फैण्टम
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The Phantom | |
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चित्र:Phantomissue12mikebullock.jpg Moonstone Books' The Phantom #12 Cover art by Joe Prado | |
प्रकाशन जानकारी | |
प्रकाशक |
काॅमिक्स स्ट्रिप किंग फीचर्स सिंडीकेट Comic books David McKay Publications Harvey Comics Gold Key Comics किंग काॅमिक्स डीसी काॅमिक्स मार्वल काॅमिक्स Moonstone Books |
प्रथम उपस्थिति | फरवरी 17, 1936 |
रचनाकार | Lee Falk |
कहानी में | |
Notable aliases | किट वाॅकर |
Abilities |
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फैण्टम (अंग्रेजी; Phantom) एक कामिक्स पात्र है जिसकी रचना ली फ़ाक ने की जो एक अन्य प्रसिद्द कॉमिक्स पात्र जादूगर मैनड्रैक के रचयिता भी थे। पहली बार १९३६ में एक अखबार में छपनी शुरू होने वाली शृंखला "दि फैण्टम", जिसका नायक फैण्टम है, का प्रकाशन अभी तक जारी है। एक पात्र के रूप में फैण्टम को पहला सुपरहीरो भी माना जाता है।[१] भारत में यह शृंखला पहली बार १९६४ में शुरू हुई जब इंद्रजाल कॉमिक्स का प्रकाशन शुरू हुआ और मैंड्रेक और फैण्टम कॉमिक्स पात्रों का पदार्पण भारत में हुआ। हिन्दी में पहली बार "बेताल की मेखला" नाम से फैण्टम सीरीज का कॉमिक्स छपा जो भारत का पहला हिन्दी कॉमिक्स भी था। वर्तमान समय में इन कॉमिक्सों के इन दुर्लभ संस्करणों की कीमत लाखों में आँकी गयी है।[२]
नाम
मूल चरित्र, जो कि अंग्रेजी में छपने वाली श्रंखला का हीरो है, फैण्टम' के नाम से प्रसिद्ध है।[३][४] हिन्दी में छपने वाले संस्करण में कई पात्रों एवं स्थानों के नामों में कुछ मामूली परिवर्तन भी किये गये थे और खुद फ़ैन्टम, जो कि इस शृंखला का मुख्य पात्र है, हिन्दी में बेताल के नाम से जाना गया।[५] वाराणसी से प्रकाशित दैनिक अखबार "आज" में छपने वाली कॉमिक्स पट्टी में इसी मुख्य पात्र को वनभैरव का नाम दिया गया था।[६]
मूल कथानक में अफ्रीका की जिस काल्पनिक अवस्थिति में कहानी का परिवेश स्थापित किया गया है उसका नाम बेंगाला था। भारत में छपने पर इसे, संभवतः बंगाल के साथ भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने से बचने के लिये "डेंकाली" कर दिया गया था। इसी प्रकार, भारतीय पाठक वर्ग को ध्यान में रखते हुए, कुछ अन्य पात्रों के नामों में भी मामूली परिवर्तन किये गये थे।
कथानक
कथानक के अनुसार फैंटम (वेताल) अफ़्रीका के काल्पनिक बेन्गाला नामक स्थान पर खोपड़ीनुमा गुफा में रहकर अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करता है। उसकी खोपड़ी वाली अँगूठी का निशान अपराधियों में भय उत्पन्न कर देता है। अपराधियों से लड़ने वालों की श्रृंखला २१ पीढी वाले वेताल की कहानी १५३६ से आरम्भ होती है। ब्रिटिश नाविक क्रिस्टॊफ़र वाकर के पिता समुद्री डाकुओं के हमले में मारे जाते हैं। क्रिस्टोफ़र वाकर अपने पिता के हत्यारे की खोपड़ी पर बुराई से लड़ने की शपथ लेता है। एक के बाद एक २१ पीढियों तक नकाब धारण करने के कारण लोग उसे चलता फ़िरता भूत मानने लगते हैं। वेताल के पास कोई अलौकिक शक्ति नहीं फ़िर भी वह अपनी शक्ति, बुद्धि-कौशल और इस ख्याति से कि वह चलता फ़िरता प्रेत है, से प्रतिद्वन्दी को हराने में सफ़ल रहता है।
इक्कीसवें वेताल की मुलाकात अपने अध्ययन के दौरान अमेरिका में डायना पामर से हुई और विवाह के बाद उनकी दो सन्तानें किट व हेलोइस हुईं। वेताल अपनी खोपडीनुमा गुफा में अपने प्रशिक्षित डेविल नाम के भेडिये व हीरो नाम के घोडे के साथ रहता है।[७]
वेताल का जीवन
अफ़्रीका के काल्पनिक देश देंकाली (अंग्रेजी -बेन्गाला) में मिथक प्रचलित है कि एक ऐसा प्रेत रहता है जो सभी तरह के अन्यायों के खिलाफ़ लड़्ता है। उसे पीढ़ी दर पीढ़ी देखते रहने के कारण वहाँ प्रचलित है कि वह अमर है जबकि वास्तविकता यह है कि पिछ्ली २० पीढ़ियों से वे एक व्यक्ति के रूप में अन्याय के खिलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं। जब नया वेताल अपने मरने वाले पिता से कार्य ग्रहण करता है तो वह शपथ लेता है कि मै शपथ लेता हूँ कि मै अपना जीवन तस्करी, लालच, क्रूरता और अन्याय को - वे चाहे किसी भी रूप मे क्यों न हों- मिटाने में लगा दूँगा और मेरे बेटे और उनके बेटे इसका निरन्तर पालन करेंगे।
फ़ाल्क ने शुरू में वेताल का घर भारत में ही सोचा थाऔर उसी प्रकार से कथाओं की रचना की थी प्रारम्भ में वेताल की सभी कहानियां भारत के शहरों 'मद्रास, बॉम्बे, कलकत्ता' आदि में ही घटित हुई थी, पर इंद्रजाल कॉमिक्स ने अतिरिक्त सतर्कता दिखाते हुए किसी भी विवाद को टालने के इरादे से उनमें बदलाव किये जिससे किसी भी कथा में भारत से जुडाव दिखाई न दे ,जैसे की 'बंगाला या बेन्गाला को 'देंकाली' कर दिया,'The Belt' कथा में समुंद्री लुटेरे 'रामा' को 'रामालु' कर दिया गया था, यहाँ तक की इस कथा में 'इण्डिया' को बदल के Xenia कर दिया गया।
पहले वेताल का विवाह स्केन्डेनेवियन समुद्री कप्तान एरिक रोवर की बेटी क्रिस्टीना से हुआ (कु छ्परवर्ती लेखक भ्रमित होकर उसे दूसरे वेताल की पत्नी मार्बेला से विवाहित प्रदर्शित करतें हैं) दूसरे वेताल का विवाह क्रिस्टोफ़र कोलम्बस की प्रपौत्री मरबेला से हुआ था। इक्कीसवें वेताल की मुलाकात अपने अध्ययन के दौरान अमेरिका में डायना पामर से हुई उनकी दो सन्तानें किट व हेलोइस हुईं।
मूल कहानी
वेताल की कहानी का आरम्भ क्रिस्टोफ़र वाकर नामक युवा नाविक से होता है जिसका जन्म पोर्ट्स्माउथ में १५१६ में हुआ था उसके पिता (जिनका नाम भी क्रिस्टोफ़र वाकर था) क्रिस्टोफ़र कोलम्बस के अमेरिका जाने वाले जहाज सैन्टा मारिया पर केबिन बाय थे बाद में सन १५२५ में क्रिस्टोफ़र जूनियर अपने पिता क्रिस्टॊफ़र सीनियर के जहाज पर शिपबाय बना जिसपर वे कप्तान बन गए थे १५३६ में २० वर्ष की आयु में जब वह अपने पिता के साथ यात्रा पर था १७ फ़रवरी को उसके जहाज पर बेन्गाला की खाड़ी मे सिंह ब्रदरहुड नामक तस्करों ने आक्रमण कर दिया और बेहोश होने से पहले उसने देखा कि उसके पिता को मार दिया गया और जहाज में विस्फ़ोट हो गया और वह अकेला ही बचा और बह कर बेन्गाला या देंगाली के तट पर जा लगा जहाँ उसे अर्द्धमृत अवस्था में पिग्मियों के बान्डर नामक आदिम जाति के लोगों ने उसे देखा और उसकी देखभाल की।
भारत में
भारत में सन १९४० में इलस्टरटेड विकली ऑफ इंडिया नामक समाचार पत्र में धारावाहिक पट्टी के रूप में प्रकाशन आरम्भ हुआ किन्तु इसका वास्त्विक प्रसार सन १९६४ में इन्द्रजाल कामिक्स के माध्यम से फैन्टम अपने वेताल नाम के अवतार मे अवतरित हुआ हिन्दी में इसका नाम बदल कर वेताल हो गया और इसका निवास स्थान बेंगाला भी बदल कर देंकाली हो गया।
पहले इसका प्रकाशन मासिक रूप में होता था धीरे धीरे मांग बढने केसाथ इसका प्रकाशन साप्ताहिक रूप से होने लगा। ७० के दशक मे त्था ८० के दशक के पूर्वाद्ध मे किशोरों का हीरो था।
हिंदी के अलावा कन्नड़, तमिल, मराठी, बंगाली, गुजराती, मलयालम अदि भाषाओं में भी फैंटम या वेताल की कहानियाँ पहुँचीं। भारत में सबसे अधिक लोकप्रिय यह हिंदी और अंग्रेजी में ही रहा तथा इन्हीं दो भाषाओं में यह सबसे दीर्घजीवी भी साबित हुआ। सबसे अधिक फैंटम कॉमिक्स भी इन्हीं दोनों भाषाओं में छपे। इस दौरान इंद्रजाल कॉमिक्स के कुल ८०३ अंक प्रकाशित हुए, जिनमें से ४१४ अंक फैंटम या वेताल के थे। तब आज की तरह हर चीज़ का बाज़ार खड़ा करने का चलन नहीं शुरु हुआ था लेकिन फैंटम के प्रतीक-चिह्न दुकान में बिका करते थे।
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite web