बैंक भगदड़

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अप्रैल 26, 1932में न्यू यॉर्क में अमेरिकन यूनियन बैंक में भगदड़

बैंक भगदड़ (bank run) वह स्थिति होती है जब किसी बैंक के बहुत सारे ग्राहक अपना जमा करा हुआ पैसा बैंक से निकाल लेते हैं क्योंकि उन्हें बैंक के निकट भविष्य में बंद हो जाने का संकट प्रतीत होता है। अधिकांश बैंकों में जमा करी हुई पूँजी का बड़ा भाग बैंक कर्ज़ो और निवेशों में लगाता है, जिसकी कमाई से यह अपना व्यापार बढ़ाता है और अपने ग्राहकों को जमा पूँजी पर ब्याज भी देता है। इसलिए बैंक भगदड़ की स्थिति में बैंक के पास तुरंत ही सारा जमा पैसा लौटाने की क्षमता नहीं होती। इस से भी भगदड़ के दौरान ग्राहकों को लग सकता है कि वास्तव में बैंक का पैसा खत्म हो गया है, जिस से वे और भी उत्तेजित हो सकते हैं। अक्सर बैंकों में भगदड़ अफवाहों के कारण हो सकती है, हालांकि इतिहास में ऐसा भी हुआ है कि बैंकों ने निवेश ऐसी चीज़ों में करा जिनका मूल्य शून्य हो गया और यह समाचार फैलते ही भगदड़ मच गई। आधुनिक देशों के केन्द्रीय बैंक साधारण बैंकों के लिए नियम बनाते हुए यह चेष्टा करते हैं कि किसी मान्य बैंक में भगदड़ की स्थिति कभी न बने।[१][२]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ