भुरी बाई
भूरी बाई | |
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Born | पिटोल, झाबुआ, मध्य प्रदेश |
Nationality | भारतीय |
Employer | साँचा:main other |
Organization | साँचा:main other |
Agent | साँचा:main other |
Notable work | साँचा:main other |
Style | भील कला |
Opponent(s) | साँचा:main other |
Criminal charge(s) | साँचा:main other |
Spouse(s) | साँचा:main other |
Partner(s) | साँचा:main other |
Parent(s) | स्क्रिप्ट त्रुटि: "list" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other |
Awards | पद्मश्री (2021) |
Honours | शिखर सम्मान, मध्य प्रदेश |
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भूरी बाई भारत के मध्य प्रदेश की एक भील कलाकार हैं। मध्य प्रदेश में झाबुआ जिले के पिटोल गाँव में जन्मी भूरी बाई भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूह भीलों के समुदाय से हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार, शिखर सम्मान द्वारा कलाकारों को दिए गए सर्वोच्च राजकीय सम्मान सहित कई पुरस्कार जीते हैं।[१] उन्हें 2021 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार [[पद्म श्री] से सम्मानित किया गया। [२][३]
प्रारंभिक जीवन
पितौल की भूरी बाई अपनी चित्रकारी के लिए कागज तथा कैनवास का इस्तेमाल करने वाली प्रथम भील कलाकार थी। भारत भवन के तत्कालीन निदेशक जे. स्वामीनाथन ने उन्हें कागज पर चित्र बनाने के लिए कहा।[४] इस तरह भूरी बाई ने अपना सफर एक भील कलाकार के रूप में शुरू किया। उस दिन भूरी बाई ने अपने परिवार के पैतृक घोड़े की चित्रकारी की और वह उजले कागज पर पोस्टर रंग के स्पर्श से उत्पन्न प्रभाव को देखकर रोमांचित हो उठी। ‘‘गांव में हमें पौधों तथा गीली मिट्टी से रंग निकालने के लिए काफी मेहनत करनी होती थी। और यहां, मुझे रंग की इतनी सारी छटाएं तथा बना-बनाया ब्रश दिया गया।’’ शुरू में भूरी बाई को बैठकर चित्रकारी करना थोड़ा अजीब लगा। किंतु चित्रकारी का जादू शीघ्र ही उन में समा गया।
भूरी बाई अब भोपाल में आदिवासी लोककला अकादमी में एक कलाकार के तौर पर काम करती हैं। उन्हें मध्यप्रदेश सरकार से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान (1986-87) प्राप्त हो चुका है। 1998 में मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें अहिल्या सम्मान से विभूषित किया।
भूरी बाई का कहना है कि हरेक बार जब भी वह चित्र बनाना शुरू करती हैं तो वह अपना ध्यान भील जीवन और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर पुन: केंद्रित करती हैं और जब कोई विशेष विषय-वस्तु प्रबल हो जाती है तो वह अपने कैनवास पर उसे उतारती हैं और उनके चित्रों में जंगल में जानवर, वन और इसके वृक्षों की शांति तथा गाटला (स्मारक स्तंभ), भील देवी-देवताएं, पोशाक, गहने तथा गुदना (टैटू), झोपडि़यां तथा अन्नागार, हाट, उत्सव तथा नृत्य और मौखिक कथाओं सहित भील के जीवन के प्रत्येक पहलू को समाहित किया गया है। भूरी बाई ने हाल ही में वृक्षों तथा जानवरों के साथ-साथ वायुयान, टेलीविजन, कार तथा बसों का चित्र बनाना शुरू किया है। वे एक दूसरे के साथ सहज स्थिति में प्रतीत हो रहे हैं। वह पहली आदिवासी महिला कलाकार हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश के झाबुआ में अपने गाँव की झोपड़ियों की दीवारों से परे पारंपरिक पिथोरा चित्रों को एक मामूली सुधार के साथ लेने का साहस किया। उन्होंने मिट्टी की दीवारों से लेकर विशाल कैनवस और कागज पर लोक कला को हस्तांतरित किया।[५]
श्रीमती भूरी बाई जी पहली आदिवासी महिला हैं जिन्होंने गांव में घर की दीवारों पर पिथौरा पेंटिंग करने का साहस किया है। पिटोल की भील कलाकार भूरी बाई की खास बात यह है कि वह ठीक से हिंदी भी नहीं बोल पाती थीं। वह केवल स्थानीय भीली बोली जानती थी। वह अपने चित्रों के लिए कागज और कैनवास का उपयोग करने वाली पहली भील कलाकार हैं। भूरी बाई ने एक समकालीन भील कलाकार के रूप में अपनी यात्रा शुरू की।
वह छह संतानों की माँ हैं। उन्होंने अपनी कला को अपने बच्चों को भी सिखाया है; उनकी दो बेटियाँ, छोटा बेटा और उनकी बहू इस कला का अभ्यास करते हैं।[६]
प्रदर्शनियां
- 2017 सतरंगी: भील कला, ओजस कला, दिल्ली [७]
- 2017 "गिविंग पॉवर: ट्रेडिशन से कंटेम्परेरी तक", ब्लूप्रिंट 21 + एक्ज़िबिट 320, दिल्ली
- 2010-2011 "वर्नैक्यलर , इन द कंटेम्परेरी ", देवी कला फाउंडेशन, बैंगलोर
- 2010 "अदर मास्टर्स ऑफ इंडिया", मुसी डू क्वाई ब्रांली, पेरिस
- 2009 "नौ द ट्रीज़ हैव स्पोकेन", पुंडोले गैलरी, मुंबई
- 2008 "फ्रीडम", सेंटर फॉर इंटरनेशनल मॉडर्न आर्ट (CIMA), कोलकाता
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ https://www.thehindu.com/life-and-style/bhuri-bai-a-tribal-woman-from-madhya-pradesh-whose-paintings-are-compiled-in-the-book-dotted-lines-tells-her-story-of-resilience-on-world-storytelling-day/article31120290.ece
- ↑ https://www.firstpost.com/art-and-culture/an-exhibition-on-bhuri-bai-explores-the-bhil-artists-extraordinary-life-and-work-in-her-own-words-9344331.html
- ↑ www.ojasart.com