भाषणों के लिए मुनरो का प्रेरित अनुक्रम

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मुनरो का प्रेरित अनुक्रम (अंग्रेज़ी:Monroe's motivated sequence) प्रेरक भाषण देने की एक तकनीक है जो लोगों को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। इसे 1930 के दशक के मध्य में पर्ड्यू विश्वविद्यालय में एलन एच॰ मुनरो (Alan H. Monroe) द्वारा विकसित किया गया था। [१]

प्रक्रिया

मुनरो के प्रेरित अनुक्रम में कहा गया है कि ग्राहक को होने वाली समस्या के बारे में बताने के लिए पहला कदम है, फिर उसे समझाएं कि कोई ऐसी ज़रूरत है जो पूरी नहीं हो रही है। इसके बाद उसे वह स्थिति बताएँ जो भविष्य में हो सकती है।

ध्यान
पहला क़दम श्रोताओँ का ध्यान आकर्षित करने पर केंद्रित होता है।
आवश्यकता
फिर विषय-वस्तु को श्रोताओँ की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं से जोड़ा जाता है। मुनरो का मानना था कि सबसे प्रभावी तरीक़ा वह रहेगा जिसमें श्रोताओँ को यह विश्वास दिलाया जाए कि भाषण की विषय-वस्तु ख़ास तौर पर उन्ही की कोई विशिष्ट आवश्यकता पूरी करेगी।
संतुष्टि
पिछले चरण में उठाई गई समस्याओं के विशिष्ट और व्यवहार्य समाधान अब श्रोताओँ के सामने प्रस्तुत किए जाते हैं।
दृश्य
इस चरण में समाधान का वर्णन इस तरह से किया जाता है कि श्रोता समाधान और उसके सकारात्मक प्रभाव दोनों की विस्तृत रूप से कल्पना कर सकें।
कार्य
अंत में श्रोताओँ को यह बताया जाता है कि पहले प्रस्तुत किए गए समाधान का उपयोग करके समस्या को कैसे हल किया जाए।

लाभ

मुनरो के प्रेरित अनुक्रम का लाभ यह है कि इस बात पर ज़ोर देता है कि दर्शक क्या कर सकते हैं। बहुत बार श्रोताओँ को लगता है कि स्थिति निराशाजनक है; मुनरो का प्रेरित अनुक्रम श्रोताओँ को वह प्रक्रिया बताता है जिसे अपनाकर वे स्थिति को सुधार सकते हैं। इससे श्रोताओँ को यह भी महसूस होता है कि वक्ता को समस्या का पता है और वह केवल उन्हें भाषण देने के बजाय उनकी बात को भी समझता है।[२][३][४][५]

संदर्भ

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  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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