बिक्रम सिंह
बिक्रम सिंह | |
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जनरल बिक्रम सिंह | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
देहांत | साँचा:br separated entries |
निष्ठा | साँचा:flag/core |
सेवा/शाखा | साँचा:थलसेना |
सेवा वर्ष | 1972–2014[१] |
उपाधि | जनरल |
दस्ता | सिख लाईट इन्फेण्ट्री रेजिमेण्ट[१] |
नेतृत्व |
जीओसी-इन-सी पूर्वी कमान जीओसी 15 कॉर्प्स जीओसी राष्ट्रीय राईफल्स काँगो में जीओसी पूर्वी डिवीज़न[१] |
सम्मान |
परम विशिष्ट सेवा पदक उत्तम युद्ध सेवा पदक अति विशिष्ट सेवा पदक सेना पदक विशिष्ट सेवा पदक |
बिक्रम सिंह | |
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कार्यकाल 31 मई 2012 - 31 जुलाई 2014 | |
पूर्वा धिकारी | विजय कुमार सिंह |
उत्तरा धिकारी | दलबीर सिंह सुहाग |
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जनरल बिक्रम सिंह, परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक, एडीसी[२] भारतीय थलसेना के 25वें अध्यक्ष रह चुके हैं। भारतीय सेना की पूर्वी कमान के अध्यक्ष रहे जनरल बिक्रम सिंह, 31 मई 2012 को जनरल वी के सिंह के सेवानिवृत्त होने के पश्चात् भारतीय थलसेना के अध्यक्ष बने।[३][४] जनरल जे जे सिंह के बाद इस पद पर आसीन होने वाले वे द्वितीय सिख हैं।[५] वे भारतीय सेना के सेनाध्यक्षों की समिति के अध्यक्ष भी रहे।[६] 31 जुलाई 2014 को वे सेवानिवृत्त हुए तथा उनके स्थान पर जनरल दलबीर सिंह सुहाग भारतीय थलसेना के अध्यक्ष बने।
परिवार
बिक्रम सिंह की जीवन संगिनी का नाम सुरजीत कौर है तथा इनकी दो संतानें हैं।[७]
सेना में करियर
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 40वें बैच के ग्रैजुएट[८] श्री सिंह ने 31 मार्च 1972 को सिख लाईट इन्फेण्ट्री में सेना में शामिल हुए। इन्फेण्ट्री स्कूल में उन्हें "बेस्ट यंग ऑफिसर" का खिताब मिला। सर्वोत्तम कमाँडो के लिए उन्हें "कमाण्डो खुकरी" तथा "बेस्ट इन टैक्टिक्स" ट्रॉफी भी मिली। बाद में वे इन्फेण्ट्री स्कूल के कमाण्डो विंग में इंस्ट्रक्टर भी रहे।[१] 2004 में उन्होंने यूनाईटेड स्टेट्स आर्मी वार कॉलेज से ग्रैजुएट किया और सेनाध्यक्ष रहते हुए अंतर्राष्ट्रीय शाँति व स्थिरता में उनके significant and enduring योगदान के लिए उन्हें इस प्रतिष्ठान "अंतर्राष्ट्रीय हॉल ऑफ फेम" से सम्मानित किया गया।[९]
हायर कमाँड का कोर्स पूरा करने के पश्चात् उनका प्रथम कार्यकाल Military Operations (MO) Directorate में डायरेक्टर के रूप में था। इसी समय में कारगिल युद्ध हुआ जिसके दौरान वे भारतीय सेना के प्रमुख प्रवक्ता थे। सेना मुख्यालय में उन्होंने चार प्रमुख जिम्मेदारियाँ निभाई- डिप्टी डायरेक्टर जनरल के रूप में MO Directorate में अतिरिक्त कार्यकाल, Perspective Planning Directorate में दो कार्यकाल, Perspective Planning (Strategy) के डिप्टी डायरेक्टर जनरल और बाद में अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल के रूप में। डायरेक्टर जनरल स्टाफ ड्यूटीज़ (DGSD) के पद पर लेफ्टिनेण्ट जनरल के रूप में वे पुनः सेना मुख्यालय में आए।[१]
वे जीओसी-इन-सी पूर्वी कमान, जीओसी 15 कॉर्प्स, जीओसी राष्ट्रीय राईफल्स तथा काँगो में जीओसी पूर्वी डिवीज़न के पद भी संभाल चुके हैं।[१] जम्मू कश्मीर में ब्रिगेडियर की पोस्टिंग के दौरान वे घायल भी हुए।[१०]