मैती आन्दोलन
मैती एक भावनात्मक पर्यावरण आंदोलन है। उत्तराखंड में जीव विज्ञान के प्राध्यापक कल्याण सिंह रावत की सोच से इस मुहिम की शुरुआत हुई तथा आज वहां के चमोली जनपद में एक अभियान का रूप ले चुकी है। 'मैती' यानि शादी के समय दूल्हा-दुल्हन द्वारा फलदार पौधों का रोपण। मैती शब्द का अर्थ होता है मायका, यानि जहां लड़की जन्म से लेकर शादी होने तक अपने मां-बाप के साथ रहती है। जब उसकी शादी होती है, तो वह ससुराल अपने मायके में गुजारी यादों के साथ-साथ विदाई के समय रोपित पौधे की मधुर स्मृति भी ले जाती है। भावनात्मक आंदोलन के साथ शुरू हुआ पर्यावरण संरक्षण का यह अभियान विश्व में व्याप्त कई गंभीर समस्याएं जो पर्यावरण से जुड़ी हैं को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
आन्दोलन की प्रेरणा
मैती आन्दोलन के जनक श्री कल्याण सिंह रावत जी कहते है की, इस आन्दोलन की प्रेरणा उन्हें चिपको आंदोलन से मिली। जब सरकारी वृक्षारोपण अभियान विफल हो रहे थे। एक ही जगह पर पांच-पांच बार पेड़ लगाए जाते पर उसका नतीजा शून्य होता। इतनी बार पेड़ लगाने के बावजूद पेड़ दिखाई नहीं पड़ रहे थे। इन हालात को देखते हुए मन में यह बात आई कि जब तक हम लोगों को भावनात्मक रूप से सक्रिय नहीं करेंगे, तब तक वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रम सफल नहीं हो सकते। जब लोग भावनात्मक रूप से वृक्षारोपण से जुडेंगे तो पेड़ लगाने के बाद उसके चारों ओर दीवार या बाड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लोग खुद ही उसकी सुरक्षा करेंगे। इस तरह मैती की शुरुआत हुई।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- मैती आन्दोलन (स्टडी फ्राई)
- मैती आन्दोलन (मेरा पहाड़)
- पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण साबित हो रहा मैती आंदोलनसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] (दैनिक जागरण)
- नेग में मिली हरियाली (रविवार)