यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा | |
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पद बहाल १ जुलाई २००२ – २२ मई २००४ | |
प्रधानमंत्री | अटल बिहारी वाजपेयी |
पूर्वा धिकारी | जसवंत सिंह |
उत्तरा धिकारी | नटवर सिंह |
जन्म | साँचा:br separated entries |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) (भूतपूर्व)
तृणमूल कांग्रेस ( मौजूदा) |
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यशवंत सिन्हा (जन्म: 6 नवम्बर 1937, पटना)[१] एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता थे , जो कि मौजूदा समय में तृणमूल कांग्रेस के नेता है ,जो इस समय बंगाल की सत्ताधारी पार्टी है। वे भारत के पूर्व वित्त मंत्री रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री भी रह चुके हैं।[२][३]
प्रारंभिक जीवन
बिहार के पटना में जन्मे और शिक्षित हुए सिन्हा ने 1958 में राजनीति शास्त्र में अपनी मास्टर्स (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। [१] इसके उपरांत उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी। उन्होंने यह कहते हुए भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया कि वे 2009 के आम चुनावों में हार के पश्चात् पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई से असंतुष्ट थे।साँचा:citation needed
नौकरशाही करियर
यशवंत सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर असीन रहते हुए सेवा में 24 से अधिक वर्ष बिताए. 4 वर्षों तक उन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में सेवा की। बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में 2 वर्षों तक अवर सचिव तथा उप सचिव रहने के बाद उन्होंने भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में कार्य किया।
1971 से 1973 के बीच उन्होंने बॉन, जर्मनी के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (वाणिज्यिक) के रूप में कार्य किया था। इसके पश्चात उन्होंने 1973 से 1974 के बीच फ्रैंकफर्ट में भारत के कौंसुल जनरल के रूप में काम किया। इस क्षेत्र में लगभग सात साल काम करने के बाद उन्होंने विदेशी व्यापार और यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ भारत के संबंधों के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त किया। तत्पश्चात उन्होंने बिहार सरकार के औद्योगिक आधारभूत सुविधाओं के विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर) तथा भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में काम किया जहां वे विदेशी औद्योगिक सहयोग, प्रौद्योगिकी के आयात, बौद्धिक संपदा अधिकारों और औद्योगिक स्वीकृति के मामलों के लिए जिम्मेदार थे। 1980 से 1984 के बीच भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सड़क परिवहन, बंदरगाह और जहाजरानी (शिपिंग) उनके प्रमुख दायित्वों में शामिल थे।
राजनीतिक करियर
जनता दल
यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए। 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा (भारतीय सांसद का ऊपरी सदन) का सदस्य चुना गया।
1989 में जनता दल के गठन होने के बाद उनको पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। उन्होंने चन्द्र शेखर के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।
भाजपा
जून 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। मार्च 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उस दिन से लेकर 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे। उन्होंने भारतीय संसद के निचले सदन लोक सभा में बिहार (अब झारखंड) के हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 2004 के चुनाव में हजारीबाग सीट से यशवंत सिन्हा की हार को एक विस्मयकारी घटना माना जाता है। उन्होंने 2005 में फिर से संसद में प्रवेश किया। 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। [४]
13 मार्च 2021 को श्री सिन्हा ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस में सामिल होकर पुनः सक्रिय राजनीति में वापसी किया। टीएमसी में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। टीएमसी में शामिल होने का वजह बताते हुए श्री सिन्हा कहते है ''देश दोराहे पर खड़ा है। हम जिन मूल्यों पर भरोसा करते हैं, वे खतरे में हैं। न्यायपालिका समेत सभी संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है। यह पूरे देश के लिए एक अहम लड़ाई है। यह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है।''
वित्त मंत्री
यशवंत सिन्हा 1 जुलाई 2002 तक वित्त मंत्री बने रहे, तत्पश्चात विदेश मंत्री जसवंत सिंह के साथ उनके पद की अदला-बदली कर दी गयी। अपने कार्यकाल के दौरान सिन्हा को अपनी सरकार की कुछ प्रमुख नीतिगत पहलों को वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा था जिसके लिए उनकी काफी आलोचना भी की गयी[१]. फिर भी, सिन्हा को व्यापक रूप से कई प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है जिनके फलस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था दृढ़तापूर्वक विकास पथ पर अग्रसर हुई है। इनमें शामिल हैं वास्तविक ब्याज दरों में कमी, ऋण भुगतान पर कर में छूट, दूरसंचार क्षेत्र को स्वतंत्र करना, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के लिए धन मुहैया करवाने में मदद और पेट्रोलियम उद्योग को नियंत्रण मुक्त करना। सिन्हा ऐसे प्रथम वित्त मंत्री के रूप में भी जाने जाते हैं जिसने भारतीय बजट को स्थानीय समयानुसार शाम 5 बजे प्रस्तुत करने की 53 वर्ष पुरानी परंपरा को तोड़ा; यह प्रथा ब्रिटिश राज के ज़माने से चली आ रही थी जिसमे भारतीय बजट को भारतीय संसद की सुविधा की बजाय ब्रिटिश संसद (1130 एएम, जीएमटी) की सुविधानुसार पेश करने की कोशिश की जाती थी।
सिन्हा ने "कन्फेशंस ऑफ ए स्वदेशी रिफॉर्मर (एक स्वदेशी सुधारक के विचार)" नामक पुस्तक में वित्त मंत्री के रूप में अपने द्वारा बिताए गए वर्षों का विस्तृत ब्यौरा दिया है।[५]
व्यक्तिगत जीवन
यशवंत सिन्हा पढ़ने, बागवानी और लोगों से मिलने तथा अन्य अनेक क्षेत्रों में दिलचस्पी रखते हैं। वे व्यापक रूप से देश-दुनिया में घूमे हुए हैं कई राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधिमंडलों की अगुवाई कर चुके हैं। उन्होंने देश की ओर से कई वार्ताओं एवं आदान-प्रदान में एक अग्रणी भूमिका निभाई थी।
सन्दर्भ
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite webसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- ↑ साँचा:cite web
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