राजाराज चोल १

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प्रथम राजराज चोल ; मुम्मदी चोलन
ராஜ ராஜ சோழன்
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१०१४ ई में राजराज महान के समय चोल साम्राज्य की स्थिति
शासन ९८५ ई० - १०१४ ई०
उपाधि राजकेसरी
राजधानी तंजावूर
रानी लोकमहादेवी
चोलमहादेवी
त्रैलोक्यमहादेवी
पञ्चवनमहादेवी
अभिमानवल्ली
इलादमदेवियर
पृथिवीमहादेवी
संतान राजेन्द्र चोल प्रथम
कुन्दवै
मदेवदिगल
पूर्वाधिकारी उत्तम चोल
उत्तराधिकारी राजेन्द्र चोल प्रथम
पिता सुन्दर चोल
जन्म अज्ञात
मृत्यु 1014 ई.

प्रथम राजाराज चोल दक्षिण भारत के कूर्मवंशी चोल राजवंश के महान सम्राट थे जिन्होंने ९८५ से १०१४ तक राज किया। उनके शासन में चोलों ने दक्षिण में श्रीलंका तथा उत्तर में कलिंग तक साम्राज्य फैलाया। राजराज चोल ने कई नौसैन्य अभियान भी चलाये, जिसके फलस्वरूप मालाबार तट, मालदीव तथा श्रीलंका को आधिपत्य में लिया गया।

राजराज चोल ने हिंदुओं के विशालतम मंदिरों में से एक, तंजौर के बृहदीश्वर मन्दिर का निर्माण कराया जो वर्तमान समय में यूनेस्को की विश्व धरोहरों में सम्मिलित है। उन्होंने सन 1000 में भू-सर्वेक्षण की महान परियोजना शुरू कराई जिससे देश को वलनाडु इकाइयों में पुनर्संगठित करने में मदद मिली।

कूर्म क्षत्रिय राजराज चोल ने "शशिपादशेखर" की उपाधि धारण की थी। राजराज प्रथम ने मालदीव पर भी विजय प्राप्त की थी।

चोलों का उदय नौवीं शदी में हुआ। इनका राज्य तुंगभद्रा तक फैला हुआ था। चोल राजाओ ने शक्तिशली नौसैना का विकास किया। इस वंश की स्थापना विजयालय ने की। चोल वंश का दूसरा महान शासक कोतूतुङ त्रितीय था।

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