बोस्निया युद्ध
बोस्निया युद्ध या बोस्निया और हर्जेगोविना की लड़ाई एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य युद्ध था। यह 1992 से 1995 तक बोस्निया और हर्जेगोविना में हुआ था। बोस्निया और हर्जेगोविना सहित विभिन्न गुट युद्ध में शामिल थे, ख़ासकर बोस्नियाई सर्ब और बोस्नियाई क्रोएशियाई समूह, रेपब्लिका सर्पस्का और हर्ज़े -बोस्निया, जिन्होंने क्रमशः सर्बिया और क्रोएशिया को सहायता प्रदान। [१] [२] [३]
यह युद्ध युगोस्लविया के विलय की प्रक्रिया का एक हिस्सा था। स्लोवेनिया और क्रोएशिया टूटकर पहले ही अलग राष्ट्र स्थापित कर चुके थे। युद्ध के परिणामस्वरूप, यूगोस्लाविया का विलय हो गया और दो नए राज्य - यूगोस्लाविया के समाजवादी संघीय गणराज्य और बोस्निया और हर्ज़ेगोविना के सोशलिस्ट गणराज्य का जन्म हुआ। बोस्निया और हर्जेगोविना मुस्लिम बहुल राज्य थे, जहाँ कुल जनसंख्या के 44% लोग मुस्लिम बोस्नियाई, 32.5% रूढ़िवादी ईसाई सर्बियाई और 17% क्रोएशियाई कैथोलिक थे। बोस्निया ने 1992 में अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया, जिसे वहाँ की सरकार ने ख़ारिज कर दिया। इसके चलते बोस्नियाई-सर्ब बलों और यूगोस्लाव पीपुल्स आर्मी ने सर्बिया सरकार के प्रमुख स्लोबोदान मिलोशेविच की मदद से बोस्निया और हर्जेगोविना गणराज्य पर आक्रमण किया, जिससे युद्ध शुरू हुआ। इस युद्ध में बोस्निया के विभिन्न हिस्सों (विशेषकर पूर्वी बोस्निया) के जातीय समूहों ने युद्ध में भाग लिया। [४]
इस युद्ध में हालत बहुत बिगड़ गए और संयुक्त राष्ट्र को संघर्ष-विराम की घोषणा करनी पड़ी। किंतु पाकिस्तान ने संघर्ष-विराम का उल्लंघन करते हुए बोस्निया को मिसाइल मुहैया कराईं। बाद में नाटो ने अपना सशस्त्र दस्ता रवाना किया, जिसके बाद संघर्ष पर रोक लग सकी।[१]
अंदाज़ा लगाया जाता है कि इस युद्ध में एक लाख से अधिक मौतें हुईं, और क़रीब 22 लाख लोग बेघर हुए। इसके अलावा 12,000–20,000 महिलाओं का बलात्कार हुआ। अतः द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में होने वाला यह सबसे भीषण हुद्ध है।[२]