मॉर्फिंग

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दोनों घटक चित्र
 
मॉर्फ़िंग के बाद

मॉर्फिग चित्रों को संपादित करने की एक तकनीक होती है। इसमें एक ही चित्र को कई तरीके से या दो और दो से अधिक चित्रों को एक साथ मिलाकर उसे बेहतर या अलग रूप दिया जाता है। यह काम इतनी सूक्ष्मता से किया जाता है कि बाद में देखने वाले को ये भान तक नहीं होता कि दो चित्रों को मिलाकर बनाया गया है। मॉर्फिग का प्रयोग चलचित्रों में पहले से होता आ रहा था, लेकिन १९९० के दशक में कंप्यूटर आने के बाद इसका अधिक प्रयोग दिखने लगा है। आज यह तकनीक, चलचित्रों, विज्ञापन और मीडिया का महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है।[१] आरंभ में मॉर्फिग दो चित्रों को क्रॉस-फेड के रूप में होती थी, जिसमें कैमरा एक चेहरे या वस्तु पर पड़ने के बाद धीरे धीरे उसे धुंधला करता जाता था और बाद में किसी दूसरी वस्तु या चेहरे पर आकर रुक जाता था। बाद में चेहरे या वस्तु को पूरी तरह धुंधला किया जाने लगा। जैसे जैसे चलचित्र-संपादन तकनीकें डिजिटल होती गई, मॉर्फिग पहले से बेहतर होने लगी। अब तो मॉर्फिंग कुछ उन्नत मोबाइल फोन उपकरणों में भी आने लगी है।[२]

प्रयोग

चलचित्र से जुड़े लोगों के अलावा आम लोग भी कंप्यूटर पर इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं। इसका उदाहरण है किसी खोये हुए व्यक्ति के पुराने चित्र के आधार पर मॉर्फिग के माध्यम से उसकी वर्तमान स्थिति का चित्र बनाया जा सकता है। इसके अलावा मॉर्फिग द्वारा ये भी देखा या अनुमान लगाया जा सकता है, कि किसी विशेष बाल-संवार, विग, चश्मा, या किसी अन्य कृत्रिम वस्तु के प्रयोग, किसी चोट लगने पर चेहरा बिगड़ने आदि की स्थित में वह व्यक्ति कैसा दिखेगा।

इस तकनीक का प्रयोग चलचित्र उद्योग के साथ ही व्यापारिक विज्ञापनों में भी किया जाता है। मनुष्य के शरीर का विकास और अंगों की उत्पत्ति व उनके विकास आदि का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों को भी इसकी आवश्यकता पड़ती है।

चित्र:Bush-Arnie-morph.jpg
तीन फ्रेमों द्वारा एक मॉर्फ का निर्माण, जॉर्ज बुश से आर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर बनाने में किया गया है। बीच वाला फ्रेम दोनों चरमों के अंतर्मध्यस्थ स्थिति का है।

इस तकनीक का उपयोग कंप्यूटर के माध्यम से ही होता है।[१] कंप्यूटर पर मॉर्फिंग सॉफ्टवेयर सहेजे जाते हैं। आधुनिक सॉफ्टवेयर काफी अधिक मेमोरी का प्रयोग कर सकते हैं और यह केवल उच्च-स्मृति क्षमता वाले कंप्यूटरों में ही डाउनलोड किए जा सकते हैं। घरों में साधारण प्रयोग करने वालों के लिए कई छोटे और निःशुल्क प्रोग्राम होते हैं। छोटे और आरंभिक प्रोग्राम से लेकर जटिल प्रोग्राम तक मॉर्फिग की गुणवत्ता बढ़ती जाती है। व्यंग्यकारों और अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए भी यह तकनीक महत्वपूर्ण है और वे अपने काम में इसका प्रयोग करते हैं।

चित्र दीर्घा

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

साँचा:reflist

  1. मॉर्फ़िंग। हिन्दुस्तान लाइव। ८ जुलाई २०१०
  2. मोटोरोला का रोकर ई8 मुम्बई मेंसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]। जोश-१८। १९ जून २००८। लायक कुरैशी