पोईल सेनगुप्ता

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पोईल सेनगुप्ता (जन्म नाम:अंबिका गोपालकृष्णन) (जन्म 1948) अंग्रेजी में भारतीय लेखिकाओं में से एक हैं। वह विशेष रूप से बच्चों के लिए नाटककार और लेखिका के रूप में जानी जाती हैं। उसका औपचारिक प्रथम नाम अंबिका है लेकिन वह पोईल नाम से जानी जाती हैं।

जीवनी

पोईल सेनगुप्ता महाविद्यालय व्याख्याता, वरिष्ठ स्कूल शिक्षक, शैक्षिक सलाहकार, संचार और भाषा कौशल सलाहकार, बाजार अनुसंधान फर्म के लिए एक सलाहकार संपादक और मोंटेसरी स्कूल के बच्चों के लिए एक शिक्षक रही हैं।

सेनगुप्ता ने बच्चों के लिए कई पुस्तकें प्रकाशित की, जैसे की:

  • द एक्स्कुसाइट बैलेंस (1985)'[१]
  • द वे टू माइ फ्रेंड हाउस (1988)
  • द स्टोरी ऑफ़ द रोड (1993)
  • हाउ द पाथ ग्रो (1997)
  • द क्लैवर कारपेंटर एन्ड अदर स्टोरीज़
  • द नॉटी डॉग एन्ड अदर स्टोरीज़
  • द ब्लैक स्नेक एन्ड अदर स्टोरीज़
  • वॉटरफ्लावर्स (स्कोलास्टिक, 2000)
  • विक्रमादित्य थ्रोन (2007) (पफिन)
  • द पफिन ट्रेजरी ऑफ़ मॉडर्न इंडियन स्टोरीज़
  • द पफिन बुक ऑफ फनी स्टोरीज़
  • फेवरिट स्टोरीज़ फॉर बॉयज़
  • फेवरिट स्टोरीज़ फॉर गर्ल्ज़
  • क्लियर ब्लू स्काई और बैड मून राइजिंग
  • मोर मिस्ट्री स्टोरीज़ (1989)
  • 24 शॉर्ट स्टोरीज़ (1991)
  • बेस्ट फ्रेंड (1996)

सेनगुप्ता ने बच्चों के लिए कई स्तंभ भी लिखे हैं: सबसे लंबे समय तक चलने वाला कॉलम "ए लेटर टू यू" रहा है। यह 10 साल के लड़के पर्की और उसके दोस्त रघु के बारे में एक हास्य स्तंभ है। पहले ये साप्ताहिक, बाद में मासिक पत्रिका चिल्ड्रन वर्ल्ड में तीस वर्षों से अधिक समय तक चला। उनका एक और स्तंभ 'रोल कॉल' जो स्कूली जीवन के बारे में है, डेक्कन हेराल्ड में साप्ताहिक रूप से प्रकाशित हुआ। इसको आगे दो संस्करणों में प्रकाशित किया गया था, 'रोल कॉल' (2003) और 'रोल कॉल अगेन' (रूपा, 2003)। एक तीसरा बच्चों के लिए चला कॉलम, 'राइट हियर' था। ये मिड डे में प्रकाशित हुआ था और अल्पकालिक ही रहा।[२] [३] .[४]


सेनगुप्ता ने एक नकाट, मंगलम (1993) भी लिखा जिसने द हिंदू-मद्रास प्लेयर्स प्लेस्क्रिप्सन प्रतियोगिता में सबसे अधिक सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषय का पुरस्कार जीता। उन्होंने बाद मे कई ओर नाटक लिखे:

  • इनर लॉज़ (1994)
  • अ प्रीटी बिजनेस (1995)
  • कीट्स वाज़ ए ट्यूबर (1996)
  • कोल्लाज (1998)
  • अलीफा (2001)
  • सो सेड शकुनी (2001)
  • यवमजक्का (बच्चों के लिए) (2000)

2008 में, समारा सांग को हिंदू मेट्रो प्लस प्लेराइट पुरस्कार के लिए चुना गया था। उनके छह नाटकों को वीमेन सेंटर स्टेज: द ड्रामैटिस्ट एन्ड द प्ले के रूप में प्रकाशित किया गया। उन्हें 1999-2001 में अंग्रेजी में बच्चों के लिए नाटक लिखने के लिए भारत सरकार की वरिष्ठ फेलोशिप मिली। बच्चों के लिए इन नाटकों का एक संग्रह, गुड हैवेंस! (2006) पफिन द्वारा प्रकाशित किया गया है। 1991 में, उनकी कविता, ए वुमन स्पीक्स, राइटर्स वर्कशॉप, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित हुई थी। वह थिएटर क्लब की संस्थापक हैं, जो बैंगलोर स्थित एक शौकिया थिएटर समूह है। वह नई दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा की शासन परिषद की सदस्य रही हैं। अक्टूबर 2014 में, उनका उपन्यास "इंगा" प्रकाशित हुआ।

सन्दर्भ

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