यतो धर्म ततो जय
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यतो धर्मः ततो जयः (या, यतो धर्मस्ततो जयः) एक संस्कृत श्लोक है। यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय का ध्येय वाक्य है। यह महाभारत में कुल ग्यारह बार आता है और इसका मतलब है "जहाँ धर्म है वहाँ जय (जीत) है।"[१][२]
अर्थ
इस ध्येयवाक्य का अर्थ महाभारत के उस श्लोक (साँचा:lang-sa) से आता है जब कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन युधिष्ठिर के अकर्मण्यता को दूर कर रहें हैं।[३] वो कहते हैं, "विजय सदा धर्म के पक्ष में रहती है, एवं जहाँ श्रीकृष्ण हैं वहाँ विजय है". [४] गांधारी भी अपने पुत्रों के मृत्यु के बाद समान उद्गार कहती है।[५]
यह भी देखें
- धर्म
- कर्म
- सत्यमेव जयते (सत्य की ही जय होती है।)
संदर्भ
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- ↑ Joseph, Kurian (2017). "यतो धर्मस्ततो जयः". Nyayapravah. XVI (63): 7.
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