी छात्र, अत्याधुनिक अभिकलनात्मक एवं प्रयोगशाला सुविधाओं और देशव्यापी प्रेक्षण स्थलों के नेटवर्क के साथ, सह अभिकरणों, सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी उद्योगों से साझेदारी के साथ एनजीआरआई, निकट भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिए और सामाजिक प्राथमिकताओं को प्रभावित करने हेतु विज्ञान के लाभों को सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सन्दर्भ

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