भारत-हंगरी संबंध

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विश्व मानचित्र पर भारत और हंगरी का स्थान

भारत और हंगरी के सम्बन्ध घनिष्ठ  और मैत्रीपूर्ण हैं। भारतीय दूतावास बुडापेस्ट में और हंगरी का  दूतावास  नई दिल्ली में स्थित है।

इतिहास

भारत और हंगरी ने नवंबर 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1956 में हंगरी देश में क्रांति के दौरान डॉ अर्पद गोंच की जान तत्कालीन सोवियत संघ की मदद से बचाने में भारत के हस्तक्षेप और उसकी अहम् भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। [१] डॉ अर्पद गोंच ने आगे जाकर 1990 से 2000 के बीच हंगरी के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तर पर नियमित दौरे हुए हैं। 2019-2020 की अवधि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत के लिए एक विशेष रूप से उल्लेखनीय वर्ष थी क्योंकि छह महीने की अवधि के भीतर तीन मंत्रिस्तरीय दौरे थे; पहला, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की अगस्त 2019 में हंगरी की यात्रा;[२] दूसरा, बुडापेस्ट जल सम्मेलन में भाग लेने के लिए अक्टूबर 2019 में भारत के जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत की हंगरी यात्रा;[३] और तीन, जनवरी 2020 में हंगरी के विदेश और व्यापार मंत्री श्री पीटर सियार्तो की भारत की यात्रा। भारत के विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) श्री विकास स्वरूप ने जनवरी 2021 में 10वें दौर की विदेश मंत्रालय परामर्श के लिए हंगरी का दौरा किया।[४]

आर्थिक संबंध

हंगेरियन निर्यात उच्च तकनीक, औद्योगिक उत्पादों, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार और आईटी तक ही सीमित है, लेकिन प्रधान मंत्री श्री विक्टर ओरबान  की सरकार कृषि और खाद्य उत्पादों और सेवाओं में निर्यात विकसित करने के लिए उत्सुक है। भारतीय कंपनियों ने हंगरी में $ 3 बिलियन का निवेश किया है, लेकिन यह और अधिक बढ़ने की गुंजाइश है। [५] भारत हंगरी सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में हैं: अनुसंधान और विकास, ऑटोमोटिव भाग /उत्पाद , स्वास्थ्य सेवा, मशीन टूल्स, कृषि मशीनरी, गैर-पारंपरिक ऊर्जा और विद्युत उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, उच्च शिक्षा, मनोरंजन, आदि। हंगरी में भारतीय निवेश लगभग US $ 3  बिलियन है और भारतीय कंपनियां हंगरी में 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं।[६]

सांस्कृतिक संबंध

1992 से ICCR हंगरी में द्विपक्षीय सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम के तहत ऐल्ते विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन विभाग में हिंदी के एक विजिटिंग प्रोफेसर की प्रतिनियुक्ति करता रहा है। हंगेरियन छात्रों ने भारतीय नृत्यों, संगीत, योग और ध्यान में काफी रुचि दिखाई है। हंगरी में 200 से अधिक योग केंद्र और भारतीय नृत्य और संगीत के लगभग 6 स्कूल हैं। भारतीय सांस्कृतिक मंडली समय-समय पर हंगरी का दौरा करती रहती है। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने एक भाषण में कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध वर्षों से "स्थिर" बने हुए हैं  और दोनों देश यूरोप और एशिया के लिए एक दूसरे के पुल साबित  होंगे।[७] 2020 वर्ष में भारत के राजदूत श्री कुमार तुहिन एवं हंगरी की संसद के अध्यक्ष लैज़लो कोवेर ने एक भारत-हंगरी संवाद का उद्घाटन किया , जो कि वीडिओ साक्षात्कार के माध्यम से दोनों देशों के सम्बंधों के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालता है।[८]

सन्दर्भ

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