डिवोनी कल्प

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मत्स्य काल या 'डिवोनी कल्प' (Devonian) भूवैज्ञानिक काल है जो पुराजीवी महाकल्प (Paleozoic Era) के सिल्युरी युग के अन्त से आरम्भ होकर (लगभग 416.0 ± 2.8 Mya (million years ago)) कार्बनी कल्प के आरम्भ तक (लगभग 359.2 ± 2.5 Mya) फैला हुआ है।

इस कल्प का नाम इंग्लैण्ड के डेवन प्रदेश के नाम पर पड़ा है जहाँ सबसे पहले इस काल के शैलों का अध्ययन किया गया था। मत्स्य वर्ग का विकास इस युग में विशेष रूप से हुआ और इसी के आधार पर इस युग को 'मत्स्य युग' भी कहते हैं।

परिचय

इंग्लैंड के डेवन (Devon) प्रदेश में पाए गए जीवाश्मों के आधार पर विलियम लॉन्रडेल ने सन्‌ 1837 में यह बताया कि वे निक्षेप जिनमें ये जीवाश्म पाए जाते हैं और जो पहले सिल्यूरियन (Silurian) युग के अंतर्गत माने जाते थे, सिल्यूरियन युग के निक्षेपों से कुछ नवीन हैं। इसी आधार पर 1840 ई0 में मरचिरान और सेजविक (Murchisan and Sedgwick) ने डिवोनीप्रणाली (Devonian System) का नामकरण किया। धीरे-धीरे संसार के अन्य स्थानों में भी इस प्रणाली के निक्षेप मिले और अब संसार के स्तर-शैल-शास्त्र में डिवोनी कल्प (Devonian period) का स्थान पैलियोज़ोइक (Palaeozoic era) कल्प में सिल्यूरियन के ऊपर और कार्बोनिफेरस के नीचे रखा गया है।

इस प्रणाली में दो प्रकार के निक्षेप मिलते हैं। एक समुद्री निक्षेप, जो दक्षिणी पश्चिमी आयरलैंड और इंग्लैंड के कॉर्नवाल एवं डेवन प्रदेशों से लेकर बेलजियम, मध्य जर्मनी, दक्षिण फिनलैंड एवं रूस में स्थित हैं; दूसरे महाद्वीपीय निक्षेप, जो उत्तर में आयरलैंड, वेल्स, मनमथ, स्कॉटलैंड, स्कैडिनेविया, स्पिटस्वर्ग और उत्तरी फिनलैंड में मिलते हैं और 'ओल्ड रेड सैंडस्टोन' (Old Red Sand Stone) के नाम से विख्यात हैं। उत्तरी अमरीका में भी इस प्रणाली के अंतर्गत इसी प्रकार दो निक्षेप उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं। आस्ट्रेलिया महाद्वीप में डिवोनी कल्प तीन भागों में विभाजित है : पहला भाग आग्नेय उद्गार का युग था, जिसमें अनेक आग्नेय शिलाएँ बनीं। दूसरी अवधि में प्रवालयुक्त चूना पत्थर मिलता है, जो समुद्री निक्षेप है। तीसरी अवधि में मिश्रित निक्षेप बने, जिनमें कुछ आग्नेय तथा कुछ समुद्री भी थे।

डिवोनी युग और भारत

भारत में डिवोनी कल्प का प्रादुर्भाव सिल्यूरियन चूना पत्थर समूह (Silurian Lime Stone Group) के पश्चात्‌ माना जाता है। भारतीय डिवोनी के अंतर्गत स्पिटी घाटी में स्थित 4,000 फुट मोटे सफेद क्वार्ट्ज़ाइट (quartzite) आते हैं, जो क्वार्ट्ज़ाइट के नाम से विख्यात हैं। इस शैलसमूह का भारतीय स्तर शैलविज्ञान में एक विशेष स्थान है। इसका कारण उनमें किसी प्रकार के जीवाश्म का नहीं पाया जाना है। यह बहुत महत्वपूर्ण बात है कि उस समय से बहुत पूर्व जीव विकास पूर्णतया स्थापित हो चुका था, फिर भी इस मोटे तह में कोई जीवावशेष नहीं है। जीवाश्म के न होने से इन क्वार्ट्ज़ाइटों का कालप्रकरण के अनुसार ठीक ठीक वर्गीकरण नहीं हो सकता। परंतु क्वार्ट्ज़ाइट के नीचे के शैलसमूहों में पेंटैमरस ऑब्लेंगस (Pentamerus oblengus) नाम के जीव के होने से इतना सत्य है कि ये शैलस्तर सिल्यूरियन युग के बाद के हैं। इसी प्रकार इनके ऊपर पाए जानेवाले शैलों में कार्बोनिफेरस युग के जीव मिलते हैं। अत: इससे इन क्वार्ट्ज़ाइटों का डिवोनी होना प्रमाणित होता है।

स्पिटी घाटी के अतिरिक्त डिवोनी कल्प के निक्षेप कश्मीर, कुमायूँ, चित्राल आदि स्थानों में भी मिलते हैं। भारत में हिमालय प्रदेश के अतिरिक्त अन्य किसी स्थान पर इस प्रणाली के निक्षेप नहीं हैं।

डिवोनी कल्प में पृथ्वी के धरातल की अवस्था

डिवोनी कल्प को 'पर्वतों के निर्माण का युग' भी कहते हैं, क्योंकि इस समय संसार भर में अनेक पर्वतों का निर्माण हुआ। इनमें पश्चिमी यूरोप में कैलिडोनियन पर्वतमाला और उत्तरी अमरीका के एकैडियन पर्वत मुख्य हैं। स्कॉटलैंड, नार्वे, स्वीडेन, बेलजियम आदि सभी स्थानों में कैलिडोनियन संचलन के फलस्वरूप पर्वतों का निर्माण हुआ। डिवोनी कल्प में समुद्र का विस्तार मध्य, उत्तरी अमरीका, मध्य ऐटलैंटिक, यूरोप, हिमालय प्रदेश, दक्षिणी चीन, जापान, दखिणी अमरीका के उत्तर और दक्षिण में, ऑस्ट्रेलिया के उत्तर पश्चिम और दक्षिण पूर्वी प्रदेश और दक्षिणी सागर में था। पृथ्वी का शेष भाग सूखा था।

डिवोनी कल्प के जीवजंतु और वनस्पतियाँ

डिवोनी कल्प जीवविकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ग्रैप्टोलाइट (Graptolites), जो इस युग के पूर्व बहुसंख्यक थे, अब सदा के लिए लुप्त हो गए। मत्स्य वर्ग का विकास इस युग में विशेष रूप से हुआ और इसी के आधार पर इस युग को 'मत्स्य युग' भी कहते हैं। फेफड़ेवाली मछलियाँ भी इस समय पाई जाती थीं। प्रथम चौपायों के पदचिह्नों से यह ज्ञात होता है कि उस समय में इनका प्रादुर्भाव हो गया था। इसके अतिरिक्त ऐमोनायड (ammonoid) वर्ग का प्रथम जीव भी इसी समय हुआ। डिवोनी कल्प में नए प्रकार के पौधे भी हुए, जिनमें रोएँदार पौधों का स्थान मुख्य है। रीढ़रहित जीवों में ब्रैकियोपॉड्स (Brachiopods), लैमिलीब्रैंक (Lamellibranchs) और प्रवाल मुख्य थे। ट्राइलोबाइट (Trilobite) कुल के अंतिम जीव अवशेष भी इसी प्रणाली के शैलसमूहों में स्थित हैं।

डिवोनी कल्प के निक्षेपों में मिलने वाले खनिजों में पेंसिल्वेनिया और साइबीरिया का तेल, न्यूयार्क का स्फटिक बालू, यूराल प्रदेश का ताँबा और बॉक्साइट तथा साइबीरिया का नमक मुख्य हैं।

इन्हें भी देखें

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