बलवंतराय मेहता

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बलवंतराय मेहता

गुजरात के दूसरे मुख्य मंत्री
पद बहाल
19 सितम्बर 1963 – 20 सितम्बर 1965
पूर्वा धिकारी जीवराज नारायण मेहता
उत्तरा धिकारी हितेन्द्र देसाई

जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
जीवन संगी सरोजबेन
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बलवंतराय मेहता (1900 -1965) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा राजनीतिज्ञ थे। जो सौराष्ट्र क्षेत्र से भारत की संविधान सभा के लिए चुनें गये थे। स्वतंत्रता के बाद वह गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री बने। इन्होंनेभारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया था। लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की दिशा में उनके योगदान के लिए उन्हें पंचायती राज का वास्तुकार माना जाता है।

जीवन

बलवंतराय गोपालजी मेहता का जन्म 19 फरवरी 1900 को भावनगर में एक माध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होनें बीए तक पढ़ाई की लेकिन विदेशी सरकार से डिग्री लेने से मना कर दिया। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी गए। यह वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन का राष्ट्रीय आंदोलन में भी हिस्सा लिया। उन्होनें 1921 में भावनगर में प्रजा मण्डल की स्थापना की जो स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेता है। यह सविनय अवज्ञा आंदोलन में 1930 से 1932 तक रहे। इसके बाद यह बारडोली सत्याग्रह का भी हिस्सा बने। इसके बाद 1942 में उन्हें भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी। यह अंग्रेज़ी राज के दौरान सात वर्षों तक कारावास में कैद थे। बाद में महात्मा गांधी ने उन्हें सुझाव दिया की वह काँग्रेस कार्यकारी समिति से जुड़ जाएँ। तब जवाहरलाल नेहरू उसके अध्यक्ष बने थे। वे इसके बाद वर्ष 1949 में महासचिव के पद हेतु चुनाव लड़े थे, और उसके बाद वह 1952, 1957 के संसदीय चुनावों में भावनगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा।[१]

मृत्यु

19 सितम्बर 1965 को भारत-पाक युद्ध के दौरान वह मीठापुर से कच्छ तक जा रहे थे। रास्ते में पाकिस्तानी वायु सेना ने उनके विमान पर हमला कर दिया। जिसमें मेहता जी के साथ उनकी पत्नी, तीन कार्यकर्ता, एक पत्रकार और दो विमान चालक की मौत हो गई।[२]

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ