भगवान श्री चक्र माधव
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भगवान श्री चक्र माधव तीर्थराज प्रयागराज मेें स्थित भगवान श्री माधव जी के द्वादश रूपों मेें से एक है। जगत नियँता नारायण प्रयाग मेें माधव रूप मेें स्थापित हैैं। प्रयाग को तीर्थों का राजा इसी लिए कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान स्वयं अधिष्ठाता के रूप मेें विराजमान हैं। शास्त्रों मेें ऐसा आख्यान आता है कि भगवान श्री ब्रम्हा जी ने जब सृृृृष्टि का प्रथम यज्ञ किया था तब उस यज्ञ की रक्षा का भार भगवान श्री विष्णु ने ग्रहण किया था और अपने बारह स्वरूपों- त्रिवेणी माधव, शँँख माधव, सँँकष्टहर माधव, वेेेणी माधव, असि माधव, मनोहर माधव, अनंंत माधव, बिंदु माधव, पद्म माधव, गदा माधव, आदि माधव, चक्र माधव के द्वारा पूूरे सौ वर्षों तक पावन यज्ञ की पवित्रता एवं सुुरक्षा को अक्षुण्य रखा।
भगवान श्री चक्र माधव की प्राचीन पीठ गँगा पार अरैल में स्थित है। वर्तमान में इस पीठ के महँत एक वैष्णव संत पूज्य श्री अवधेष जी महाराज है। भगवान का यह स्वरूप अत्यंत मनोहारी है और पूरे धरती पर भगवान का यह एक मात्र मँदिर और पीठ है। कुम्भ मेला, माघ मेला और द्वादश माधव वार्षिक परिक्रमा के अवसर पर श्रृद्धालुओं की विशेष उपस्थिति होती है।