मत्तगयन्द सवैया
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मत्तगयन्द सवैया , सम वर्ण वृत्त या वार्णिक छन्द है।
परिभाषा
इसके प्रत्येक चरण में ७ भगण(२११) और दो गुरु के क्रम से २३ वर्ण होते हैं।[१]
उदाहरण
- सीस जटा,उर -बाहु बिसाल बिलोचन लाल तिरीछी सी भौहें।
- तून सरासन -बान धरें तुलसी बन मारग में सुठि सोहैं।
- सादर बारहिं बार सुभाय चितै तुम्ह त्यों हमरो मनु मोहै।
- पूँछति ग्राम बधू सिय सों,कहौ साँवरे से सखि रावरे को
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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