बेदरा का युद्ध

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1759 मे डच कम्पनी तथा इंग्लिश कम्पनी के बीच बंगाल के संसाधनों की प्राप्ति हेतु हुआ था कम्पनी नवाब के पक्ष मे लड़ी थी डच हार गए तथा हमेशा के लिए भारत से चले गए


बेदारा की लड़ाई

बेदारा या 'बिदर्रा' की लड़ाई नवम्बर, 1759 ई. में लड़ी गई थी। यह लड़ाई अंग्रेज़ों और डचों के बीच लड़ी गई। इस लड़ाई में डचों की अंग्रेज़ों द्वारा पूर्णत: पराजय हुई। कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) से कुछ मील दूर चिनसुरा में रहने वाले डच लोग अंग्रेज़ों को अपदस्थ करना चाहते थे। डचों ने नवाब मीर ज़ाफ़र के साथ साँठ-गाँठ कर जावा स्थित अपनी बस्तियों से सैनिक सामग्री मँगाने का प्रयास किया। रॉबर्ट क्लाइब इस समय बंगाल का गवर्नर-जनरल था। क्लाइब ने डचों के इरादे का पूर्वानुमान लगाकर उन्हें चिनसुरा के निकट 'बेदारा' कि लड़ाई में पराजित कर दिया। इससे डचों की प्रभुता की सभी सम्भावनाएँ नष्ट हो गईं और बंगाल में अंग्रेज़ों का कोई यूरोपीय प्रतिस्पर्धी शेष नहीं रह गया। अतः मीर कासिम को नवाब बनाया गया।इसे हुगली के युद्ध के रूप में भी जाना जाता हैं।

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