रामप्रसाद निरंजनी
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साँचा:asbox रामप्रसाद निरंजनी खड़ीबोली हिंदी गद्य के प्रारंभिक लेखक माने जातें हैं। आप पटियाला दरबार में कथावाचक थे। पटियाला रियासत की महारानी देसो (देस कौर) को सुनाने के लिए ही आपने एकमात्र रचना 'भाषा योगवाशिष्ठ' (सन् १७४१) का परिमार्जित खड़ी बोली गद्य में प्रणयन किया था। बीच बीच में संस्कृत के शुद्ध तत्सम शब्द और हिंदी के कतिपय पुराने प्रयोग भी उपलब्ध होते हैं।
इनका यह ग्रन्थ लल्लूलाल द्वारा रचे प्रेमसागर से बहुत पहले रचा गया था। अतः यह कहना कि गलत है कि आधुनिक मानक हिन्दी का विकास फोर्ट विलियम कालेज में लल्लूलाल ने जॉर्ज ग्रियर्सन की प्रेरणा से प्रेमसागर रचकर किया था।
सन्दर्भ ग्रन्थ
- नागरीप्रचारिणी पत्रिका, वनारस : वर्ष ४४, अंक २, श्रावण, संवत् १९९६;
- पं॰ रामचंद्र शुक्ल : हिंदी साहित्य का इतिहास (सं. १९९९)