मिलम, भारत

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मिलम भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद की जोहार घाटी में भारत-चीन सीमा के समीप स्थित अंतिम ग्राम है। यह ग्राम ३० २६' के अक्षांशों तथा ८० ९' देशान्तरों पर समुद्र तल से ११४०० फीट ऊंचाई पर ऊंटा धुरा दर्रे से १३ मील की दूरी पर स्थित है।[१] मिलम हिमनद से निकलने वाली गोरी नदी इसी ग्राम से होकर जौलजीबी की ओर बहती है, जहाँ इसका संगम काली गंगा से हो जाता है।

२०११ की भारत की जनगणना के अनुसार इस ग्राम की कुल जनसंख्या १३५, तथा साक्षरता दर ९७.०१% है।[२] विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहाँ लोग केवल ग्रीष्म ऋतु के समय ही निवास करते हैं। वर्ष १९०१ की जनगणना में इस ग्राम की जनसंख्या १७३३ थी,[१] तथा तब यह अल्मोड़ा जनपद के सबसे बड़े ग्रामों में एक हुआ करता था। कुमाऊँ-तिब्बत व्यापार मार्ग पर स्थित होने के कारण यहां प्रमुखतः इस क्षेत्र में व्यापार करने वाले भोटिया व्यापारी ही रहा करते थे। मिलम से ऊंटाधुरा होते हुए तिब्बत के ज्ञानमा तथा गरतोक नगरों तक पहुंचा जा सकता था।[३] १९६२ भारत-चीन युद्ध के बाद यह व्यापर समाप्त हो गया, और यहाँ के अधिकतर निवासी निचले क्षेत्रों को प्रवास कर गए।

सड़क मार्ग न होने के कारण यहाँ केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है। मिलम ग्राम की यात्रा मुनस्यारी से शुरू होती है, जहाँ अल्मोड़ा या पिथौरागढ़ से पहुंचा जा सकता है। लिलम, बुगडियार, रिलकोट, मारतोली, बुर्फू और बिल्जू इस यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले अन्य ग्राम हैं। २००८ में मुनस्यारी से मिलम तक सड़क स्वीकृत हुई थी, जो वर्तमान में निर्माणाधीन है।[४][५]

सन्दर्भ