भूकम्पमापी
भूकंपमापी (Seismometer) भूगति के एक घटक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विधि से अधिक यथार्थतापूर्वक अभिलिखित करने वाला उपकरण है। सुपरिचित प्राकृतिक भूकंपों, भूमिगत परमाणु परीक्षण एवं पेट्रोलियम अन्वेषण आदि में मनुष्यकृत विस्फोटों तथा तेज हवा, समुद्री तरंग, तेज मानसून एवं समुद्री क्षेत्र में तूफान या अवनमन आदि से उत्पन्न सूक्ष्मकंपों (microseism) के कारण भूगति उत्पन्न हो सकती है।
उचित रीति से अनुस्थापित (oriented), क्षैतिज भूकंपमापी भूगति के पूर्व पश्चिम या उत्तर दक्षिण के घटक को अभिलिखित करता है और ऊर्ध्वाधर भूकंपमापी ऊर्ध्वाधर गति, अर्थात भूगति के ऊर्ध्वाधर घटक को अभिलिखित करता है।
इतिहास
19वीं शताब्दी के मध्यकाल के लगभग यांत्रिक भूकंपविज्ञान की नींव पड़ी, भूकंपमापियों का निर्माण हुआ और भूकंप अभिलेखन के लिये वेधशालाओं के जाल बिछ गए। इन दिनों रॉबर्ट मैलेट (Robert Mallet) द्वारा किया गया कार्य महत्वपूर्ण था। 1892 ई0 में जापान में जॉन मिल्न (Johan Milne) ने नॉट (Knott), यूईग (Ewing) और ग्रे (Gray) के सहयोग से सतह भूकंपमापी (compact seimometer) विकसित किया और तभी से विश्व के अनेक भागों से यथार्थ यांत्रिक आँकड़े एकत्र करने में भूकंपमापियों का उपयोग होने लगा। भारत की कुछ प्रधान वेंधशालाओं (बंबई, कलकत्ता) में मिल्न भूकंपमापियों का उपयोग 1898 ई0 में प्रारंभ हुआ। 1905 ई में शिमला, बंबई और कलकत्ते की वेधशालाओं में ओमोरी यूईग भूकंपमापी आ गए थे। इसके बाद अन्यान्य भूकंपमापियों का उपयोग अनेक वेधशालाओं में प्रारंभ हुआ।
यांत्रिक भूकंपमापी
यांत्रिक भूकंपमापी (जैसे मिल्न-शॉ भूकंपलेखी) में एक क्षैतिज या ऊर्ध्वाधर लोलक होता है, जो उपलब्ध आधार शैल से सन्निहित पाए पर चढ़ा रहता है, या पृथ्वी में काफी गहराई में स्थित रहता है। काँपती पृथ्वी के कारण लोलक में उत्पन्न कंपनों को उपयुक्त युक्ति से प्रवर्धित और अभिलिखित किया जाता है। अवांछित दोलनों (oscillations) को निस्यंदित करने के लिये लोलक प्राय: क्रांतिक रूप से अवमंदित (criticaly damped) होता है।
जैसा ऊपर स्पष्ट किया जा चुका है, कुछ भूकंपलेखियों को भूकंपमापी के रूप में और कुछ को त्वरणमापी के रूप में अभिकल्पित (design) किया जाता है। यांत्रिक भूकंपलेखियों में मिल्न शॉ और वुड ऐंडरसन उपकरण प्रधान हैं और भारत एवं विदेश की अनेक वेधशालाओं में काम में आते हैं।
मिल्न शॉ क्षैतिज घटक भूकंपमापी का उपकरणी विवरण
लोलक का आर्वतकाल (time period) 10 से 12 सेकंड तक तथा अवमंदन अनुपात 20 :1 होता है। आवर्धन प्रकाशिक सहित यांत्रिक है और स्थैतिक (static) आर्वधन 150 से 250 तक परिवर्तनीय है। लगभग 0.5 किलोग्राम भार की संहति 50 सेंमी0 लंबे बल्ले (boon) से जोड़ दी जाती है। अवमंदन युक्ति के रूप में ताँबे की एक पट्टिका लोलक से जोड़ दी जाती है, जो चार नालचुंबकों के ध्रुवों के बीच गतिशील रहता है। चुंबकों की स्थिति का समंजन कर अवमंदन को समंजित किया जा सकता है।
वुड-ऐंडरसन (क्षैतिज) भूकंपमापी का उपकरण विवरण
लगभग 0.7 ग्राम भार का ताँबे एक छोटा बेलन एक तने हुए उर्ध्वाधर तार पर उत्केंद्रत: चढ़ा होता है। तार की मारोड़ी (torsiona) प्रतिक्रिया से नियंत्रण होता है। आर्वतकाल (T0) लगभग एक सेकंड होता है। शक्तिशाली चुबंक के ध्रुवों के बीच लटकती संहति के कारण क्रांतिक (critical) अवमंदन होता है। उपकरण का स्थैतिक आर्वधन प्राय: 1,500 से 2,000 तक है।
विद्युच्चुबंकीय भूकंपमापी
विद्युच्चुबंकीय भूकंपलेखी, या भूकंप मापी में जड़त्वीय द्रव्यमान (inertial mass) चुबंक के ध्रुवों के मध्य गतिशाली रहता है। चालक तार की एक कुंडली संहति के चारों ओर लपेट दी जाती है, जिससे वह विद्युज्जनित्र (electric generator) की तरह काम करने लगती है। कुंडली में प्रेरित विद्युद्धारा जड़त्वीय द्रव्यमान और चुंबक के बीच की सापेक्ष गति, अर्थात् पृथ्वी के कंपन, पर निर्भर करती है। इस रीति से उत्पन्न विद्युद्धारा को उपयुक्त धारामापी द्वारा अभिलिखित कर लिया जाता है। बैनियॉफ उपकरण इस प्रकार के भूकंपमापी का अच्छा उदाहरण है। यह उपकरण क्षैतिज और ऊर्घ्वाधर दोनों प्रकार का होता है।
ये सभी उपकरण भूकंप या सूक्ष्मभूकंप को अभिलिखित करने के लिये अभिकल्पित होते हैं। इनके अलावा अनेक प्रकार के भूकंपमापी हैं, जो छोटे, सुवाह्य एवं प्राय: विद्युच्चुबकीय सिद्धांत के अनुसार उपयुक्त अवमंदन आदि के साथ अभिकल्पित हैं और आजकल तेल आदि के भूकंपी पूर्वेक्षण में मनुष्यकृत विस्फोटनों से उत्पन्न अल्पकालिक तरंगो को अभिलिखित करने में काम आते हैं।
भूकंपमापियों के अभिलेखन
भूकंपमापियों का अभिकल्पन विभिन्न प्रकार की भूकंप तरंगों, प्रा (P), प्राथमिक, गौ (S), गौण तथा पृष्ठ तरंग आदि का अभिलेखन करने के लिये होता है, जो भूकंप के स्रोत से इस प्रकार प्रसर्जित (emanated) होती है कि कोई भी उनकी विभिन्न प्रावस्थाओं (phases) के अंतर को अभिलेख से जान सकता है। भूकंप के अधिकेंद्र की (epicentral) दूरी और फोकस की गहराई के अध्ययन के दृष्टिकोण से यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। किसी भी प्रक्षण स्थल पर प्रा (P) और गौ (S) तरंगों के अभिलिखित अंतराल (interval) से प्रा (P) और गौ (S) तरंगो का वेग ज्ञात कर लिया जाता है, जिससे भूकंप के अघिकेंद्र की दूरी सीधे सीधे ज्ञात हो जाती है। इसी प्रकार स्थानीय भूकंपों के अभिलेख का अध्ययन पृथ्वी की पटलीय परतों और सुदूर होनेवाले भूकंपों से संबद्ध पृथ्वी के अंतराश की उपयोगी सूचनाएँ प्रदान करता है। उल्लेखनीय है कि भूकंपमापियों के अभिलेखों के आधार पर जो उन दिनों पर्याप्त सूक्ष्मग्राही न थे, ओल्डैम (Oldham) ने सुझाया कि पृथ्वी का क्रोड ठोस नहीं, संभवत: तरल है। आज जब भूकंपविज्ञान का विकास भूकंप इंजीनियरी और भूकंप सर्वेक्षण के रूप में हो चुका है, भूकंप और सूक्ष्मभूकंप के अध्ययन के अतिरिक्त भूकंपमापियों के महत्व की अत्युक्ति नहीं की जा सकती।
इन्हें भी देखें
- रिक्टर पैमाना - भूकम्प की तीव्रता मापने का एक पैमाना
बाहरी कड़ियाँ
- The history of early seismometers
- A Java code applet demonstrating the operation of a damped-mass seismometer
- https://web.archive.org/web/20090201201214/http://neic.usgs.gov/neis/seismology/keeping_track.html
- Link to live Seismic Drum at Geonet's Mangatainoka River station in New Zealand
- The Lehman amateur seismograph, from Scientific American- not designed for calibrated measurement.
- USGS evaluation of Streckheisen STS-2 Seismometer models- Streckheisen is a common make of research seismometers
- Pacific Northwest Seismograph Network-PNSN is a seimograph network in the northwest USA
- SeisMac is a free tool for recent Macintosh laptop computers that implements a real-time three-axis seismograph.
- The Incorporated Research Institutions for Seismology (IRIS) is a principal U.S. seismological instrumentation and data facility, principally supported by the National Science Foundation and the U.S. Department of Energy.
- Video of seismograph at Hawaiian Volcano Observatory - on Flickr - retrieved on 2009-06-15.