प्रतिरोध भट्ठी
प्रतिरोध भट्ठियों (Electric Arc Furnace) में, भट्ठी की दीवारों पर तार अंशक (coil) लगे होते हैं, जिनमें प्रवाहित होनेवाली धारा ऊष्मा उत्पन्न करती है। भट्ठी की दीवारें सामान्य भट्ठी की तरह अग्निसह ईटों की बनी होती हैं, अथवा किसी भी ऐसे उच्च तापसह (refractory) पदार्थ की जो ऊष्मा का चालक हो। ऊष्मा अंशक, सामान्यत:, नाइक्रोम (nichrome) अथवा मौलिब्डेनम (molybdenum) तार के बने होते हैं और उच्च तापसह पदार्थ की नलिका पर वर्तित (wound) होते हैं। उच्च ताप की भट्ठियों में (1,200° सें. ऊपर) प्लैटिनम धातु के तारों का प्रयोग भी किया जाता है, जो अधिक कीमती होने के कारण सभी भट्ठियों में नहीं प्रयोग किए जा सकते। उच्च ताप की भट्ठियों में तार अंशकों के स्थान पर सिलिकॉन कार्बाइड (silicon carbide) की छड़ें और नलिकाएँ भी प्रयोग की जाती हैं।
ऊष्मा अंशक, भट्ठी की दीवारों पर न लगाकर, सामान्यत:, उसमें ही निवेशित कर दिए जाते हैं, जिससे भट्ठी में अधिक जगह हो सके और इन अंशकों को भी क्षति से बचाया जा सके। ताप अंशक एक दूसरे से श्रेणी (series) एंवं पार्श्व संबंधन में संबद्ध होते हैं कि प्रतिरोध का विचरण कर आसानी से ताप का विचरण किया जा सके। कहीं कहीं ये स्टार एवं डेल्टा (star and delta) प्ररूप में भी संबद्ध होते हैं। पिघलानेवाली धातु भट्ठी के बीच में रखी जाती है। इसे साधारण बोलचाल में धान (charge) कहते हैं। यह पिघलने पर नली के द्वारा भट्ठी से बाहर आ जाती है, अथवा चार्ज की हाँड़ी, जिसे मूषा (crucible) कहते हैं, भट्ठी के बाहर निकाल ली जाती है। ताप नियंत्रण स्वत: चालन से ताप-वैद्युत युग्म (thermocouple) द्वारा किया जाता है।
कुछ प्रतिरोध भट्ठियाँ लवण कुंडिका (salt bath) किस्म की होती हैं। कई प्रकार के लवण (सामान्य नमक नहीं) इस कार्य के लिए प्रयुक्त होते हैं। इनमें विद्युत्धारा पिघले हुए लवण के प्रतिरोध में होकर पारित होती है, जिससे लवण कुंडिका गरम हो जाती है और इसमें रखा हुआ धान पिघलाया जा सकता है, इस प्रकार की भट्ठी में ऊष्मा का अधिक अंश में उपयोग संभव है, अर्थात् बहुत कम ऊष्मा नष्ट होती है, क्योंकि इसका उपयोग सीधे ही धान को गरम करने में हो जाता है। ऐसी भट्ठियाँ, कैल्सियम, सेडियम, पोटैशियम आदि लवणों को पिघलाने के लिए प्रयोग की जाती है, जिनके रासायनिक लवण सीधे ही भट्ठी में रखे जा सकें। इस प्रकार धान को ही ऊष्ण अंशक के रूप में प्रयोग किया जाता है और उसके प्रतिरोध के कारण उत्पन्न ऊष्मा उसको पिघलाती है। धारा धान में निवेशित दो एलेक्ट्रोडों द्वारा पहुँचाई जाती है। ऐलुमिनियम की इसी प्रकार की प्रतिरोध भट्ठी में प्राप्त होता है।