मंगलकाव्य
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मङ्गलकाव्य बांग्ला साहित्य के मध्ययुग में रचित एक विशेष प्रकार का धर्मविषयक आख्यान काव्य है।
सार संक्षेप
मङ्गलकाव्य साधारणतः किसी हिन्दू देवता या देवी पर केन्द्रित होता है। ये देवी या देवता मूलतः बंगाल के स्थानीय देवी-देवता थे (जैसे, मनसा)। इस कारण इनका वेद पुराण आदि ग्रन्थों में उल्लेख नहीं मिलता।
रचनापद्धति
मङ्गलकाव्य ४ भागों में रचे गए हैं - वन्दना, कारण, देवखण्ड तथा नरखण्ड।
मङ्गलकाब्य रचयिता कुछ विख्यात कवि
- कानाहरि दत्त
- नारायणदेव
- बिजयगुप्त
- विप्रदास पिपलाइ
- माधव आचार्य
- मुकुन्दराम चक्रवर्ती
- घनराम चक्रवर्ती
- श्रीश्याम पन्डित
- भरतचन्द्र राय गुनाकर
- केतकादास क्षेमानन्द
- द्विज माधव
- आदि रूपराम
- मानिक राम
- मय়ूर भट्ट
- खेलाराम
- रूपराम
- सीताराम दास
- श्यामपन्डित
- द्विज बंशी दास
- द्विज प्रभाराम