मोहन बागान ए. सी.

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मोहन बागान एथलेटिक क्लब, कोलकाता में स्थित एक भारतीय फुटबॉल क्लब है। यह क्लब 15 अगस्त 1889 को स्थापित किया गया था, इसे भारत का राष्ट्रीय क्लब कहा जाता है और इसे एशिया के सबसे पुराने फुटबॉल क्लब होने का गौरव भी प्राप्त है।[१] यह फुटबॉल टीम अपनी स्थापना के बाद से ही सफल रहा है और इसने भारत के सबसे सफल क्लबों में से एक के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखा है। इसने राष्ट्रीय महत्व की कई ट्राफियां जीती है जैसे- फेडरेशन कप, डूरंड कप, नेशनल फुटबॉल लीग और कोलकाता प्रीमियर डिवीजन। मोहन बागान किसी यूरोपीय टीम को हराने वाली पहली भारतीय टीम थी, जब उन्होने १९११ में ईस्ट यॉर्कशायर रेजीमेंट को हराया था।[२]

मोहन बागान की पड़ोसी ईस्ट बंगाल एफ.सी. के साथ एक लंबे समय से प्रतिद्वंद्विता रही है, जिनके साथ यह कोलकाता डर्बी प्रतियोगिता में भाग लेते हैं।

इतिहास

गठन

19 वीं सदी के अंत के दौरान, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत हुई थी और भारतीय राष्ट्रवादी आम लोगों को प्रेरित कर रहे थे, विशेष रूप से कोलकाता नगर में, उस समय के दौरान भूपेन्द्रनाथ बसु ने मित्रा परिवार और सेन परिवार की मदद से 15 अगस्त 1889 को मोहन बागान स्पोर्टिंग क्लब के नाम से वर्तमान मोहन बागान की स्थापना की थी।[३] क्लब ने ईडन हिंदू हॉस्टल के खिलाफ, मोहन बागान विला में अपना पहला मैच खेला था।[३] क्लब स्थापना की सालगिरह से पहले, प्रोफेसर एफ जे र्होव ने पूछताछ की क्या क्लब ने किसी राइफल शूटिंग या मछली पकड़ने या अन्य संबंधित गतिविधियों का आयोजन किया है और जब इस सवाल का जवाब नहीं था तो सुझाव दिया गाया कि क्लब का नाम "स्पोर्टिंग" से "एथलेटिक" किया जाए। अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की और क्लब को आधिकारिक तौर पर मोहन बागान एथलेटिक क्लब के रूप में नाम दिया गया।[३] मोहन बागान ने 1893 में पहली बार किसी टूर्नामेंट में भाग लिया था, जब वो कूचबिहार कप में खेले थे।[३]

सफलता

बाद में, मोहन बागान ने कूचबिहार कप और ट्रेड्स कप की तरह विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया लेकिन टूर्नामेंट जीतने में असफल रहे।[४] मोहन बागान ने 1904 में कूचबिहार कप जीत कर, अपनी पहली ट्रॉफी जीती थी।[५] इस जीत के बाद से क्लब ने नियमित रूप से अन्य प्रतियोगिताओं में जीतना शुरू किया।[५]

मोहन बागान के इतिहास में गौरवपूर्ण क्षण 1911 में आया, जब वो ईस्ट यॉर्कशायर रेजीमेंट को 2–1 से हरा कर आईएफए शील्ड जीतने वाले और किसी यूरोपीय टीम को हराने वाले पहले भारतीय फुटबॉल क्लब बने।[६][७] 1939 में मोहन बागान 25 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद कलकत्ता फुटबॉल लीग को जीतने वाले पहले भारतीय क्लब बने।[८]

स्वतंत्रता के बाद

1947 में मोहन बागान ने फिर आइएफए शील्ड जीती।[९] इस जीत के माध्यम से मोहन बागान स्वतंत्रता के बाद आईएफए शील्ड जीतने वाले पहले भारतीय क्लब बने।[९] 1977 में मोहन बागान ने मशहूर उत्तर अमेरिकी फुटबॉल लीग के क्लब न्यूयॉर्क कॉस्मॉस के खिलाफ एक दोस्ताना मैच खेला। न्यूयॉर्क कॉस्मॉस में दिग्गज ब्राजीली खिलाड़ी पेले भी थे।[१०] मैच 80,000 प्रशंसकों के सामने इडेन गार्डेंस में खेला गया था।[१०] मैच 2-2 की समाप्ती पर खत्म हुआ और बागान के खिलाड़ियों को कॉस्मॉस के सितारे खिलाड़ियों से बहुत प्रशंसा मिली।[१०]

2008 में बागान ने जर्मन दिग्गज बेयर्न म्यूनिख के खिलाफ मैच खेला, यह जर्मन दिग्गज खिलाड़ी ओलिवर क्हान का विदाई मैच था।[११]

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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