ब्रिटिश राजसत्ता का अनुक्रम
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ब्रिटिश सिंहासन पर उत्तराधिकार का क्रम , ब्रिटिश समेत विश्व के १५ अन्य राष्ट्रमण्डल प्रदेशों की साँझा एकराट्तंत्र के राजगद्दी पर उत्तराधिकार के क्रम को परिभाषित करती है। यह उत्तराधिकार क्रम कई ऐतिहासिक संविधियाँ, संधियाँ, परंपराएँ, और अधिनियमों द्वारा निर्धारित की जाती है। साथ ही राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के साँझ राजतांत्रिक व्यवस्था के कारण, इस क्रम अथवा इससे संबंधित विधानों को समस्त राष्ट्रमण्डल प्रमंडलों की स्वीकृति द्वारा निर्धारत एवं परिवर्तित किया जाता है।
वर्तमान में, राजपाट और सिंहासन के वारिस की प्राथमिकता में प्रथम स्थान पर वेल्स के राजकुमार, चार्ल्स हैं, तत्पश्चात् कैम्ब्रिज के ड्यूक, प्रिंस विलियम हैं, और उनके बाद, उनके ज्येष्ठ पुत्र कैम्ब्रिज के प्रिंस जॉर्ज तथा तजपश्चात् उनकी छोटी बहन प्रिंसेस शार्लट हैं।
विरासत के मापदंड
सिंघासन पर उत्तराधिकार, विभिन्न ऐतिहासिक संविधिओं द्वारा अनुशासित है, जिनमें बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९, ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ और ऍक्ट ऑफ़ यूनियन, १७०७ शामिल हैं। तथा, राष्ट्रमण्डल प्रदेशों के बीच का संबंध इस प्रकार का है कि उत्तराधिकार को अनुशासित करने वाले किसी भी विधान का सारे देशों की एकमत स्वीकृति आवश्यक है। उत्तराधिकार संबंधित नियम केवल संसदीय अधिनियम द्वारा परिवर्तित किये जा सकते हैं, सिंघासन का कोई उत्तराधिकारी, स्वेच्छा से अपना उत्तराधिकार त्याग नहीं कर सकता है। सिंघासन पर विराजमान होने के पश्चात एक व्यक्ति अपने निधन तक राज करता है। इतिहास में एकमात्र स्वैछिक पदत्याग, १९३६ में एडवर्ड अष्टम ने किया था, जिसे संसद के विशेष अधिनियम द्वारा वैध क़रारा गया था। अंतिम बार जब किसी शासक को अनैच्छिक रूप से निष्काषित किया गया था, वो था १६८८ में जेम्स सप्तम और द्वितीय जिन्हें ग्लोरियस रेवोल्यूशन(गौरवशाली क्रांति) के समय निष्काषित किया गया था।
ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, उत्तराधिकार को हॅनोवर की एलेक्ट्रेस, सोफ़िया(१६३०-१७१४), जो जेम्स प्रथम की एक पोती थी, के "वैध प्रोटेस्टेंट वंशजों" तक सीमित करता है। अतः राजपरिवार का कोई भी कैथलिक सदस्य कभी भी सिंघासन को उत्तरिधिकृत नहीं कर सकता है। एक शासी शासक के निधन पर स्वयमेव ही, राजपाठ, उसके आसन्न वारिस के पास चला जाता है, अतः सैद्धांतिक रूप से, सिंघासन एक क्षण के लिए भी खली नहीं रहता है। तथा उत्तराधिकार को सार्वजनिक रूप से उत्तराधिकार परिषद् द्वारा घोषित की जाती है। अतः अंग्रेजी परंपरा के अनुसार शासक के उत्तराधिकार को वैध होने के लिए राज्याभिषेक होना आवश्यक नहीं है। अतः आम तौर पर राज्याभिषेक उत्तराधिकार के कुछ महीने बाद होता है(ताकि आवश्यक तैयारी और शोक के लिए समय मिल सके)। नए शासक के राज्याभिषेक की परंपरा वेस्टमिंस्टर ऐबे में कैंटरबरी के आर्चबिशप द्वारा किया जाता है।
उत्तराधिकारी के लिंग और घर्म संबंधित विधान
ऐतिहासिक रूप से उत्तराधिकार को पुरुष-वरियति सजातीय ज्येष्ठाधिकार के सिद्धान्त द्वारा अनुशासित किया जाता रहा है, जिसमे पुत्रों को ज्येष्ठ पुत्रियों पर प्राथमिकता दी जाती रही है, तथा एक ही लिंग के ज्येष्ठ संतानों को पहली प्राथमिकता दी जाती है। अतः उत्तराधिकारी के लिंग तथा धर्म का उत्तराधिकार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। २०११ में राष्ट्रमण्डल की बैठक में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने यह घोषणा की थी कि तमाम राष्ट्रमण्डल प्रदेश पुरुष प्राथमिकता की परंपरा को समाप्त करने के लिए राज़ी हो गए हैं, तथा भविष्य के शासकों पर कैथोलिक व्यक्तियों से विवाह करने पर रोक को भी रद्द करने पर सब की स्वीकृति ले ली गयी थी। परंतु क्योंकि ब्रिटिश अधिराट् चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के प्रमुख भी होते हैं, अतः कैथोलिक व्यक्तियों को सिंघासन उत्तराधिकृत करने पर रोक लगाने वाले विधान को यथास्त रखा गया है। इस विधेयक को २३ अप्रैल २०१३ को शाही स्वीकृति मिली, तथा सारे राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में सम्बंधित विथान पारित होने के पश्चात् मार्च २०१५ को यह लागू हुआ।
विवाह और संतान की वैधता
१७०१ के ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट के विधानों के अनुसार, जेम्स प्रथम की पोती, हनोवर की एलेक्ट्रेस, सोफ़िया, के "वैध" प्रोटोस्टेंट वंशज ही सिंघासन को उत्तराधिकृत करने के लिए सक्षम हैं। अर्थात, शाही परिवार के वंश के केवल जायज़ संतान ही सिंघासन पर उत्तराधिकार का हक़ रखते हैं, और कोई भी अवैध संतान, तथा उनके वंशज, सिंघासन पर किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं रखते हैं। इस सन्दर्भ में, रॉयल मैरेजेज़ ऍक्ट, १७७२ के प्रावधानों के अनुसार शाही परिवार के किसी भी सदस्य को विवाह करने हेतु संप्रभु की स्वीकृति लेना आवश्यक है, और संप्रभु के स्वीकृति के बिना किये गए किसी भी विवाह को "अवैध"(अर्थात असक्षम) क़रार दिया जाएगा, तथा वह व्यक्ति और उसके संतान सिंघासन पर अधिकार से वंचित हो जायेंगे। इस अधिनियम के प्रावधानों में २०१३ के सक्सेशन टू द क्राउन ऍक्ट द्वारा कुछ परिवर्तन लाये गए। इस अधिनियम के अनुसार, उत्तराधिकार क्रम के पहले छह सदस्यों को विवाह करने हेतु संप्रभि की इजाज़त लेना आवश्यक है, अन्यथा उस व्यक्ति तथा उस विवाह से हुए सरे संतान और उनके वंशजों को उत्तराधिकार क्रम से वंचित मान लिया जाएगा। परंतु ऐसी किसी भी विवाह को किसी भी प्रकार से गैर-कानूनी नहीं करार जा सकता है।
उत्तराधिकार क्रम के पहले ६ सदस्य
(१) राजकुमार चार्ल्स, वेल्स के राजकुमार
रानी एलिज़ाबेथ के ज्येष्ठ पुत्र
वर्तमान क्रम
यह शाही परिवार के वर्तमान सदस्यों की एक सूची है(सिंघासन पर उत्तराधिकार के क्रम में):[१]
- रानी(वर्त्तमान शासक)
- १ चार्ल्स, वेल्स के राजकुमार (रानी के पुत्र)
- २ प्रिंस विलियम, कैम्ब्रिज के ड्यूक (रानी के पौत्र)
- ३ कैम्ब्रिज के प्रिंस जॉर्ज (रानी के प्रपौत्र)
- ४ कैम्ब्रिज की प्रिंसेस शार्लट (रानी के प्रपौत्री)
- ५ वेल्स के प्रिंस हेनरी (प्रिंस हैरी) (रानी के पौत्र)
- २ प्रिंस विलियम, कैम्ब्रिज के ड्यूक (रानी के पौत्र)
- ६ प्रिंस एंड्रयू, ड्यूक ऑफ यॉर्क (रानी के पुत्र)
- ७ यॉर्क की राजकुमारी बीयैट्रिस (रानी की पोती)
- ८ यॉर्क की राजकुमारी यूजीनी (रानी की पोती)
- ९ प्रिंस एडवर्ड, वेसेक्स के अर्ल (रानी के बेटे)
- १० जेम्स माउण्टबैटन-विंड्सर, वाइसकाउंट सेवर्न (रानी के पोते)
- ११ लेडी लुईस माउण्टबैटन-विंड्सर (रानी की पोती)
- १२ ऐनी, प्रिंसेस रॉयल (रानी की बेटी)
- १३ पीटर फिलिप्स (रानी के पोते)
- १४ सवाना फिलिप्स (रानी की प्रपौत्री)
- १५ इसला फिलिप्स (रानी की प्रपौत्री)
- १६ ज़ारा टिंडल (रानी की पोती)
- १७ मिया टिंडल (रानी की प्रपौत्री)
- १३ पीटर फिलिप्स (रानी के पोते)
- १ चार्ल्स, वेल्स के राजकुमार (रानी के पुत्र)
- प्रिंसेस मार्गरेट, स्नोडन के काउंटेस (रानी की बहन) (१९३०-२००२)
- १८ डेविड आर्मस्ट्रांग-जोंस, वाइसकाउंट लिंले (रानी के भांजे)
- १९ चार्ल्स आर्मस्ट्रांग-जोंस (रानी के पोते)
- २० मार्गरीटा आर्मस्ट्रांग-जोंस (रानी की पोती)
- २१ लेडी सारा शाटो (रानी की भांजे)
- २२ शमूएल शाटो (रानी के पोते)
- २३ आर्थर शाटो (रानी की पोती)
- १८ डेविड आर्मस्ट्रांग-जोंस, वाइसकाउंट लिंले (रानी के भांजे)
शासन क्रम के अन्य शासी यूरोपीय शासक
प्रतिशासन व्यवस्था
1937 और 1953 में रीजेंसी के अधिनियमों के मुताबिक, बिजली सम्राट के 18 साल हासिल नहीं किया है, या तो शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम, बाहर किया जाना चाहिए रीजेंट के रूप में। गिन्नी के पति या पत्नी,: विकलांगता निम्नलिखित व्यक्तियों के कम से कम तीन की पुष्टि करनी होगी लॉर्ड चांसलर , हाउस ऑफ कॉमन्स के स्पीकर , भगवान उच्च वकील (प्रभु मुख्य न्यायाधीश), और स्क्रॉल के रक्षक। रीजेंसी को पूरा करने के लिए, यह भी एक ही तीन व्यक्तियों की एक घोषणा की आवश्यकता है।
जब आवश्यक हो रीजेंसी, उत्तराधिकार की उचित लाइन के बाद रीजेंट बन जाता है; संसदीय मतदान या कुछ और इलाज की जरूरत है। रीजेंट (के मामले में 18 से 21 साल से अधिक पुराना होना चाहिए एक प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी या, अन्यथा), ब्रिटिश नागरिकता है, और ब्रिटेन का निवासी होना। इन नियमों के अनुसार, केवल रीजेंट भविष्य था जॉर्ज चतुर्थ , जो राज्य करता रहा जब उनके पिता जॉर्ज III पागल हो गया था (1811-1820)।
हालांकि, 1953 में रीजेंसी के अधिनियम कहता है कि अगर रानी के उत्तराधिकारी रीजेंसी की जरूरत है, राजकुमार फिलिप, एडिनबर्ग के ड्यूक (रानी का पति) रीजेंट है। रीजेंसी रानी की आवश्यकता होगी, तो रीजेंट बोर्ड की लाइन में अगले हो जाएगा (- रीजेंट होगा तो प्रिंस फिलिप बच्चों और रानी के पोते को छोड़कर)। अस्थायी शारीरिक विकलांगता या राज्य से अनुपस्थिति के दौरान गिन्नी के अपने कार्यों प्रतिनिधि सकता सलाहकार राज्य , पति या सबसे अच्छा चार उत्तराधिकार की लाइन पर पहले। राज्य की आवश्यकताओं के सलाहकार रीजेंट के रूप में वही कर रहे हैं। वर्तमान में, पांच राज्यों के पार्षदों:
- प्रिंस फिलिप, एडिनबर्ग के ड्यूक,
- चार्ल्स, प्रिंस ऑफ वेल्स,
- वेल्स के प्रिंस विलियम
- प्रिंस हैरी
- प्रिंस एंड्रयू, ड्यूक ऑफ यॉर्क
राज्याभिषेक
एक शासी शासक के निधन पर स्वयमेव ही, राजपाठ, उसके आसन्न वारिस के पास चला जाता है, अतः सैद्धांतिक रूप से, सिंघासन एक क्षण के लिए भी खली नहीं रहता है। तथा उत्तराधिकार को सार्वजनिक रूप से उत्तराधिकार परिषद् द्वारा घोषित की जाती है, जो पारंपरिक तौर पर सेंट जेम्स पैलेस में शासक के निधन के बाद मिलती है, और नए शासक के राजतिलक की घोषणा पर निर्णय लेती है। इस परिषद में, राजनीतिज्ञों, पादरियों, इत्यादि समेत, राष्ट्रमंडल देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। यह परिषद्, नए शासक के राज्याभिषेक का घोषणापत्र तैयार करती है, जिसके बाद लंदन, एडिनबर्ग, यॉर्क समेत देश के सारे छोटे-बड़े नगरों में, इस घोषणा को सार्वजनिक तौर पर पढ़ा जाता है, और नए शासक के राजतिलक का ऐलान किया जाता है। इस घोषणा के दिन को सम्बंधित शासक के शासनकाल के दौरान प्रतिवर्ष, ऍक्सेशन डे के रूप में मनाया जाता है।
क्योंकि पूर्व शासक के निधन के साथ ही उनके उत्तराधिकारी नए शासक बन जाते हैं, अतः अंग्रेजी परंपरा के अनुसार शासक के उत्तराधिकार को वैध होने के लिए राज्याभिषेक होना आवश्यक नहीं है। इसीलिए, आम तौर पर राज्याभिषेक उत्तराधिकार के कुछ महीने बाद होता है(ताकि आवश्यक तैयारी और शोक के लिए समय मिल सके)। नए शासक के राज्याभिषेक की परंपरा वेस्टमिंस्टर ऐबे में कैंटरबरी के आर्चबिशप द्वारा किया जाता है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
बाहरी कड़ियाँ
- Full text of the Succession to the Crown Act 2013.
- रॉयल.uk-आधिकारिक वेबसाइट