भाषा के प्रकार्य
प्रसिद्ध फ्रांसीसी भाषा वैज्ञानिक ‘ सस्यूर ‘ के विचारों से प्रभावित होकर प्राग स्कूल की भाषा वैज्ञानिक विचारधारा ने आरंभ से ही भाषिक प्रकार्यों के अध्ययन को महत्व दिया।साँचा:asbox
रोमन जैकोब्सन (Roman Jakobson) ने भाषा के छः प्रकार्य (functions) गिनाए हैं।
- अभिव्यक्तिक प्रकार्य (Expressive Function)
- इच्छा परक प्रकार्य (Conative Function)
- अभिधापरक प्रकार्य (Donative Function)
- सम्पर्क परक प्रकार्य (Phatic Function)
- आधिभाषिक प्रकार्य (Codifying Function)
- काव्यात्मक प्रकार्य (Poetic Function)
विचारों के आदान – प्रदान का महत्वपूर्ण साधन है। इसके द्वारा मनुष्य अपनी अनुभूतियों (विचारों) तथा भावों को व्यक्त करता है। साथ ही सामाजिक संबंधों की अभिव्यक्ति का उपकरण भी उसे बनाता है। अपनी इस प्रकृति के कारण भाषा एक और मानसिक व्यापार और दूसरी और सामाजिक व्यापार से जुड़ी है। मानसिक व्यापार चिंतन प्रक्रिया तथा सामाजिक व्यापार संप्रेषण प्रक्रिया पर आधारित होता है। इन दोनों की अपनी व्यवस्था है तथा दोनों में अन्योन्याश्रित संबंध है। वस्तुतः संप्रेषण व्यापार विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं के साथ जुड़ा होता है। संप्रेषण व्यवस्था के विभिन्न उपकरण या उपादान है इसमें ‘ वक्ता ‘ और ‘ श्रोता ‘ की भूमिका महत्वपूर्ण है। वक्ता अपने विचारों को दूसरों तक संप्रेषित करता है तथा दूसरों के द्वारा संप्रेषित विचारों को ग्रहण करता है , तभी भाषा का कार्य संपादित होता है और बातचीत संभव होता है।
बाहरी कड़ियाँ
- भाषा के प्रकार्य (मीनाक्षी व्यास)